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रिंकी✍️
एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था नासमझ और नादान थी तुम जो अज्ञान थी सच्चाई से बेखबर खुश थी तुम खुद की ही बर्बादी पर गूंगे और अंधे तो वो लोग बन बैठें जिन्होंने पूरी दुनिया देखी जिन्हें थी सत्यता की ख़बर बचपन को मसल डाला तुम्हारी तरस नही आया उन्हें तुम्हारी नाजुक सी उम्र पर ये हत्यारे थे तुम्हारे बचपने के जिसने एक बच्ची को बना दिया वक्त से पहले ही औरत ✍️रिंकी एक छोटी सी दुनिया थी तुम्हारी छोटे छोटे कदम और छोटी सी हथेलियों में कई लकीरे तो थी मगर किसी काम की नहीं उन पर किसी और का ही जोर रहा गुड्डे और गुड़ियों की शादी से लेकर खुद की शादी तक का सफर तुम्हारा बहुत छोटा सा था
रिंकी✍️
बेटे के जन्म पर माँ बाप से ज्यादा अफ़सोस तुमने मनाया है बेटे के जन्म पर ढोल बेटी के जन्म पर थाली भी न बजाया है माँ तुम भी तो एक बेटी ही क्या तुम्हें क्षण भर भी मेरे बेटी होने पर अफ़सोस आया है मैंने जमीं पर पैर भी न रखे थे मेरी शादी की चिंता तुम्हारे सर तन आया था पैर अभी भी छोटे ही थे मेरे कंधों का बोझ तुमने ही तो बढ़ाया था माँ उम्र अभी भी कच्ची थी अभी तो मैं छोटी बच्ची थी माँ शादी क्यो तुमने मेरी करवाया है जिसको है खुद की पहचान नही तुमने अपरिचित के गले से सजाया है देखो न माँ भाई बहन के साथ जी भर खेल सकी न माँ मेरे गोद मे भी अब एक लाल आया है आज जब उम्र हुई है शादी की एक बेटी ने मुझे माँ कह कर बुलाया है। बेटे के जन्म पर माँ बाप से ज्यादा अफ़सोस तुमने मनाया है बेटे के जन्म पर ढोल बेटी के जन्म पर थाली भी न बजाया है माँ तुम भी तो एक बेटी ही क्या तुम्हें क्षण भर भी मेरे बेटी होने पर अफ़सोस आया है मैंने जमीं पर पैर भी न रखे थे
Anamika
दूध में पत्तियां ज्यादा क्या गिरी, चाय जरा सी सांवली हो गई.... डोर जीवन की उसने क्या ढ़ीली की, उसके चरित्र में ही खराबी हो गई..... यूं तो शिकायतें करती नहीं किसी से, आखिर क्यों फिर, पढने की उम्र में उसकी शादी हो गई..... #समाज #बालविवाह #कुप्रथा #yqdiary #yqpoem #tulikagarg
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
वो अभी भी चांद को मामा कहती है, जिसको तुम वधू कहलवाना चाहते हो। जो गुड्डे-गुड़ियों से खेलती है, तुम उसे दुल्हन बनवाना चाहते हो। हो कलम किताब जिन हाथों में, तुम चिमटा बेलन थमाना चाहते हो। वो समझ नहीं पाई है दुनिया को, तुम उसकी नई दुनिया बसाना चाहते हो। बेटे-बेटी में फर्क बता कर, क्या फिर से समाज बंटवाना चाहते हो? कैसे उपासक हो देवी के, जो कोख में हत्या कर देते हो? केवल पुरुष ही बचें इस धरती पर, क्या ऐसा जमाना चाहते हो?.... P.c:- drawn by me AMBUJ BAJPAI Shivam वो अभी भी चांद को मामा कहती है, जिसको तुम वधू कहलवाना चाहते हो। जो गुड्डे-गुड़ियों से खेलती है, तुम उसे दुल्हन बनवाना चाहते हो। हो कलम किताब जिन हाथों में, तुम चिमटा बेलन थमाना चाहते हो।
aditi the writer
छोटी सी वो चिड़िया था बांध जिसे पिंजरे में दिया बचपन जिसका गुड़िया से दूर कर दिया बांध दिया जिसे ऐसे संसार में जानती नही जिसे वो अभी अपने हाल में उमर थी मौज मस्ती की बचपन की आज उसे सात फेरों में बांध दिया नही जानती थी वो मां बाप ने उसका बचपन बेच दिया बना बालिका वधु आज उसका सुंदर संसार उससे लील लिया हाए रे बेटी तेरी विडंबना तेरा भाग्य आज तुझसे ही छीन लिया बन गई आज तू बालिका वधु भर मांग में सिंदूर हाथों में पहन चूड़ियां और पैरों में पायल बिछिया इस समाज ने आज एक बच्ची का भविष्य बना बालिका वधु यूं बर्बाद कर दिया कहां बनती वो कल्पना चावला या पी टी उषा रचाती इतिहास अपनी उड़ान से हाए रे शर्म आती है मुझे अपने समाज पर ©aditi jain #बालविवाह #दर्द ꂦJꀍꍏL (ओझल ) Mr laxmi Narayan Roy Irfan Saeed Bulandshari Da"Divya Tyagi"
Ajay Chaurasiya
बिटिया वक्त से पहले ख्वाब कुचल दिए गए, के हाथ मेंहदी से रंग दिए गए, बाबू ने नही पूछी बिटिया, पसंद का है तोरी ? बस दूसरे के पलड़े में बांध दिए गए, सब रहे थे झूम झूम, नई दुल्हींन का माथा चूम चूम, किसीने न समझी मन की विपदा, बिटिया के मन की दुविधा, होने चली बिटिया की बिदाई, रोए बाबू, रोती माई, रोता है छोटा भाई, लेकिन कोई भी समझ न पाए, किसमे है बिटिया की भलाई, बिटिया ने थे कई ख्वाब सजाए, लेकिन अब गृहस्ती चलाए , ये बात काहे कोई समझ न पाये, वो भी तो है जीना चाहे, काहे करते हो बाबा तुम ? मुझमें और भैया में अंतर, यही प्रश्न पूछे हर बिटिया, लेकर मन में पीड़ा भयंकर.... ©Ajay Chaurasiya #बालविवाह #girl
Anshu Mishra
Deepak Aggarwal
पेन्सिल रहने दो हाथों में चौका बेलन न थमाओ माँ मुझे स्कूल ड्रेस में सजने दो घूंघट,चुन्नी न ओढ़ाओ माँ न हाथ रंगों हल्दी,मेहंदी से इन्हें स्याही से रंग जाने दो माँ नींव बनूँगी दो-दो घर की पैरों पर खड़ी हो जाने दो माँ स्कूल के जूते मौजे दीलवादो पायल,महावर के खूंटे से न बांधो माँ नन्ही चिड़िया मैं उड़ना चाहूँ सपनों के पंख फैलाने दो माँ बस्ते का बोझ उठा लुंगी रिश्ते कैसे संभालूंगी माँ भाभी,बहु अभी नहीं बनना डॉ.,इंजी. बन जाने दो माँ विवाह के मंगल गीत न गाओ खुद समझो सबको समझा दो माँ क,ख,ग,A,B,C के सुर से प्रेम मुझे पढ़ लिख आगे बढ़ जाने दो माँ #बालविवाह #बेटीपढ़ाओ
Sekhar Bhakta
Kumar Ashok
अच्छा था वो बाल-विवाह वाला दौर जहां माँ-बाप को जलील नहीं होना पड़ता था #बालविवाह #माँ #बाप #दौर #कुमार_अशोक