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Bharat Bhushan pathak
Unsplash फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया। गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।। तुमने सिद्ध यह किया है,असंभव कुछ भी है नहीं । निहार के सागर बैठे,पाया मोती भला कहीं। उम्र महत्व न रखता है,केवल मोल प्रयत्नों का। न मोल लोटे के जल का,मोल प्राप्ति के यत्नों का।। मुखड़ा-फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया। गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।। फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया। गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।। अंतरा-तुमने सिद्ध यह किया है, असंभव कुछ भी है नहीं । निहार के सागर बैठे, पाया मोती भला कहीं। श्रम से तुम गुकेश अपने,लक्ष्य साध हिय हर्षाया । टेक-*फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया!* फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया, गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया। दूसरा अंतरा- नहीं ज़रूरी पढ़ना ही,आज खेल भी उत्तम है। पढ़ना लिखना ही अब ना,खेल भी सर्वोत्तम है। नहीं ज़रूरी पढ़ना ही,आज खेल भी उत्तम है। पढ़ना लिखना ही अब ना,खेल भी सर्वोत्तम है। तुमने सिद्ध यह किया है,असंभव कुछ भी है नहीं । टेक- *निहार के सागर बैठे,पाया मोती भला कहीं।* तुमने सिद्ध यह किया है,असंभव कुछ भी है नहीं , निहार के सागर बैठे,पाया मोती भला कहीं। तीसरा अंतरा-उम्र महत्व न रखता है,केवल मोल प्रयत्नों का। न मोल लोटे के जल का,मोल प्राप्ति के यत्नों का।। उम्र महत्व न रखता है,केवल मोल प्रयत्नों का। न मोल लोटे के जल का,मोल प्राप्ति के यत्नों का।। ©Bharat Bhushan pathak #leafbook#nojotohindi#hindipoetry#मानव_छंद#poetry#hindi_kavita poetry quotes poetry on love poetry in hindi hindi poetry poetry lovers
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read moreDr.Gopal sahu
White जब मैं अकेला था... मैं कल भी अकेला था, मैं आज भी अकेला हूं, मंज़िल के तलाश में, संघर्ष के पथ पर चला हूं। बंजर जिस्म में शिद्दत-ए-तिश्नागी से लड़ने लगा हूं। कतरा – कतरा बहे आंसुओं को पीने लगा हूं।। नहीं मिली खुशी तो गमों के साये में जीने लगा हूं। कोरे कागज़ पर लहू से जीवन उकेरने लगा हूं ।। बिकते इंसाँ को देख अरमानों को दफनाने लगा हूं। मुर्दों के शहर में कफ़न का हिसाब रखने लगा हूं।। आलम ये है कि खुदगर्जों पे किताब लिख रहा हूं, बदलते हर मौसम का मिजाज लिख रहा हूं। ©Dr.Gopal sahu #Sad_shayri #hindi_kavita #hindi_gajal
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read morePragati Singh " Sappy "
White जिंदगी जब भी बेअसर हुई है कहां किसी को खबर हुई है। ©Pragati Singh " Sappy " #alone_sad_shayri #loveshayripoetry #hindi_shayari #twoliner #hindi_kavita
Yogendra Nath Yogi
Rashi
हम कहां हैं इसकी तो अब हमे भी नही है खबर सब कुछ धुंधलासा है न जाने कहा खो गई है डगर चल पड़े है कदम अकेले तैय करने हजारों मिलो का सफर जहां न तो कोई राह न राहगूजर और ना ही कोई हमसफर - राशि हमसफ़र #alone #hindi_shayari #Shaayari #Shayari #urdushayari #hindi_poetry #hindi_kavita #RakeshShinde
हमसफ़र #alone #hindi_shayari #Shaayari Shayari #urdushayari #hindi_poetry #hindi_kavita #RakeshShinde
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Yogendra Nath Yogi
Yogendra Nath Yogi
Yogendra Nath Yogi
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