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wedding.ip

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Neha Pathak

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟲💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀वो दिन भी क्या दिन थे!🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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कितने खूबसूरत थे वो दिन और रात, 
दिन भर माँ का प्यार, साँझ ढ़लते पापा का दुलार! 

गड्ढों गुड़ियों सँग घर घर का खेल, दोस्तों सँग आंख-मिचौली, 
मन में ना कोई सवाल ना ही कोई भेदभाव! 

पलभर की नाराज़गी, फ़िर मीठी मुस्कान, 
खेल कर थकते हम,दर्द माँ महसूस करती चारों ओर बस मेरी आवाज़ ही गूँजती! 

छोटे छोटे हथेलियों से माँ की उँगलियों को पकड़ जब चलती, 
बड़े शान से वो घूमती फिरती! 

वो दिन भी क्या दिन थे "नेहा" ना बड़े होने की चिंता,
ना कुछ खोने पाने की परवाह हुआ करती! 
 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟲💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀वो दिन भी क्या दिन थे!🎀
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Divyanshu Pathak

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 - 𝟏💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀इश्क़ किया था तुमसे,सौदा नहीं! 🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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इश्क़ किया था तुमसे,कोई सौदा नहीं!
मुस्कुराहट बांटी तमाज़त मसौदा नहीं।
टूटकर फ़ौलाद से आँसू बह निकले तो!
दिल में आपके हमारा वह अहोदा नहीं। 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -  𝟏💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀इश्क़ किया था तुमसे,सौदा नहीं! 🎀
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DR. SANJU TRIPATHI

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞-𝟕💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀बलात्कार!🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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दुनियां के हर कोने में रोज न जाने कितनी 
ही बहू, बेटियों की आबरू लुटती रहती है।
होती हैं बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार
तब होने लगती है सारी इंसानियत शर्मसार।

इंसान बनके करते हैं हैवानियत, इंसानियत 
भूल दुष्कर्म करते रिश्तों को भूल जाते हैं।
जाने कैसे हो जाते हैं इतने दरिंदे कि किसी
मजबूर, लाचार की आवाज न सुन पाते हैं।

कहीं भी सुरक्षित नहीं है बहू बेटियाँ हर दम 
ही अनजाने डर के साये में जीती रहती हैं।
शर्मसार इंसानियत को करते जरा सी मौज
मस्ती खातिर इज्जत को कौड़ियों में तौलते।

बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं पर अंकुश
लगा रोकने के कठोरतम प्रयास करने होंगे।
बलात्कारियों और इंसानियत को शर्मसार 
करने वालों को सरेआम फाँसी चढ़ाना होगा।

बहुत बना लिये कागजी, खोखले, दिखावटी
खानापूर्ति करने वाले कानून और नियम।
नियमों का सख्ती से हक़ीक़त में पालन कर
नयी निर्भया, प्रियँका बनाने से रोकने होगा।
-"Ek Soch"


 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞-𝟕💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇
🎀बलात्कार!🎀
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DR. SANJU TRIPATHI

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟲💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀वो दिन भी क्या दिन थे!🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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बचपन की यादों में खोकर, मेरा मन आज भी बच्चे जैसा ही बन जाता है। 
याद करता है वह शैतानियां, वह नादानियां फिर उसी में खोकर रह जाता है।

बारिश में भीग कर नहाना, वह मां-पापा की डांट खाना बड़ा याद आता है।
वो दिन भी क्या दिन थे! दादी-नानी से किस्से-कहानियां सुनना ही भाता था।

खेलने-कूदने के लिए, पढ़ाई से जी चुराना, वो बहाने बना घूमना याद आता है।
स्कूल ना जाने के लिए पेट दर्द का बहाना बनाना, फिर समोसे खाना भाता था।

क्लास से बाहर बैठने के लिए होमवर्क ना करके ले जाना बैठ कर गप्पे लड़ाना,
दोस्तों की टोली संग मौज-मस्ती करना समय बिताना, बड़ा ही सुहाता था।

भेदभाव रीति-रिवाजों से अलग, अपनी छोटी सी दुनियां में खोये रहना सुहाता था।
चेहरे पर मासूमियत थी, दिल में ना कोई बैर था, बस केवल दोस्ती निभाना आता था।

-"Ek Soch"
 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟲💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀वो दिन भी क्या दिन थे!🎀
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DR. SANJU TRIPATHI

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟒💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀ज़िंदगी की नाव 🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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रिश्तों के भँवर में उलझ कर रह गई है, 
हम दोनों के प्यार के ज़िदगी की नांव।

दिखता नहीं है कोई किनारा कभी डूबती,
कभी उभरती रहती है ज़िंदगी की नांव।

अनजाना सा हर रिश्ते ने किसी न किसी, 
फरेब का नकाब ओढ़ कर रखा हुआ है। 

समझ नहीं आती किसी भी रिश्ते की 
हकीकत सभी ने चेहरा छुपा कर रखा है।

सच्चाई और विश्वास की पतवार के सहारे 
ही ज़िंदगी की नांव किनारे लग सकती है।

आस्तीन के सांपों से बचाकर ही ज़िंदगी 
की नांव अब डूबने से बचायी जा सकती है।

ज़िंदगी की नांव को यूं ही ना डूबने देंगें,
बनकर खुद ही पतवार नांव पार लगाएंगें।

फंसने ना देंगे किसी भी भंवर में हम इसको,
अपनी नांव के मांझी हम खुद बन जाएंगें।

राहों की मुश्किलों को हटा प्यार निभाएंगें,
मानेंगे न हार हम अपने प्यार को जिताएंगें।

हो चाहे ज़िंदगी में जितना गमों का अंधेरा
प्यार की रोशनी से ज़िंदगी को जगमगाएंगें।

-"Ek Soch"

 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟒💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇
🎀ज़िंदगी की नाव 🎀
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DR. SANJU TRIPATHI

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟑💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀दिल ए हिन्दुस्तान 🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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हिन्दुस्तान हमारा एकता, अखण्डता व संप्रभुता से भरा, जग में महान है।
हिन्दुस्तान हमारी शान है हर वीर का दिल और जान इस पर कुर्बान है।

स्वतंत्रता के लिए सुभाष, चंद्रशेखर और भगत ने अपना लहू दिया।
बिना हथियारों को अपना हाथ लगाए गांधी ने भी था संघर्ष किया।

तीन रंगों से रंगा प्यारा तिरंगा दिल-ए-हिन्दुस्तान की जान व पहचान है।
गंगा, जमुना और त्रिवेणी नदियां माँ समान शोभा बढ़ाती महान हैं।

ईर्ष्या, द्वेष और नफरत का है यहाँ दिलों में नहीं कोई भी स्थान।
प्रेम, अहिंसा और विश्व बंधुत्व है बस इसकी एक मात्र पहचान।

राम- कृष्ण की धरती है यह और ऋषि मुनियों की है खान यहाँ।
कबीर, तुलसी और सूर के ज्ञान से मिलता सबको प्रकाश यहाँ।

हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई अनेकता में एकता को अपनाते है।
दिल-ए-हिन्दुस्तान में बसते कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले साम्राज्य हैं।

-"Ek Soch"












 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟑💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀दिल ए हिन्दुस्तान 🎀
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DR. SANJU TRIPATHI

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 - 𝟐💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀किसानों की पीड़ा! 🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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भारत देश का अन्नदाता है किसान, फिर भी नहीं मिलती है उसको कोई पहचान।
फसलें उगाने को कर्ज के बोझ तले दबा रहता है, फिर भी बनते हैं सभी अनजान।

कर्ज के बोझ से उबरने को कुछ फांसी लगा लेते, कुछ करते आत्महत्या पर विचार।
अन्नदाता स्वयं ही मचाता रहता है हाहाकार, मगर कोई सुनता नहीं है उसकी पुकार।

मजबूर किसानों से बिचौलिए कमाते हैं पैसा, करके उनकी फसलों का व्यापार।
भूखे रहकर औरों को भोजन पहुंचाते, झेलते सूखे और बाढ़ के मौसम की मार।

देते हैं सभी नेता और सरकार झूठी दिलासा समझता नहीं कोई किसानों की पीड़ा।
बातें करते हैं सभी बड़ी-बड़ी मगर इनके लिए कोई उठाता नहीं ठोस कदम ना बीड़ा।

कोई सुनता नहीं किससे कहें अपना हाल-ए-दिल और किसको सुनाएं अपनी व्यथा।
विपरीत परिस्थितियों में भी बांधे रहते हैं आस, सरकार भी ना करती कोई व्यवस्था।

 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 - 𝟐💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀किसानों की पीड़ा! 🎀
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DR. SANJU TRIPATHI

🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 - 𝟏💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀इश्क़ किया था तुमसे,सौदा नहीं! 🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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तुमने हमारे सच्चे इश्क को, कभी भी इश्क समझा ही नहीं। 
जानते हो तुम, हमने इश्क किया था तुमसे, कोई सौदा नहीं।

जानते नहीं थे हम, तमाज़त भरी है तुम्हारे दिल में हमारे लिए,
जाने कब, क्या खता हुई, इतना जहर भर गया दिल में हमारे लिए।

इश्क नहीं था, तो राह-ए-इश्क़ में साथ चलने का वादा क्यों किया,
डूबाने का इरादा था, तो डूबा ही देते, यूं मझधार में क्यों छोड़ दिया।

इश्क़ दिल से ना हो तो बता देना, कभी किसी को धोखा ना देना।
शायद कमी हमारे इश्क में ही थी जो नफरत को प्यार में ना बदल सका।

-"Ek Soch"


 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -  𝟏💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀इश्क़ किया था तुमसे,सौदा नहीं! 🎀
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🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟲💠🌠 #𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢 आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥 ⬇🔻⬇🔻⬇🔻 ⬇ 🔻⬇ 🔻⬇ 🎀वो दिन भी क्या दिन थे!🎀 🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗🎗

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वो दिन भी क्या दिन थे,!... जब सोच से बादशाह थे,
बेजान गुड्डे गुड़ियों से खेल में भी भभूति का एहसास था।

कोई निजता न थी, अक्षुण्ता खुशदिली का ही माहौल था,
निहायत मुकद्दस थे रिश्ते, नाज़ुक सा एहसास था।

आत्मविस्मृति से कर लेते थे, कुछ बचपनें के वादे,
बस ज़ुनून-ए-दिल थे पूरे करने के इरादे।

बचपनें की याद-ए-माज़ी में गुमसुम हुए है आजकल,
इज़्तिराब-ए-गिरताब में डूबे, धीरे धीरे यादों में खोके हो रहे है गाफ़िल। 🌠💠𝐂𝐡𝐚𝐥𝐥𝐞𝐧𝐠𝐞 -𝟲💠🌠
#𝐜𝐨𝐥𝐥𝐚𝐛_𝐰𝐢𝐭𝐡_𝐚𝐚𝐩𝐤𝐢_𝐥𝐞𝐤𝐡𝐧𝐢

आज की रचना के लिए हमारा शब्द है 🎈📥
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🎀वो दिन भी क्या दिन थे!🎀
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