Find the Best पाएगी Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutइमामत चल नहीं पाएगी, इमारत टिक नहीं पाएगी, संभाल घासरल पाएगी,
Hilal Hathravi
होने को क्या नहीं होता ज़िंदगी में दोबारा, बस अब किसी और से मोहब्बत नहीं हो पाएगी। हर सुब्ह खोलते ही आंखें चेहरा-ए-अनवर देखना, दोबारा किसी की इतनी बुरी आदत नहीं हो पाएगी। इतने नश्तर बेवफ़ाई के चलाये हैं ज़ालिम ने दिल पर, रूह फिर से मेरी सलामत नहीं हो पाएगी। #दोबारा
Sheikh Gufran
अगर सच मे प्यार है उस से तो कभी भुलाना मत अगर दिल लगी है उससे उम्र भर के लिए तो उसे बिस्तर पे सुलाना मत वो मोम की गुड़िया है तुम्हारे होंटो से कांप जाएगी डर तो इस बात का है कि उसके बाद वो फिर कहा जाएगी। हमने भी किया था प्यार किसी से इतनी शिद्दत से कि वो मर जाएगी पर मेरा प्यार ना भूला पाएगी। पर मेरे प्यार की शिद्दत को तुम न समझोगे जो दोस्तों से कहते हो कि वो एकबार मिल जाएगी तो क्या मज़ा आएगी। प्यार, गुस्सा, रुढना, मनाना ये हमारे किस्से थे तुम लोग तो कहते हो कि ये छोड़ जाएगी तो कोई और आएगी। पर एक बात मेरा ध्यान से सुन लो कोई परी भी आजयेगी तो उसकी जगह न ले पाएगी। तो मिली है अगर सच्ची मुहब्बत तो उसकी कद्र करना सीख लो क्योंकि अगर वो न मिली तो तुम्हारी सपनो की दुनिया उजड़ जाएगी।। #NojotoQuote Satyaprem vikas shyamle three dots...nar Haimi Kumari Gautam Kumar Zara Sogra
Satyaprem vikas shyamle three dots...nar Haimi Kumari Gautam Kumar Zara Sogra
read morePratyush Saxena
उसे ये खौफ सताता है घर से दूर होकर , जिंदगी कैसे चल पाएगी , कोइ समझाए उसे , तीली बिछड़ेगी माचिस के डब्बे से , तभी तो जल पाएगी ।। teeli tabhi to jal paayegi #PS #Nojoto #NojotoHindi #NojotoTMP #Maachis #Teeli
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read moreRamesh Singh
आत्मबोध और आत्मज्ञान ने सब कुछ विस्मित कर डाला। जीवन भर जो पीते थे वो अमृत था विष का प्याला।। निरुद्देश्य ही भावों की उत्पत्ति ने संतप्त किया। अंततोगत्वा ज्ञान के दीपक ने ही मार्ग प्रशस्त किया।। , कण कण में जो सार छिपे थे सारहीन थे ज्ञान बिना। यह शरीर भटक था वर्षों जब शरीर था प्राण बिना।। सौंदर्य रूप का दृष्टि से है सृष्टि में बस दृष्टि तक। सौंदर्य आत्म का मार्गद्वार है निर्विवाद ही कीर्ति तक।। , किस प्रकार मानव जीवन ये संशय करता रहता है। मोह पाश में बंधकर के वो स्वयं से डरता रहता है।। सरल नहीं यह परिभाषा न व्याख्यायित हो पाएगी। मुझ अबोध के शब्दों से क्या परिभाषित हो पाएगी।। , यह रचना है छ्द्म अगर तो सत्य नहीं क्या इस जग में। या प्रभाव है काल खंड जो चलता है अपने मद में।। शब्द शब्द ही शब्द शब्द के आशय को गढ़ सकतें है। शब्द स्वतंत्र हो मानव के क्या भावों को पढ़ सकते है।। , आश्चर्यजनक है प्रश्न मगर,यह प्रश्न रहेगा जीवन भर। जीवन दर्शन चिंतन है या चिंतन है बस चिंतन भर।।
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