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Amit Singhal "Aseemit"
किसी अबोध शिशु के खुशी से जो चहकने पर आये, किसी नवेली दुल्हन के लजा जाने पर चेहरे पर छाये। उगते हुए सूरज की लालिमा जो सुबह के समय दिखे, यह सब हमारे दिलों में खुशी की नई परिभाषा लिखे। ©Amit Singhal "Aseemit" #किसी #अबोध #शिशु #के
Mamta Singh
क्या सच में हम कन्या पूजन करते है पर वही कन्या काेख में आये ताे कचड़े में फेंकते है... मित्राे अगर इस कन्या शिशु की जगह नवजात पुत्र हाेता ताे क्या वाे भी कचड़े में फेकां जाता.. शायद नहीं ,क्याेकि अवाँछित हाेने के बावजूद वह पुऱूष हाेता. वैसे दाेष किसका हाेगा उस स्त्री का जिसने नाै महिने अपने काेख में रखकर जन्म देने के बाद जानवर का निवाला बन ने काे कचड़े में फेंक दिया,या फिर उस पुरूष का जिसने अपनी हवस ताे पूरी की पर जिम्मेदारी नहीं.. कन्या पूजन #अवाँछित #शिशु #हवस #गुनाह #yqbaba #yqdidi #yqdada #yqhindi
सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
Anil Siwach
Jahnvee
बचपन की मुंडेर से जवानी की दहलीज़ तक ज़िंदगी बहुत तेज़ भागी बचपन फिर मुझ से जन्मा और मै फिर से बचपन को जीने लगी अपनी आँखों के सामने बचपन को बढ़ता देख रही हूं नीले नभ में पंख फैलाये उड़ता उसे देख रही हूं #बचपन #माँ #शिशु #childhood #motherandchildbond #nojotohindi #nojotorelationships #nojotolove
Anil Siwach
रजनीश "स्वच्छंद"
मेरा जीवन और ये दुनिया।। मन रोता है, तन रोता है, गर्भ में पलता बचपन रोता है। शिशु, वृद्ध, युवा, वयस्क, जीवन का कण कण रोता है। कौन कहाँ कब सुखी रहा है, किसकी आंखों से आंसू नहीं बहा है। कोई पेट की खातिर लड़ता, कोई धन अपना संजोता है। किसका जहाँ मुक्कमल ठहरा, किसके चाहे सबकुछ होता है। जीवन तो बदली है मानो, कभी गरजता कभी बरसता। ये रेशम का धागा ठहरा, कभी चमकता कभी मसकता। बांध पोटली कौन गया है, कहीं धनवान, कहीं निर्धन रोता है। शिशु, वृद्ध, युवा, वयस्क, जीवन का कण कण रोता है। ये सोना है, ये अमूल्य बड़ा, ना पीतल कोई पानी चढ़ा। जितना जलाओ निखरे उतना, अग्निपरीक्षा का आदि है। इससे तुम क्या मांग रहे, मौत का ये तो फरियादी है। गुलशन का महकता फूल रहा, दे पानी जब सींचोगे। पत्ता पत्ता बिखरा मिलेगा, जो तुम मुट्ठी में भींचोगे। बसंत गया जो पतझड़ आया, खेत है रोता, मधुबन रोता है। शिशु, वृद्ध, युवा, वयस्क, जीवन का कण कण रोता है। मैं सच से मुख क्यूँ मोड़ रहा, क्यूँ दामन उम्मीदों का छोड़ रहा। जो चलता था क्या वही चलेगा, या कलम कभी विद्रोह करेगी। कागज़ के सीने पे शब्द कुरेदेगी, या फिर कागज़ पे ही मोह करेगी। दुविधाओं से पटी है दुनिया, डर का ही तो व्यापार है। मेरे संग अब आये वही, जिसे दुनिया की दरकार है। ठंढी पड़ी आग है देखो, यज्ञकुंड और हवन रोता है। शिशु, वृद्ध, युवा, वयस्क, जीवन का कण कण रोता है। ©रजनीश "स्वछंद" मेरा जीवन और ये दुनिया।। मन रोता है, तन रोता है, गर्भ में पलता बचपन रोता है। शिशु, वृद्ध, युवा, वयस्क, जीवन का कण कण रोता है। कौन कहाँ कब सुखी रहा है,
SHASHANK KASHYAP
बच्चे का पेट में उल्टा होना यह एक बहुत ही गंभीर स्थिती है जिससे अधिकांश महिलाएं प्रसव के दौरान गुजरती हैं. अपने विकास काल के दौरान कभी-कभी शिशु गर्भाशय में आडा या उल्टा हो जाता है. यह स्थिति माता और शिशु दोनां के ही जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है। होम्योपैथी मैं दवा हैं जो इस प्रकार के आपात अवस्था में देने पर फौरन गर्भ में शिशु की स्थिति को भी पुन: सही कर देती हैं जिसका नाम है Pulsatila 200 #NojotoQuote #nurse #doctor #nurselife #medicine #medical #hospital #nursing #rn #medstudent #love #medschool #health #nurses #medicalstudent #doctors #healthcare #nursingschool #surgery #nursesofinstagram #motivation #fitness #surgeon #nursepractitioner #nursingstudent #instagood #medicalschool #dentist #life #anatomy #bhfyp
Ajay Amitabh Suman
ये कविता एक माँ के प्रति श्रद्धांजलि है । इस कविता में एक माँ के आत्मा की यात्रा स्वर्गलोक से ईह्लोक पे गर्भ धारण , बच्ची , तरुणी , युवती , माँ , सास , दादी के रूप में क्रमिक विकास और फिर देहांत और देहोपरांत तक दिखाई गई है। अंत में कवि माँ की महिमा का गुणगान करते हुए इस कविता को समाप्त करता है। माँ आओ एक किस्सा बतलाऊँ,एक माता की कथा सुनाऊँ, कैसे करुणा क्षीरसागर से, ईह लोक में आती है? धरती पे माँ कहलाती है।