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Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"
याद रखिए, सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है। - सुभाष चंद्र बोस । ©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते" #सुभाषचंद्रबोस
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नीरा आर्य- जेल में जब अंग्रेजो द्वारा मेरे स्तन काटे गए. नीरा आर्य भारत वर्ष की आज़ादी पूरी दुनिया में सबसे विचित्र प्रकार की हैं। भारत की आज़ादी के बारे में कुछ बात बड़ा ही आश्चर्यजनक हैं जैसे की कहा जाता है "बिन खडग बिन ढाल गाँधी तूने कर दिया कमाल" इसका अर्थ यह हुआ की बिना किसी हिंसा के गाँधी जी आपने भारत को आज़ादी दिलाकर कमाल कर दिया। लेकिन क्या सही में बिना एक बून्द खून बहाए गाँधी जी के अहिंसात्मक आंदोलन मात्र से भारत को आज़ादी मिली नीरा आर्य के जीवन पर एक मूवी निकलने की भी खबर कई बार आई हैं। नीरा आर्या एक महान देशभक्त, क्रन्तिकारी, जासूस, सवेदनशील लेखक, जिम्मेदार नागरिक, साहसी और स्वाभिमानी महिला थी। जिन्हे गर्व और गौरव के साथ याद किया जाता हैं। हैदराबाद की महिला नीरा आर्या को पेदम्मा कहते थे।नीरा आर्या ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्राण की रक्षा के लिए सेना में अफसर अपने पति #जयकांतदास की हत्या कर दी थी। मौका देखकर जयकांत दास ने सुभाष चंद्र बोस पर गोलियाँ दागी लेकिन वो गोली सुभाष बाबू के ड्राइवर को जा लगी लेकिन इस दौरान नीरा आर्या ने अपने पति जयकांत दास के पेट में खंजर घोप कर हत्या कर दी और सुभाष बाबू के प्राणो की रक्षा की।अपने पति हत्या करने के कारण सुभाष बाबू ने नीरा आर्या को नागिन कहा था। आज़ाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुक़दमे चला तब आज़ाद हिन्द फौज के सभी सिपाही बरी कर दिए गए लेकिन नीरा आर्या अपने अंग्रेज अफसर पति की हत्या के आरोप में काले सजा सुनाई गई तथा वह इन्हे घोर यातनाएँ दी गई। आज़ादी के बाद नीरा आर्या ने फूल बेच कर जीवन यापन किया।नीरा आर्या के भाई बसंत कुमार ने भी आज़ादी के बाद सन्यासी बनकर जीवन यापन किया था। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका पर नीरा आर्या ने अपनी आत्मकथा भी लिखी हैं। उर्दू लेखिका फरहाना ताज को नीरा आर्या ने अपने जीवन के अनेक प्रसंग सुनाये थे। प्रसंगो के आधार पर फरहान ताज ने एक उपन्यास भी लिखा हैं, आज़ादी के जंग में नीरा आर्या के योगदान को रेखांकित किया गया हैं। उन्होंने अपनी आत्मकथा में काला पानी सजा के दौरान उनके साथ हुवे अमानवीय घटना के बारे में लिखा हैं की"मैं जब कोलकत्ता जेल से अंडमान के जेल में पहुँची, तो हमारे रहने का स्थान वही कोठरियाँ थी, जिनमे अन्य राजनितिक अपराधी महिला रही थी अथवा रहती थी।हमें रात के 10 बजे कोठरियों में बंद कर दिया गया और चटाई, कम्बल का नाम भी नहीं सुनाई पड़ा। मन में चिंता होती थी इस गहरे समुद्र में अज्ञात द्वीप में रहते स्वतंत्रता कैसे मिलेगी, जहाँ अभी तो ओढ़ने बिछाने का ध्यान छोड़ने की आवश्यकता आ पड़ी हैं जैसे-तैसे जमीं पर लोट लगाई और नींद भी आ गई। लगभग 12 बजे एक पहरेदार दो कम्बल ले कर आया और बिना बोले-चाले ही ऊपर फेक कर चला गया। कम्बलो का गिरना और नींद का टूटना भी एक साथ ही हुआ। बुरा तो लगा लेकिन कम्बलो को पाकर संतोष भी आया।अब केवल वही एक लोहे के बंधन का कष्ट और रह-रहकर भारत माता से जुदा होने का ध्यान साथ में था।सूर्य निकलते ही मुझे खिचड़ी मिली और लोहार भी आ गया, हाथ का सांकल काटते समय चमड़ा भी कटा परन्तु पैरो में से आड़ी-बेड़ी काटते समय केवल दो-तीन बार हथौड़ी से पैरो की हड्डी को जाँचा की कितनी पुष्ट हैं। मैंने एक बार दुखी होकर कहा "क्या अँधा हैं, जो पैर में मारता हैं ? पैर क्या हम तो दिल में भी मार देंगे क्या कर लोगी ? उसने मुझे कहा था। तुम्हारे बंधन में हूँ कर भी क्या सकती हूँ ? फिर मैंने उसके ऊपर थूक दिया और बोला औरत की इज़्ज़त करना सीखो। जेलर भी साथ में था उसने कड़क आवाज में कहा "तुम्हे छोड़ दिया जाएगा, यदि तुम सुभाष चंद्र बोस का ठिकाना बता दोगी"भारत के पाठ्यपुस्तकों से पता चलता हैं की पूरी दुनिया में एकमात्र आज़ादी भारत की आज़ादी हैं जिसको बिना खडग बिना ढाल यानि की बिना हिंसा के एक क्रूर हिंसात्मक शासक(अंग्रेज) से प्राप्त किया गया हैं। जबकि अन्य कई इतिहासकारो का कहना हैं की लाखो क्रांतिकारियों के प्राणो के बलिदान का परिणाम भारत की आज़ादी हैं।तथ्यों पर ध्यान देने से पता चलता हैं की गुलामी काल में जिन्होंने अपने पेट और अपने स्वार्थ की चिंता से दूर सिमित संसाधन होते हुवे भी अंग्रेजो से स्वतंत्रता की लड़ाइ लड़ते हुवे अपने प्राण दे दिए उनको भुला दिया गया और जिन्होंने अंग्रेजो के साथ उनके महलो में लंच डिनर किया, उनके साथ हवाई जहाज पर घूमें। #नीराआर्यवीरांगना #जयकांतदास #उर्दूलेखिकाफरहानाताज #सुभाषचंद्रबोस #आज़ादी #नीराआर्य #क्रांतिकारियों ----------------------------------------------------------------- Follow me friends on Facebook ©MOTIVATIONAL & PHYSCHOLOGICAL POST (by ANAND_KUMAR_YADAV)(@anand62648) https://www.facebook.com/profile.php?id=100077671257255&mibextid=ZbWKwL https://www.youtube.com/@anand62648 Follow me friends on Facebook pls understand support me now 👉 #anand62648 #anand62648shorts here my group link https://www.facebook.com/groups/1709480462845565/?ref=share
Pushkar Sahu
आँखों में देश को आजादी दिले की चमक चेहरे पर जज्बे की ललक ऐसे देशप्रेमी को शत शत नमन महात्मा गाँधी ने सुभाषचंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा। आज़ादी के इस महानायक का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ। नेताजी' के नाम से प्रसिद्ध सुभाषचंद्र ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की तथा 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' का गठन किया इस संगठन के प्रतीक चिह्न पर एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था। नेताजी अपनी आज़ाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुँचे। यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा,
Dr.Minhaj Zafar
आप हमारे दिल में हैं पर आप के आदर्श बिल में हैं नेताओं की पौ बारह है बाक़ी सब मुश्किल में हैं #सुभाषचंद्रबोस #yqdidi #collab
Mahima Jain
to maintaining the dignity of our Country... Happy Birthday Bose Sir 🤗 Glad to share my birthday with you ❤️ OPEN FOR COLLAB✨ #ATitisourduty • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ "It is our duty to pay for our liberty with our own blood." ~ Subhash Chandra Bose
एक इबादत
अंग्रेजो को औकात दिखाने की जिसने सबसे पहले मन में ठानी , सिंगापुर जाकर फ़िर आज़ाद हिन्द फौज की नींव डाली, बुलन्द हुआ फ़िर नारा एक, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा,हौसले से फौलाद बना वो, जुबां पर जय हिन्द का नाम सजा, लड़ा फ़िर वो लड़ाई अंग्रेज़ो से, आज़ादी का ख़्वाब सजाया, बहा दिया खून पानी की तरह, सुभाष चन्द्र बोस से फ़िर "नेता जी" कहलाया, जिस्म के रक्त के एक एक कतरे को, हिन्दुस्तान के नाम लिख डाला, उतार फेका, अंग्रेज़ो के ध्वज को , पोर्ट ब्लेयर में तिरंगा फ़िर सबसे पहले लहराया, फ़िर गूंजा नारा एक, मिशन अब उनका दिल्ली था, पहुंचते वो दिल्ली में तिरंगा लहराने, उससे पहले एक दुर्घटना घटी, क्रैश हुआ विमान वो, जिसमे नेता जी सवार थे, हादसा वो इतना बड़ा था, भारत के स्वतंत्रता का ख़्वाब कुछ पीछे तक टल गया, अन्तिम यात्रा थीं नेता जी की वो, जो आज भी अधूरी हैं, जो आज भी अधूरी हैं.... #सुभाषचंद्रबोस
Lipsa..👰
The legacy you started with exchange of your blood, sweat and soul With your enchanting words you made people believe to crave for freedom, which was long gone You're a fighter, hero, emperor who was content without his well deserved crown Sir, you defeated 'forever' and became a legacy of your own नोटों पे कोई भी हस्ती चढ़ा लो दिल में तो आज भी 'सुभाष' बसता है।। #सुभाषचंद्रबोस #नेताजी #yqbaba
Lipsa..👰
साहस के प्रतिबिंब जिसको झुकना नहीं आया सीने में भर सौ शेर के ताकत जननायक कहलाया दिलों में देशप्रेम का बारूद भर के लोगों को जागृत करवाया पराधीनता के अंधकार को चीर कर स्वतंत्रता के रोशनी के तरफ़ ले गया शत्रु के आँखों में आँखे डाल हुंकार देने वाला "वीर" था वो गली गली में आज़ादी के सुबास फ़ैलाने वाला "सुभाष" था वो पराधीन भारत में भी अपने कुशल नेतृत्व की छाप छोड़ गया मौत भी चरणों में सर झुका कर उसे सदियों के लिए "अमर" कर गया A "fighter" of an Era An "ideal" with his mysterious Aura A "legend" of his own An "emperor" without crown #yqbaba #yqdidi #yqdidi5 #सुभाषचंद्रबोस #yqtales #yqquotes #yqdada #yqhindi
Sikandar ( Firaq Kherwari )
तुम मुझे ख़ून दो , मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा । मगर हमने क्या किया ? हम अपनो का ही, ख़ून बहाते रह गए । क़ाश यह ख़ून , आज़ादी के संघर्ष मे बहता , तो परिणाम कुछ और ही होते । आज़ादी की लड़ाई के नाम पर, कुछ लोग , यूँ इतनी क़ीमत वसूल नहीं कर रहे होते। महात्मा गाँधी ने सुभाषचंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा। यह बहुत बड़ी उपाधि है। आज़ादी के इस महानायक का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ। नेताजी' के नाम से प्रसिद्ध सुभाषचंद्र ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की तथा 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' का गठन किया इस संगठन के प्रतीक चिह्न पर एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था। नेताजी अपनी आज़ाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुँचे। यहीं पर उन्हों
Trapti
पराक्रम दिखाया पराक्रमियों ने देश को आजादी की राह दिखाई याद करें देश उनके साहस को नतमस्तक श्रद्धांजलि उनके बलिदानों को जय हिंद 🇮🇳 महात्मा गाँधी ने सुभाषचंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा। आज़ादी के इस महानायक का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ। नेताजी' के नाम से प्रसिद्ध सुभाषचंद्र ने सशक्त क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को 'आज़ाद हिन्द सरकार' की स्थापना की तथा 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' का गठन किया इस संगठन के प्रतीक चिह्न पर एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था। नेताजी अपनी आज़ाद हिंद फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुँचे। यहीं पर उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा,