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Ashutosh Mishra
Village Life मेरागांव बड़ी शांती और सकून है जहां,,,,,,,,,,, खुला साफ-सुथरा वातावरण और ताजी हवा है जहां वही गांव है मेरा जहां बड़े सबेरे पनघट पर पनिहारिन पानी भरतीं है जहां सुबह शाम ग्वाले गइया चराने जातें है ,,, वही गांव है मेरा जहां आज भी फागुन में फगुआ गाया जाता है जहां आज भी प्रधान की चौपाल सजाई जाती है वही गांव है मेरा ऐसा नहीं कि केवल पुरानी स्मृतियां ही जिंदा है स्कूल कालेज औषधियालय से भी वंचित नहीं वही गांव है मेरा हर नई तकनीक से भी हमारा नाता है हल मूसल के साथ साथ ट्रेक्टर भी हमे भाता है वही गांव है मेरा नई पुरानी सभ्यता का मिलजुला परिवेश यहां आध्यातम और संस्कार का लगता मेला यहां वही गांव है मेरा अलफाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #villagelife बड़ी शांति और सुकून है जहां खुला साफ-सुथरा वातावरण और ताजी हवा है जहां वही गांव है मेरा #गांव #मेरा_गाँव #सपनोकागांव #वहीगांवहैमेरा Bhardwaj Only Budana cute pari PФФJД ЦDΞSHI Babli BhatiBaisla ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
Vijay Kumar
पलायन की पीड़ा से उजड़ता मेरा गाँव न अब बातों की चौपाल न रही वो पेड़ों की छांव फसलों से लहराते वो खेत हुए अब बंजर उजड़ा खुशहाल गाँव और मकान हुए खंडहर......... ©Vijay Kumar #मेरा_गाँव #nojotoquetos #hindicommunity #NojotoFamily #hindilovers #hindi_poem
मलंग
बसा के रूप रेखा गांव की, शहर के किसी किनारे लोग पैसे कमा रहे है, फिर भी पता नही क्यों लोग गांव छोड़ छोड़ पैसे कमाने शहर जा रहे है ©मलंग #मेरा_गाँव
Raj Guru
दिल की धड़कन बढ़ रही है मेरा गांव आ रहा है, सुनकर खबर मेरे आने की कोई नंगे पांव रहा है..! चल रहा हूं धूप में नंगे बदन कब से मैं, मुद्दतों बाद सकून का अब छांव आ रहा है..!! ©Rajendra Prasad Dohare #मेरा_गाँव Neeraj RAHUL KUMAR Rahul Bhardwaj शीतल चौधरी Aftab
Manish Kumar
वो हमदर्दी, वो अपनापन भी कहीं खो गया है। सच कहती हो निहारिका, मेरा गाँव भी अब शहर हो गया है।। #गाँव #शहर #मेरा_गाँव #yqdidi #yqbaba #yqhindi #YourQuoteAndMine #ch_सौमित्र Collaborating with निहारिका नीलम सिंह
i am Voiceofdehati
हां_मैं_गांव_हूं.... (कुछ पुरानी यादें ताजा कर रहा हूं जिसे शायद तुम भूल गए....) #मै_गाँव_हूँ हाँ... वही पुराना गाँव जहाँ कभी पूरे गाँव की दाल एक ही कुएँ के पानी से गलती थी. जब सब्जी के मसाले सील-बट्टे पर पिसे जाते थे. जब बच्चे गर्मियों की दोपहर आम के बगीचे में ओल्हा-पताई खेलते थे और शाम को गेँहू के कटे खेत मे बनी पिच पर अपने हाथ से बने लकड़ी के बल्ले से क्रिकेट होता था.. जहाँ गर्मी की छुट्टी में मामा के घर जाने का प्रचलन हुआ करता था । जब गर्मी के लू में पूरा दिन आमों के बागों में बीतता था। जब बरसात में उँची कूद और लंबी कूद, कब्बडी हर खलिहान में मंसायन रहती थी.
Gaurav's write
saloni toke alfazon ki khumari
भीड़ वाला शोर हर उम्र का ये दौर ©saloni toke alfazon ki khumari #मेरा_गाँव
PS T
गांव से निकले शहर की और गांव से अच्छा करेंगे कुछ और पर अब लगता है जितना खोया है उसके मुकाबले नहीं पाया है सुकून तो आज भी गांव जाकर ही आया है.. #मेरा_गाँव #सुकून #शहर #@pra