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कवि राहुल पाल 🔵

मैंने पूछा एक बालक से ईमान धरम क्यो बेच दिया , चंद सिक्को के सौदे में भारत माता को ही बेच दिया ! बोला बाबू जी पेट के ख़ातिर अपना बचपन बेच दिया , जो प्राण से प्यारा देशप्रेम था तिरंगे में ही बेच दिया ! जब मेरी माँ अपने बच्चों की भूख नही सह पायी तो , आँखों में बस अश्क़ छुपा माँ ने अपना तन बेच दिया ! बात समझ मे आ गयी क्यो उसने सब कुछ था बेच दिया , क्यो धैर्य व सयंम को किसान ने लहू में था बेच दिया ! #nojotohindi #nojotonews #राहुल #सौदा #सौदा_ईमान_का #सामाजिक_व्यथा

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सौदा 
मैंने पूछा एक बालक से ईमान धरम क्यो बेच दिया ,
चंद सिक्को के सौदे में भारत माता को ही बेच दिया !
                                                          बोला बाबू जी पेट के ख़ातिर अपना बचपन बेच दिया ,               (सच्ची घटना पर आधारित )
 जो प्राण से प्यारा देशप्रेम था तिरंगे में ही बेच दिया !!    
                                                    जब मेरी माँ अपने बच्चों की भूख नही सह पायी तो ,                        ((( सौदा ईमान का )))
                                                आँखों में बस अश्क़ छुपा माँ ने अपना तन बेच दिया !                             ~{{{ राहुल }}}~
                                                         बात समझ मे आ गयी क्यो उसने सब कुछ था बेच दिया ,               MUST READ PLIZ 🙏🏽
क्यो धैर्य व सयंम को किसान ने लहू में था बेच दिया !
जब नाप गले का लेकर दोस्त ने दोस्ती में ही घात किया 
थोड़े सिक्को के खातिर जब उस गुलशन को ही था बेच दिया !
अब नफरत की दीवार खड़ी थी हर घर के हर आंगन में ,
जहाँ खुशी थी परिवारों की जब वो प्रेम का उपवन बेच दिया !
ईमान सत्य अहिँसा की नीलामी में चौराहे पर इंसानो ने ,
जो आदर्श रहा जीवन का जब उन आदर्शो को ही था बेच दिया !
जो थे कभी देश के गौरव समृद्धि जिनसे नजरें न हटती थी ,
उस सत्ताधारी ने सत्ता पाकर धरती का आँचल ही बेच दिया !
उस बच्चे के जज्बातों और जज्बों को झुककर मैंने सलाम किया ,
बस कुछ रुपये और किताबें उसको उपहार स्वरूप प्रदान किया ! मैंने पूछा एक बालक से ईमान धरम क्यो बेच दिया ,
चंद सिक्को के सौदे में भारत माता को ही बेच दिया !
                                                          बोला बाबू जी पेट के ख़ातिर अपना बचपन बेच दिया ,
 जो प्राण से प्यारा देशप्रेम था तिरंगे में ही बेच दिया !
 जब मेरी माँ अपने बच्चों की भूख नही सह पायी तो ,
आँखों में बस अश्क़ छुपा माँ ने अपना तन बेच दिया !
बात समझ मे आ गयी क्यो उसने सब कुछ था बेच दिया ,
क्यो धैर्य व सयंम को किसान ने लहू में था बेच दिया !


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