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Amit Singhal "Aseemit"
हम उस एक अदृश्य महा शक्ति की। पूजा, इबादत, अरदास या प्रेयर करें। आशय है निर्मल हृदय से भक्ति की। विनती करने व क्षमा माँगने से न डरें। ©Amit Singhal "Aseemit" #निर्मल
Pradyumn awsthi
निर्मल मन जन सो मोहि पावा,मोहि कपट छल छिद्र ना भावा । भावार्थ = वेद पुराणों में ईश्वर ने कहा है कि निर्मल,साफ और सरल स्वाभाव वाला मानव ही मेरे मन को भाता है अर्थात मुझे सबसे ज्यादा प्रिय लगता है लेकिन जो मानव अपने अंदर छल,कपट और अनेक प्रकार के बुरे भावों को अपने अंदर रखते हैं ऐसे मानव मुझे तनिक भी नहीं भाते हैं और ऐसे मानवों से में सदैव अप्रसन्न ही रहता हूं। ©"pradyuman awasthi" #निर्मल तन,मन
#निर्मल तन,मन
read moreranjit Kumar rathour
सब्बो जो मिली थी ट्रेन में मिली थी पहली बार एक इत्तेफाक था की उसे पूरे बोगी में मेरी पास वाली ही सीट मिली थी उसका रंग सांवला सा था सांवला भी नही काली ही थी उसपे पगली ने काजल लगा रखी थी एक बार क्या मिली जहा तहां मिल जाती कभी बस में तो कभी घोड़ा गाड़ी अब तो हद हो गयी मेले में भी मिल गयी मैंने भी ये काली कलूटी लगती पीछे पड़ गयी मैं भागता रहा और वो मिलती रही एक दिन उसने कह ही दिया तुम मूझे अच्छे लगते हो मैं क्या करता मुझे अच्छा लगता तब तो आखिर कर पिंड छूट ही गया लेकिन सालो बाद फिर उसी की कहानी दोस्तो को सुनाता हूँ क्यों जानते हो कोई दूसरी वैसी मिली नही जिसने आगे आकर कहा हो कि उसे मुझसे प्यार हो गया हैं मेरे दूर भगने पर भी करीब आयी हो ये कोई और नही थी ये निर्मल वर्मा कि बिट्टो छुट्टी वाली मेरी मेरी ट्रेन वाली सब्बो थी असली नाम सावित्री जिसे भूलना सभव नही था लिख डाला। ©ranjit Kumar rathour मेरी ट्रेन वाली सब्बो #निर्मल वर्मा की बिट्टो जैसी #poetry month
मेरी ट्रेन वाली सब्बो #निर्मल वर्मा की बिट्टो जैसी poetry month
read moreBiikrmjet Sing
जग में राम नाम हर निर्मला होर मैला सभ आकार।। अर्थ:- जगत में शरीर यानी सारा तन मैला है अगर निर्मल है तो वह है दसवां द्वार जिसमें प्रकाश रूप परमात्मा रूपी राम बस्ते हैं यानी हमारे नेत्रों व नैनो के साहमने परमात्मा बसते हैं।। ©Biikrmjet Sing #निर्मल
Kumar Gagan
यदि आप के मन में "जहर" नहीं है ,, तो.. आप के जेब में रखी - "जहर की शीशी" भी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती ...!! #निर्मल मन की आवाज़ - अपनी कलम ✒️ से.. ©Kumar Gagan #लव #Ka #Ka Ayesha Aarya kanishka Yogendra Nath Kumar Khushi masakali
Shreya Tripathi
प्रेम पतित पावनी काशी निर्मल,अविरल,आनंददायी गंगा धार अद्भुत घटा अकल्पनीय दृश्य धरोहर काशी शान.... सुबहे-काशी शाम-काशी घाट घटा निराली काशी काशी जन्म काशी मोक्ष काशी काशी हरे संताप कथा काशी महादेव सुनावे सुने सारा जग प्रेम पतित पावनी काशी निर्मल अविरल गंगा धार..... #NojotoQuote kashii....
kashii....
read moreVinay Shrivastava
रात में आसमान से उतरीं, अकुलाई सी शरमाई सीं, अपनी मंज़िल से अनजान, ठंडी हवाओं संग गुनगुनातीं, शांति और समपर्ण से भरीं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। किसी घास के तिनके पर, किसी फूल की पत्ती पर, या फिर सीधे मिट्टी पर, चाह नही थी कोई, ईश्वर की मर्जी में वो खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। धरती ने उनका स्वागत किया, जिससे भी उनका मिलन हुआ, उनकी सुंदरता थी बढ़ाई, जैसे कर दी हो सुंदर सी कढ़ाई, मांग नही करना कोई आया, बिना बोझ के साथ निभाया, फिर भी पहचान नही खोई, ध्यानमग्न सी बैठीं रहीं अपने सुख में खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर तपस्या का फल पाया, सुनहरा सूरज नभ में उग आया, उसकी आभा से हो गईं प्रकाशमान, सूर्य उनमें से झिलमिलाया, मोती सा उनको चमकाया, बिन मांगे था बहुत कुछ पाया, दिवाली सा उत्सव उन्होंने मनाया, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर जाने का वक़्त हो आया, छोटा सा जीवन क्या खूब जी पाया, धरती को था बहुत खूबसूरत बनाया, सीख लें हम जीने की कला इनसे, क्या खूब जीवन जीना सिखाया, लीन हो गईं अम्बर में फिर कहीं । थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। -Vinay #NojotoQuote ओस की बूंदे #Dewdrop #Life #Motivation
ओस की बूंदे #Dewdrop #Life #Motivation
read moreVinay Shrivastava
रात में आसमान से उतरीं, अकुलाई सी शरमाई सीं, अपनी मंज़िल से अनजान, ठंडी हवाओं संग गुनगुनातीं, शांति और समपर्ण से भरीं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। किसी घास के तिनके पर, किसी फूल की पत्ती पर, या फिर सीधे मिट्टी पर, चाह नही थी कोई, ईश्वर की मर्जी में वो खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। धरती ने उनका स्वागत किया, जिससे भी उनका मिलन हुआ, उनकी सुंदरता थी बढ़ाई, जैसे कर दी हो सुंदर सी कढ़ाई, मांग नही करना कोई आया, बिना बोझ के साथ निभाया, फिर भी पहचान नही खोई, ध्यानमग्न सी बैठीं रहीं अपने सुख में खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर तपस्या का फल पाया, सुनहरा सूरज नभ में उग आया, उसकी आभा से हो गईं प्रकाशमान, सूर्य उनमें से झिलमिलाया, मोती सा उनको चमकाया, बिन मांगे था बहुत कुछ पाया, दिवाली सा उत्सव उन्होंने मनाया, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर जाने का वक़्त हो आया, छोटा सा जीवन क्या खूब जी पाया, धरती को था बहुत खूबसूरत बनाया, सीख लें हम जीने की कला इनसे, क्या खूब जीवन जीना सिखाया, लीन हो गईं अम्बर में फिर कहीं । थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। -Vinay #NojotoQuote
Vinay Shrivastava
रात में आसमान से उतरीं, अकुलाई सी शरमाई सीं, अपनी मंज़िल से अनजान, ठंडी हवाओं संग गुनगुनातीं, शांति और समपर्ण से भरीं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। किसी घास के तिनके पर, किसी फूल की पत्ती पर, या फिर सीधे मिट्टी पर, चाह नही थी कोई, ईश्वर की मर्जी में वो खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। धरती ने उनका स्वागत किया, जिससे भी उनका मिलन हुआ, उनकी सुंदरता थी बढ़ाई, जैसे कर दी हो सुंदर सी कढ़ाई, मांग नही करना कोई आया, बिना बोझ के साथ निभाया, फिर भी पहचान नही खोई, ध्यानमग्न सी बैठीं रहीं अपने सुख में खोईं, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर तपस्या का फल पाया, सुनहरा सूरज नभ में उग आया, उसकी आभा से हो गईं प्रकाशमान, सूर्य उनमें से झिलमिलाया, मोती सा उनको चमकाया, बिन मांगे था बहुत कुछ पाया, दिवाली सा उत्सव उन्होंने मनाया, थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। फिर जाने का वक़्त हो आया, छोटा सा जीवन क्या खूब जी पाया, धरती को था बहुत खूबसूरत बनाया, सीख लें हम जीने की कला इनसे, क्या खूब जीवन जीना सिखाया, लीन हो गईं अम्बर में फिर कहीं । थीं वो ओस की निर्मल बूदें । धरती की गोद में आ गिरीं थीं ।। -Vinay #NojotoQuote