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pankaj suman
हजारों मिन्नतें, सैकड़ों उलाहनाएं, कितनी ही उपेक्षाएं, ढेरों यातनाएं, मनरूद्ध कुंठाएं,रातों में करवटों के ताने और कई पहरों की चिंताएं; इतनी कीमत चुकानी पड़ती हैं एक स्त्री को एक बार “मायके” जाने की। पंकज ’सुमन’ ©pankaj suman #मायका #स्त्री #स्त्रीअस्तित्व #स्त्रीजीवन
Bhoomi
एक स्त्री का सम्मान अगर उसका स्वयं का पति ही नही करता, तो परिवार और समाज में उसे फिर कभी भी सम्मान मिल ही नही सकता । ©Bhoomi #hibiscussabdariffa #स्त्री #स्त्रीअस्तित्व #स्त्रीजीवन
Andy Mann
एक शादी_शुदा स्त्री, जब किसी पुरूष से मिलती है उसे जाने अनजाने मे अपना दोस्त बनाती है तो वो जानती है की न तो वो उसकी हो सकती है और न ही वो उसका हो सकता है वो उसे पा भी नही सकती और खोना भी नही चाहती.. फिर भी वह इस रिश्ते को वो अपने मन की चुनी डोर से बांध लेती है.... तो क्या वो इस समाज के नियमो को नही मानती? क्या वो अपने सीमा की दहलीज को नही जानती? जी नहीं वो समाज के नियमो को भी मानती है और अपने सीमा की दहलीज को भी जानती है मगर कुछ पल के लिए वो अपनी जिम्मेदारी भूल जाना चाहती है कुछ खट्टा... कुछ मीठा आपस मे बांटना चाहती है जो शायद कही और किसी के पास नही बांटा जा सकता है वो उस शख्स से कुछ एहसास बांटना चाहती है जो उसके मन के भीतर ही रह गए है कई सालों से थोडा हँसना चाहती है खिलखिलाना चाहती हैं वो चाहती है की कोई उसे भी समझे बिन कहे सारा दिन सबकी फिक्र करने वाली स्त्री चाहती है की कोई उसकी भी फिक्र करे... वो बस अपने मन की बात कहना चाहती है जो रिश्तो और जिम्मेदारी की डोर से आजाद हो कुछ पल बिताना चाहती है जिसमे न दूध उबलने की फिक्र हो,न राशन का जिक्र हो....न EMI की कोई तारीख हो आज क्या बनाना है, ना इसकी कोई तैयारी हो बस कुछ ऐसे ही मन की दो बातें करना चाहती है कभी उल्टी_सीधी ,बिना सर_पैर की बाते तो कभी छोटी सी हंसीओर कुछ पल की खुशी... बस इतना ही तो चाहती है आज शायद हर कोई इस रिश्ते से मुक्त एक दोस्त ढूंढता है जो जिम्मेदारी से मुक्त हो.. ©Andy Mann #स्त्रीजीवन
poonam atrey
हर रोज़ तूफानों से लड़ती हूँ, साहस करती पुरज़ोर हूँ। अगर अकेली हूँ, तो यह मत समझो कि मैं कमजोर हूँ। मैं सृष्टि की अभियंता हूँ, मत समझो ख़ुद पर बोझ मुझे, मैं घर को मकां बनाती हूँ, मत कहना कि मुंहजोर हूँ। मुझसे अस्तित्व तुम्हारा है,मैं नही तो तुम कहाँ होंगे। मुझसे रच कर ही कहते हो,मैं नारी हूँ कमजोर हूँ। अब तक सहती चुपचाप रही ,पर बहुत हुआ अब औऱ नही, अब ढलती शाम नही हूँ मैं, जो अभी हुई वो भोर हूँ।। ©poonam atrey #स्त्रीजीवन #पूनमकीकलमसे Gyanendra Pandey वंदना .... आसमाँ Payal Das Ravikant Dushe भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन अदनासा- Ambika Mallik Mahi Rahil Mehra Mili Saha HINDI SAHITYA SAGAR Anshu writer Navash2411 Suresh Gulia एक अजनबी Nasiba Bibi Banarasi.. खामोशी और दस्तक Kamlesh Kandpal Madhusudan Shrivastava Mamta kumari Noor Hindustani –Varsha Shukla Rajesh Arora बादल सिंह 'कलमगार' AbhiJaunpur दीप बोधि Saloni Khanna Rakesh Srivastava कवि आलोक मिश्र "दीपक" Yogendra Nath Yogi Neel अकेला मानव As
Shweta Rajak
मासूम चिड़िया ही तो होती है स्त्री! जहां स्नेह भाव दिखा नहीं कि पहुंच जाती हैं स्नेह के दाने चुगने, दिखता नहीं उन्हें अदृश्य जाल जहां काटे जाते उनके पंख कभी रौंदे जाते सपने, कभी शब्द लगाए जाते हैं निशाने, मायूस तकदीर के नाम लिखकर, टूट जाते हैं कुछ के हौसलों के पंख, अनंत आकाश में उड़ने को, एक सशक्त उड़ान भरने को.....✍️ मेरा हृदय मेरा स्वाभिमान ❤️ ©Shweta Rajak #स्त्रीजीवन
poonam atrey
जो बात बात में आसमान सिर पर उठाती थी , अब मौन रहना सीख गई है, जो अक्सर बातों के तीर चलाया करती थी , अब तरकश में रहना सीख गई है, जिसकी खुशमिजाजी के कभी किस्से मशहूर थे, वो अब दर्द सहना सीख गई है, जो कुलाँचे भरती थी आकाश की ऊंचाइयों पर, अब पिंजरे में रहना सीख गई है, जो एक आज़ाद पँछी थी उन्मुक्त गगन की, वो स्त्रीत्व में ढलना सीख गई है ।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #स्त्रीजीवन Babli BhatiBaisla Aadil Navash2411 sukoon shayri Saloni Khanna Kamlesh Kandpal Bhavana kmishra Vijay Besharm Puja Udeshi Rakesh Srivastava kumar samir #kukku2004 Ambika Mallik R K Mishra " स Badal Singh Kalamgar Suresh Gulia "ARSH"ارشد Suresh Gulia Anshu writer भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Yogendra Nath Yogi काव्यार्पण Reema Mittal शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Praveen Jain "पल्लव" भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' Sunita P
Divyani Choudhary
स्त्री , प्रेम में कभी बड़प्पन नहीं दिखा पाती, क्यूंकि वो प्रेमी मे अपने पिता को ढूंढती है और अपना बचपन जीती है, छोटी छोटी बातों पर उसको परेशान करती है, दुःखी हो जाती है, जिद करती है और जब तक आप उसको समझ पाते हैं वो टूट चुकी होती है...।।।❤ #lifelessons #स्त्रीजीवन #स्त्री_की_ख्वाहिश #divukikalamse #yourquote #yqdidi #yqbaba
अनिता कुमावत
स्त्रियाँ जीवन भर का जोड़- बाकी- गुणा- भाग और सारा हिसाब- किताब पल भर में ही कर लेती हैं अपनी अंगुलियों के पोरो पर... कितना सरल है ना स्त्रियों के जीवन का ये "गणित " ...!!! कौन कहता है...स्त्रियाँ गणित में कमज़ोर होती हैं... 😀😀 कल गणित दिवस था ना... #yqdidi #गणित #स्त्रीजीवन #yqhindi
B Pawar
*गाय और स्त्री* गाय खड़ी है आंगन ज्यों भोजन मांग रही आशान्वित स्वरों से मां–मां पुकार रही। देहरी पर आकर गृहिणी गऊ को भोग लगा रही नैनो में अश्रु लिए मां को मां पुचकार रही। द्रवित हृदय, निशब्द हो दोनो एक दूजे को निहार रही। आपस में अपने जीवन की व्यथा बांट रही। 👇यहां नीचे से पढ़ें. गाय खड़ी है आंगन ज्यों भोजन मांग रही आशान्वित स्वरों से मां–मां पुकार रही।