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Asha...#anu
हुस्न का यूँ न व्यापार कर। खुबसूरती यूँ न नीलाम कर। कर के जिस्म का प्रदर्शन, अश्लीलता की हद पार न कर। माना की आजादी है तेरी, औरों के बरबादी का कारण न बन। जगा कर हैवान को, विपदा न निर्माण कर। लज्जा नही तो औरों के लज्जा का लिहाज कर। नारीत्व को यूँ न बदनाम कर। फैशन के नाम पर, संस्कारों का बलिदान न कर। मत भूल हुस्न तेरा भी अस्त हो जाएगा। तेरे भी हर कर्म का हिसाब होगा। यूँ न जीवन मस्ती में बर्बाद कर। मत कर नेकी, पर यूँ न अश्लीलता की गंदगी निर्माण कर! ©Asha...#anu यें उन लडकियों के लिए है, जो अपने आजादी के नाम पर अश्लीलता फैला रही है, कहीं न कहीं यह भी कारण है जो आज बलात्कार बढ़ रहे है। माना की नजर शुद्ध हो। लेकिन हर किसी की नजर पवित्र नही होती,फैशन करो पर अश्लीलता की हद पार न हो। #अश्लीलता #सामाजिक_व्यथा #सामाजिकजागरूकता #नोजोटोहिंदी #nojotowriters
कवि राहुल पाल 🔵
सौदा मैंने पूछा एक बालक से ईमान धरम क्यो बेच दिया , चंद सिक्को के सौदे में भारत माता को ही बेच दिया ! बोला बाबू जी पेट के ख़ातिर अपना बचपन बेच दिया , (सच्ची घटना पर आधारित ) जो प्राण से प्यारा देशप्रेम था तिरंगे में ही बेच दिया !! जब मेरी माँ अपने बच्चों की भूख नही सह पायी तो , ((( सौदा ईमान का ))) आँखों में बस अश्क़ छुपा माँ ने अपना तन बेच दिया ! ~{{{ राहुल }}}~ बात समझ मे आ गयी क्यो उसने सब कुछ था बेच दिया , MUST READ PLIZ 🙏🏽 क्यो धैर्य व सयंम को किसान ने लहू में था बेच दिया ! जब नाप गले का लेकर दोस्त ने दोस्ती में ही घात किया थोड़े सिक्को के खातिर जब उस गुलशन को ही था बेच दिया ! अब नफरत की दीवार खड़ी थी हर घर के हर आंगन में , जहाँ खुशी थी परिवारों की जब वो प्रेम का उपवन बेच दिया ! ईमान सत्य अहिँसा की नीलामी में चौराहे पर इंसानो ने , जो आदर्श रहा जीवन का जब उन आदर्शो को ही था बेच दिया ! जो थे कभी देश के गौरव समृद्धि जिनसे नजरें न हटती थी , उस सत्ताधारी ने सत्ता पाकर धरती का आँचल ही बेच दिया ! उस बच्चे के जज्बातों और जज्बों को झुककर मैंने सलाम किया , बस कुछ रुपये और किताबें उसको उपहार स्वरूप प्रदान किया ! मैंने पूछा एक बालक से ईमान धरम क्यो बेच दिया , चंद सिक्को के सौदे में भारत माता को ही बेच दिया ! बोला बाबू जी पेट के ख़ातिर अपना बचपन बेच दिया , जो प्राण से प्यारा देशप्रेम था तिरंगे में ही बेच दिया ! जब मेरी माँ अपने बच्चों की भूख नही सह पायी तो , आँखों में बस अश्क़ छुपा माँ ने अपना तन बेच दिया ! बात समझ मे आ गयी क्यो उसने सब कुछ था बेच दिया , क्यो धैर्य व सयंम को किसान ने लहू में था बेच दिया !
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