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Best मिनट Shayari, Status, Quotes, Stories

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surendra kumar

* PV / BV की #झंझट नहीं । * प्रोडक्ट #बेचने की जरूरत नहीं । * #सेल्समेन बन कर नहीं रह जाना । * मर्ज़ी की #ब्रांड खरीदो ।

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Ramandeep Kaur

🍁 व्यक्तिगत स्तर पर बात करें तो सुबह के समय हर एक को अपने अपने काम पर जाने की जल्दी रहती है। ऐसे में meditation के बारे में कोई सोचना भी नहीं चाहेगा, हड़बड़ी के माहौल में शांति से बैठने की बात कोई कर भी कैसे सकता है भला। 😃😃
🍁पर सिक्के के दूसरे पहलू को देखें तो इस तरह सोच कर हम खुद का ही सबसे बड़ा नुकसान करते हैं। 😊

🍂 पहले तो कुछ समय एकाग्र चित्त होकर बैठने की practice करनी है।
🍂इसके लिए सुबह जितने बजे भी हम आमतौर पर उठते हैं, उससे करीब आधा घंटा पहले उठकर 15 - 20  मिनट में fresh/ready होकर, मात्र 5 मिनट प्रतिदिन आसन अथवा कुर्सी पर सीधे बैठ कर आसपास के शुद्ध माहौल को महसूस करते हुए आहिस्ता आहिस्ता नाक से सांस शरीर के अंदर और शरीर से बाहर लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को परस्पर करते हुए साँसों पर ध्यान केंद्रित करते रहना है। 
                                                             continue........ 

 #NojotoQuote #SitForMeditation

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह?  वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम

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Story of Sanjay Sinha 
 कई कहानियां उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर ही गुज़रती हैं। मेरी आज की कहानी भी मुझे उन्हीं रास्तों से गुजरती नज़र आ रही है। वज़ह? 
वज़ह हम खुद हैं। कई बार हम ज़िंदगी की सच्चाई से खुद को इतना दूर कर लेते हैं कि हमें सत्य का भान ही नहीं रहता। हम अपनी ही कहानी के निरीह पात्र बन जाते हैं।
अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि संजय सिन्हा तो सीधे-सीधे कहानी शुरू कर देते हैं, भूमिका नहीं बांधते। फिर आज ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी जो अपनी कहानी को उबड़-खाबड़ रास्तों पर छोड़ कर खुद आराम

Mukesh Poonia

Story of Sanjay Sinha स्कूल में मास्टर साहब मुझे पढ़ाते थे कि सूरज की किरणें जो धरती पर पहुंचती हैं वो आठ मिनट पुरानी होती हैं। ऐसी बातों पर मुझे हैरान होना ही होता था।  “आठ मिनट पुरानी? मतलब सूरज की जिस पहली किरण को हम यहां सुबह-सुबह देखते हैं, महसूस करते हैं, वो पहले घटी हुई घटना है?” “हां, पर तुम इतना चौंक क्यो रहे हो, संजय सिन्हा?”“सर, ये तो बहुत ही हैरान करने वाली जानकारी है। सूरज का अतीत हमारा वर्तमान है।”“बिल्कुल सही। इसे समय कहते हैं।” संजय सिन्हा थोड़ा समझते, थोड़ा उलझते। मैं अपन

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Story of Sanjay Sinha 
 स्कूल में मास्टर साहब मुझे पढ़ाते थे कि सूरज की किरणें जो धरती पर पहुंचती हैं वो आठ मिनट पुरानी होती हैं। ऐसी बातों पर मुझे हैरान होना ही होता था। 
“आठ मिनट पुरानी? मतलब सूरज की जिस पहली किरण को हम यहां सुबह-सुबह देखते हैं, महसूस करते हैं, वो पहले घटी हुई घटना है?”
“हां, पर तुम इतना चौंक क्यो रहे हो, संजय सिन्हा?”“सर, ये तो बहुत ही हैरान करने वाली जानकारी है। सूरज का अतीत हमारा वर्तमान है।”“बिल्कुल सही। इसे समय कहते हैं।”
संजय सिन्हा थोड़ा समझते, थोड़ा उलझते। मैं अपन

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