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Deepali Singh
White My mind's a maze, my vision unclear A blurred reality, a distorted fear But still I seek, through the haze and the din To find the truth, and speak from within...! ©Deepali Singh #blur
Anchal
Future is like blurry picture you can't see future from present right. but you can create it... ©Anchal #Dhund #blur
Sushma
मेरी आखों पर आजकल परदा पर गया है मूझे सब कुछ बल्र (blur) दिखाई देता हैं ये परदा है रिश्तो का जो इलाज कराउंगी तो रिश्ते टूट जाएंगे और ना कराया तो मैं बिखर जाउंगी... ©Sushma #WoRaat #blur #Relationship
Sangeeta Singh
एक धुंधली सी तस्वीर तेरी और धुंधली सी है यादें, कोई भूल भी जाए तुझको पर कैसे भूले तेरे वादें... ©Sangeeta Singh #blur #image #story #Trending #words #Nojoto #Quote
Shweta Gupta
Dust was not in the air, it was in my eyes that'swhy everything was looking blur !! #dust #eyes #blur #yopowrimo #quoteliners #oneliners #yqbaba
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read moreFunny Singh🐼
अब तो background blur effect use करने की हद ही हो गई। अब एक बंदा ताजमहल पहुंचकर सेल्फी लेता है और background blur😂😂😂 तालियाँ👏👏👏👏 #blur #background #funnysingh #funny #yqbaba #yqdidi #fun #jokes
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read moreAprasil mishra
"कृष्ण जीवन में राधा और रुक्मिणी तुलनात्मक साहित्य : एक कलंक" हमारे समाज के नायकों के अतीतीय जीवन वृत्तान्तों को साहित्य अथवा लेखन जगत उनके वास्तविक व गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अथवा मूल अधिकारों को लेकर रूढ़िवादी मनोदशाओं में पूर्वाग्रहों का शिकार क्यों बनाता रहा है? सत्य के कटु होने को साहित्यिक स्वीकार्यता प्रदान करना जायज़ है, परन्तु उसे मिथ्यावाद के शिलखण्डों पर किसी विशिष्ट वर्चस्ववाद के अभिलाषाओं की प्रतिपूर्ति हेतु बलात्लेखित किया जाना कदापि नहीं। बात आदिकाल की हो या रीतिकाल की हो अथवा मध्य आधुनिक एवं वर्तमान की हो, समस्त कालखण्डों के
हमारे समाज के नायकों के अतीतीय जीवन वृत्तान्तों को साहित्य अथवा लेखन जगत उनके वास्तविक व गरिमापूर्ण जीवन के मौलिक अथवा मूल अधिकारों को लेकर रूढ़िवादी मनोदशाओं में पूर्वाग्रहों का शिकार क्यों बनाता रहा है? सत्य के कटु होने को साहित्यिक स्वीकार्यता प्रदान करना जायज़ है, परन्तु उसे मिथ्यावाद के शिलखण्डों पर किसी विशिष्ट वर्चस्ववाद के अभिलाषाओं की प्रतिपूर्ति हेतु बलात्लेखित किया जाना कदापि नहीं। बात आदिकाल की हो या रीतिकाल की हो अथवा मध्य आधुनिक एवं वर्तमान की हो, समस्त कालखण्डों के
read moreSandeep Suddarsi
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