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Sanjeev0834
इतने दुःख है मयस्सर हमें मत पूँछे आँख खुलती ही नहीं नमी की बदौलत. Don't ask me how much pain I have My eyes are not able to open due to the moisture. ©Sanjeev0834 इतने #दुःख है #मयस्सर हमें मत #पूँछे #आँख #खुलती ही नहीं #नमी की #बदौलत. #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #Nojoto Extraterrestrial life sad urdu poetry urdu poetry sad love poetry in hindi poetry
malay_28
White जला वो रात भर तिल तिल अँधेरे में पड़ा तन्हा मयस्सर कब चिरागों को पलक भर रोशनी होती. ©malay_28 #मयस्सर कब रोशनी होती
#मयस्सर कब रोशनी होती
read moreRabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे कब कहाँ कैसे यकीनन मिला जाये, मयस्सर में तेरे ख्वाब कही मुकम्मल हो तो हो, अब यार तेरे तलब की दुहाई क्या देता मैं, कभी यार गैरइरादतन कभी ऐसे भी तो मिले होते ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे कब कहाँ कैसे यकीनन मिला जाये, मयस्सर में तेरे ख्वाब कही मुकम्मल हो तो हो, अब यार तेरे तलब की दुहाई क्या देता मैं, कभी यार गैरइरादतन कभी ऐसे भी तो मिले होते ." --- रबिन्द्र राम #यकीनन #मयस्सर #ख्वाब #मुकम्मल
paras Dlonelystar
दर्द पिघल कर ए दिल,अश्क़ बनते होंगे हम सीधे साधे से कहाँ,रश्क बनते होंगे तुम चाहो तो छँट जाए,गम के घने ये बादल खैर जलना ही है मयस्सर पर कहाँ राख बनते होंगे ©paras Dlonelystar #sadak #parasd #शायरी #मयस्सर #रस्क #राख
अदनासा-
एक अजनबी
मैं तूफ़ान-ए-दरिया से ग़ाफ़िल न था मयस्सर मगर मुझ को साहिल न था शनासा बहुत थे मगर भीड़ में मिरे हाथ को हाथ हासिल न था जिसे तुम ने माना गुनहगार है वो मजबूर था मेरा क़ातिल न था मुझे क़त्ल इस ज़िन्दगी ने किया मिरी मौत में कोई शामिल न था..! 🙂🙂🙃🙂🙂 ©एक अजनबी #अकेलापन #ग़ाफ़िल : बेखबर #मयस्सर : उपलब्ध, नसीब #शनासा : पहचान वाले R K Mishra " सूर्य " Sunita Pathania Rama Goswami shivmere PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' shivmere भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन kudi the swag Sethi Ji kuch pal zindagi ke quotesofpainofficial Jack Sparrow Dikesh Kanani (Vvipdikesh) Badal Singh Kalamgar Babli BhatiBaisla Sweety mehta VIKKI Rama Goswami nita kumari Mili Saha Ayesha Aarya Singh Shabd_siya_k Lalit Saxena Niaz (Unknown) VIPUL KUMAR Sakshi Mishra poonam atrey Heen
#अकेलापन #ग़ाफ़िल : बेखबर #मयस्सर : उपलब्ध, नसीब #शनासा : पहचान वाले R K Mishra " सूर्य " Sunita Pathania Rama Goswami shivmere PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' shivmere भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन kudi the swag Sethi Ji kuch pal zindagi ke quotesofpainofficial Jack Sparrow Dikesh Kanani (Vvipdikesh) Badal Singh Kalamgar Babli BhatiBaisla Sweety mehta VIKKI Rama Goswami nita kumari Mili Saha Ayesha Aarya Singh Shabd_siya_k Lalit Saxena Niaz (Unknown) VIPUL KUMAR Sakshi Mishra poonam atrey Heen
read moreRabindra Kumar Ram
" मैं तुझसे मयस्सर हों भी तो क्या ? अभी हमारे खसारे की बात उम्दा हैं क्या ? मैं तुझे हासिल हों भी जाऊ तो क्या , फिर रकीब का ख्याल तुझपे मुरफ़्फ़ा कैसे हो जायेगा ? " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मैं तुझसे मयस्सर हों भी तो क्या ? अभी हमारे खसारे की बात उम्दा हैं क्या ? मैं तुझे हासिल हों भी जाऊ तो क्या , फिर रकीब का ख्याल तुझपे मुरफ़्फ़ा कैसे हो जायेगा ? " --- रबिन्द्र राम #मयस्सर #खसारे #उम्दा #हासिल #रकीब #ख्याल #मुरफ़्फ़ा
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** जिरह *** " यूं सोचना तुझे मेरा लाजमी हैं , फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही , बेवक्त यूं ही तुझे मयस्सर किया करु , कभी तो मेरी बात तेरे लब पे भी आये सही ." तु फकत एहसास सा गुजराता कभी हमनशी , जैसे की चांद अभी अभी बादलों का सय लिया हो सही , तकब्बुर क्या करूं मैं कि अभी कुछ बात बन रही , यू सोचना तूझे मेरा लाजमी हैं , फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही , मेरे लहजों में तेरा आना अभी उस तरह मुक्कर हुआ ही नहीं , दे के सौगात तुम्हें उस तरह मना भी लु तो किसी का क्या जायेगा , तेरे दिल में मेरे लिए वो कसक कहीं घर बनाये तो सही , ये बात तेरे दिल से कहीं मुनासिब हो भी जायेगा , कभी आननफानन में दिल को किसी तरह जिरह कर के मानाये तो सही. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** जिरह *** " यूं सोचना तुझे मेरा लाजमी हैं , फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही , बेवक्त यूं ही तुझे मयस्सर किया करु , कभी तो मेरी बात तेरे लब पे भी आये सही ." तु फकत एहसास सा गुजराता कभी हमनशी ,
*** ग़ज़ल *** *** जिरह *** " यूं सोचना तुझे मेरा लाजमी हैं , फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही , बेवक्त यूं ही तुझे मयस्सर किया करु , कभी तो मेरी बात तेरे लब पे भी आये सही ." तु फकत एहसास सा गुजराता कभी हमनशी ,
read moreUttam Dixit
कहीं गहरे दफ़न दिल में, ये अफ़सोस रहने दो, मैं खामोश हूँ मुझको, अब खामोश रहने दो..!! खंजर से भी गहरा, ज़ख़म हर्फों का है लगता, ज़ुबानों में यहाँ शामिल, अभी ये जोश रहने दो..!! फ़क़त मतलब की ख़ातिर ही, रिश्ते हैं जमाने में, नशा-ए-खुदगर्ज़ी में सबको, यूँ ही मदहोश रहने दो..!! कभी दिल की ख़लिश मेरी, यहाँ समझा नहीं कोई, मेरी ज़द में यही बाक़ी, ग़म-ए-आग़ोश रहने दो..!! जाम-ए-ज़हर-ए-फ़ितरत अब, पिलाते रोज़ हैं साक़ी, है मयस्सर ये नशा मुझको, इन्हें तो होश रहने दो..!! उजड़ते हैं चमन हर रोज़, चुपचाप ज़माना देखे है, हाँ इनकी रगों में है पानी, इन्हें बे-ज़ोश रहने दो..!! जब भी कलम उठाता हूँ, "मतवाला" कर देती है, मुझे मेरी ही नज़्मों में, तुम ख़ानाबदोश रहने दो..!! *हर्फ़ = शब्द *फ़क़त = सिर्फ़ *नशा-ए-खुदगर्जी = मतलबपरस्ती का नशा *ख़लिश = चिंता *जाम-ए-ज़हर-ए-फ़ितरत = ज़हरीले स्वभाव के ज़हर का प्याला *साक़ी = शराब पिलाने वाला *मयस्सर = प्राप्त,हासिल *रग= नस,धमनी
*हर्फ़ = शब्द *फ़क़त = सिर्फ़ *नशा-ए-खुदगर्जी = मतलबपरस्ती का नशा *ख़लिश = चिंता *जाम-ए-ज़हर-ए-फ़ितरत = ज़हरीले स्वभाव के ज़हर का प्याला *साक़ी = शराब पिलाने वाला *मयस्सर = प्राप्त,हासिल *रग= नस,धमनी
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