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Best बद्रीनाथ Shayari, Status, Quotes, Stories

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MUKESH KUMAR

जय बाबा बद्री विशाल #बद्रीनाथ #Badrinathdham #ekvichar #Yatra

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MUKESH KUMAR

जय बद्री विशाल #बद्रीनाथ #Badrinathdham #ekvichar #Yatra

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बद्रीनाथ✍️

#mrbnp#mrbadri#बद्रीनाथ मेरे साथ - साथ अब चलता नहीं जो हो लेता था साथ मेरे अब इस शहर में, मिलता नहीं दिखता नहीं

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मेरे साथ - साथ 
अब चलता नहीं
जो हो लेता था 
साथ मेरे
अब इस शहर में,
मिलता नहीं 
दिखता नहीं 
मेरे साथ
कभी खेलता नहीं 
अब मेरी बात 
ये
चाँद सुनता नहीं

जो गली मुहल्ले में भी
 झलकता था
जो पानी में भी
चमकता था
जिसे चकोर पूरी रात
 निहारता था
मुझे घर के खिड़की से भी,
पुकारता था
अब इस शहर में,
मिलता नहीं
दिखता नहीं
मेरे साथ 
कभी खेलता नहीं
अब मेरी बात
ये
चाँद सुनता नहीं

©बद्रीनाथ✍️ #mrbnp#mrbadri#बद्रीनाथ
मेरे साथ - साथ 
अब चलता नहीं
जो हो लेता था 
साथ मेरे
अब इस शहर में,
मिलता नहीं 
दिखता नहीं

बद्रीनाथ✍️

ए जिन्दगी शिकायतें तो मुझे भी थी, तुझसे बहुत ! ,क्योंकि तूने- मुझे भी कम नहीं रुलाया है मगर हर बुरे वक़्त में , मैंने कुछ पल सब्र करके देखा है और उन सभी बुरे वक़्त को, तूने मेरे लिए सबसे बेहतर-

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ए जिन्दगी 
शिकायतें तो मुझे भी थी,
तुझसे बहुत ! ,क्योंकि तूने-
मुझे भी कम नहीं रुलाया है
मगर  हर  बुरे  वक़्त में , मैंने
कुछ पल सब्र करके देखा है
और उन सभी बुरे वक़्त को,
तूने मेरे लिए सबसे बेहतर-
 वक़्त बनाया है । ए जिन्दगी 
शिकायतें तो मुझे भी थी,
तुझसे बहुत ! ,क्योंकि तूने-
मुझे भी कम नहीं रुलाया है
मगर  हर  बुरे  वक़्त में , मैंने
कुछ पल सब्र करके देखा है
और उन सभी बुरे वक़्त को,
तूने मेरे लिए सबसे बेहतर-

बद्रीनाथ✍️

जो लिख रहा हूं , शायद बुरा लगे आपको मगर सच कहूं तो आधुनिकता के पीछे हम सभी अन्धे हो गये है ऐसा नहीं कि आप गलत हो आज reality को छोड़ कर, इस दिखावे की जिंदगी में

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जो लिख रहा हूं ,
शायद बुरा लगे आपको
मगर सच कहूं तो
आधुनिकता के पीछे 
हम सभी अन्धे हो गये है
ऐसा नहीं कि आप गलत हो
आज reality को छोड़ कर,
इस दिखावे की जिंदगी में 
हम सभी का अहम् योगदान है
क्योंकि मंदिर जाना -
Waste Of Time
होली में रंग खेलना -
Feeling Embarrassment
दिवाली में पटाख़े फोड़ना
Increasing Of pollution
हिन्दू नव वर्ष कब है ?
Never heard it before
But
अंग्रेजी नया साल मनना
Everyone is celebrating,
 why should i stay back
क्रिसमस मनना
It's Show modernity
ईद पर सभी को बधाई देना
It shows the brotherhood of us
मैं ये नहीं कहता ,
कि सबके ख़ुसी में ,सामिल नहीं होना है
मेरा तो बस ये कहना है 
जिस जोश और उल्लाश के साथ ,
हम सभी के पर्व -तैव्हार को मानते है
ठीक उसी प्रकार 
हम अपना नव-वर्ष,अपना दिवाली
और होली बिना कोई शर्मिंदगी के-
धूम-धाम से मनाए 
नहीं तो एक दिन ,अपने पर्व-तैव्हार
इतिहास बनकर रह जायेगा ।

                                  -  बद्रीनाथ

©बद्रीनाथ✍️ जो लिख रहा हूं ,
शायद बुरा लगे आपको
मगर सच कहूं तो
आधुनिकता के पीछे 
हम सभी अन्धे हो गये है
ऐसा नहीं कि आप गलत हो
आज reality को छोड़ कर,
इस दिखावे की जिंदगी में

बद्रीनाथ✍️

अच्छा सुनो ...............ये नहीं कहूंगा, तुम्हारे आने से सबकुछ ठीक हो गया उलझी थी मेरी जिंदंगी एक गांठ सी ये भी नहीं कहूंगा,वो गांठ सुलझ गया कल जैसा था ,देखो आज वैसा ही हूँ ऐसा नहीं कि मेरा किस्मत बदल गया मगर एक बात कहना चाहूंगा, तुमसे पहले जो मेरी सुबह-शाम एक रंग थी

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अच्छा सुनो ...............ये नहीं कहूंगा,
तुम्हारे आने से सबकुछ ठीक हो गया
उलझी थी मेरी जिंदंगी एक गांठ सी
ये भी नहीं कहूंगा,वो गांठ सुलझ गया
कल जैसा था ,देखो आज वैसा ही हूँ
ऐसा नहीं कि मेरा किस्मत बदल गया
मगर एक बात कहना चाहूंगा, तुमसे
पहले जो मेरी सुबह-शाम एक रंग थी
अब मेरी हर पहर , सतरंगी हो गई है
पहले उदास, सुस्त और शांत सा था
सुनता हूं-मेरी आदते सारार्थी हो गई है
पहले समय जल्दी- कभी देर से कटता
मगर अब उससे अच्छी दोस्ती हो गई है
जो पहले सबकुछ बेस्वाद सा लगता था
देखो आज वो सबकुछ टेस्टी हो गई है
 अब मुझे तुम्ही बताओ , मैं कैसे कहु ?
तुम्हारे आने से मुझमें कुछ नही बदला
वो चाल न बदली,या बोल-चाल न बदली
कैसे कह दू ....कि मेरी अंदाज न बदली
मेरी रहन-सहन ,या वो भाव न बदली
कैसे कह दू ,कि मेरी आवाज़ न बदली
मेरी धुन न बदली, या शौक न बदले
कैसे कह दू ,कि मेरी मौज न बदली । अच्छा सुनो ...............ये नहीं कहूंगा,
तुम्हारे आने से सबकुछ ठीक हो गया
उलझी थी मेरी जिंदंगी एक गांठ सी
ये भी नहीं कहूंगा,वो गांठ सुलझ गया
कल जैसा था ,देखो आज वैसा ही हूँ
ऐसा नहीं कि मेरा किस्मत बदल गया
मगर एक बात कहना चाहूंगा, तुमसे
पहले जो मेरी सुबह-शाम एक रंग थी

बद्रीनाथ✍️

सुन...तू चली गई ना ? अब"मुझे तू खुद में उलझा रहने दे" #mrbadri#बद्रीनाथ pooja negi# deepshi bhadauria Suman Zaniyan vinodsaini Sachin Ahir

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मुझे तू खुद में उलझा रहने दे, सुन...तू चली गई ना ?
अब"मुझे तू खुद में उलझा रहने दे"
अब मुझे सुलझाने की कोशिश न कर
अब तू छोड़ ,मैं जहाँ भी हूं बिलकुल सही हूं
अब मुझे ,कही और उलझाने की कोशिश न कर 
अब तू जा ,जो चाहिए था सबकुछ मिल गया न तुझे ?
अब बार-बार आकर मुझे बहलाने की कोशिश न कर । सुन...तू चली गई ना ?
अब"मुझे तू खुद में उलझा रहने दे"
#mrbadri#बद्रीनाथ

 pooja negi# deepshi bhadauria  Suman Zaniyan vinodsaini Sachin Ahir

बद्रीनाथ✍️

सुन ......तू दूर है ना ? मुझे तू खुद में उलझा रहने दे, #mrbadri#बद्रीनाथnojoto#nojotonews Ritika suryavanshi pooja negi# "गुमनाम" Suman Zaniyan LoVe YoU #

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मुझे तू खुद में उलझा रहने दे, सुन ......तू दूर है ना ?
मुझे तू खुद में उलझा रहने दे,
मुझे सुलझाने की कोशिश न कर
और ,मैं जहाँ भी हूं बिलकुल ठीक हूं
अब तू कही और उलझाने की कोशिश न कर 
अब तू जा ,जो चाहिए था सबकुछ मिल गया तुझे ?
अब बार-बार आकर मुझे बहलाने की कोशिश न कर । सुन ......तू दूर है ना ?
मुझे तू खुद में उलझा रहने दे,
#mrbadri#बद्रीनाथ#nojoto#nojotonews Ritika suryavanshi pooja negi# "गुमनाम" Suman Zaniyan LoVe YoU #

बद्रीनाथ✍️

सच कहूं तो ,चाय के साथ मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया जब तक "मैं" अपनों के साथ था तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया । अब सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं इसलिए चाय अपना रंग दिखाने लगा है

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दिसंबर, चाय और ठंड सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

अब सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
इसलिए चाय अपना रंग दिखाने लगा है
हर-सुबह मुझे अपने पास बुलाने लगा है । सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

अब सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
इसलिए चाय अपना रंग दिखाने लगा है

बद्रीनाथ✍️

सच कहूं तो ,चाय के साथ मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया जब तक "मैं" अपनों के साथ था तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया । सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है

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दिसंबर, चाय और ठंड सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है
मुझे हर- सुबह अपने पास बुलाने लगा है । सच कहूं तो ,चाय के साथ 
मेरा कभी गहरा रिश्ता न बन पाया
जब तक  "मैं" अपनों के साथ था
तब तक मुझे कोई दूसरा न भाया ।

सच कहूं तो, अभी अपनों से दूर हूं
या दिसंबर की ठंड से मजबूर हूं
अब तो चाय अपना रंग दिखाने लगा है
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