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Jyotsna Joshi
मैने सही कहा न ©Jyotsna Joshi #प्रेम #प्रेम3शब्दोंमें #प्रेम_क्या_है love shayari
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read moreAndy Mann
White जब तुम वासना से किसी को देखते हो, व्यक्ति खो जाता है, वस्तु हो जाती है। इसलिए वासना की आंख को कोई पसंद नहीं करता। जब वासना खो जाती है तो सौंदर्य का अनुभव होता है। और जब सौंदर्य का अनुभव होता है, तो तुम्हारे भीतर प्रेम का आविर्भाव होता है। प्रेम उस घड़ी का नाम है, जब तुम्हें सब जगह परमात्मा और उसका सौंदर्य दिखाई पड़ने लगता है। तब तुम्हारे भीतर जो ऊर्जा उठती है, जो अहर्निश गीत उठता है–वही प्रेम है। ©Andy Mann #प्रेम_क्या_है Neel ɴᴀᴅᴀɴ_______ᰔᩚ________√ Bitterone_me Sonia Anand Ravi Ranjan Kumar Kausik
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read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
प्रेम क्या है ? एक छलावा या एक चरित्र ? comment में जरूर बताए इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी को बर्बाद करते हैं कभी नही इसलिए छलावे वाले व्यवहार से जिस पल इंसान बहार आयेगा और विचार करेगा की एक से मिले प्रेम में बर्बाद होना सही हैं या सभी से मिले प्रेम चरित्र को पाना वो सही है ये आपको खुद समझना होगा सही क्या है प्रेम त्याग हैं जिसमे आप को पाने की चिंता नही होनी चाहिए बस उस प्रेम में मिलजाना समर्पित होना ही एक मात्र प्रेम पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप बिना हादो में रहकर ही पा सकते है या उसमे मिल सकते है अनंत तक। ©Ankur Mishra प्रेम क्या है ? एक छलावा या एक चरित्र ? comment में जरूर बताए इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी
प्रेम क्या है ? एक छलावा या एक चरित्र ? comment में जरूर बताए इश्क व प्यार एक पूर्ण चरित्र हैं जिसे आप अपने घर में अलग अलग ब्यावहार के रूप में पाते है बचपन से पर बर्बादी वहा सुरु हो जाती है जहा आप एक व्यक्ति विशेस के व्यवहार को ही प्यार समझ बैठते हैं और उम्मीदों की हद खुद तय करने लगते है और भूल जाते है जहा लोभ यानी उम्मीद जहा हद हो वहा प्रेम कहा असली प्रेम चरित्र वो हैं जो बूंद बूंद हर रिस्तो से मिलती हैं परिवार दोस्तो गुरु इत्यादि सभी से इसलिए जब प्रेम परमात्मा से भी लोग करते हैं क्या वो किसी
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