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Deepanshu Bhardwaj
ये जो पाँच-दस रुपए में तिरंगा खरीद लेते हो न, इसकी कीमत उससे पूछो जो इसमें लिपट कर घर आया हो, चार रंग होते है इसमें पांचवा तो उस वीर का लहू होता है, इतने दर्द सीने में लिए होता है फिर कहा रोता है, अरे पूछो कीमत उससे जिसने कंधे पर रख कर शाहिद को, अमर रहे का गीत गाया हो, तिरंगे की कीमत पूछो उस माँ से जिसने अपने लाल को इस देश के नाम लगाया हो। बहन की राखी भी तो अधूरी है, भाई की कलाई तो दुश्मन की छाती चिर रही है, कैसे इस गम में मुस्कुराना है ये हर वीर की बहन सिख रही है, अरे पूछो कीमत उस डाकिये से जिसने हर साल गीली राखी का लिफाफा सीमा पर पहुचाया हो, तिरंगे की कीमत पूछो उस बहन से जिसने अपने आसुयो से राखी का रंग बहाया हो उस पिता का क्या, जो दिवाली की मिठाई अकेले खरीद कर लाया हो, होली के रंग यूही हवा में उडाया हो, परिवार को बेटे की कमी न अखरे इसलिए बेटे का अभिनय भी निभाया है, अरे पूछो कीमत उस रात से जिसमे एक पिता ने जम के आसु बहाया हो, तिरंगे की कीमत पूछो उस पिता से जिसने एक बेटे के शहीद होने पर दूसरा बेटा जंग में लड़ाया हो। ये जो पाँच-दस रुपए में तिरंगा खरीद लेते हो न, इसकी कीमत उससे पूछो जो इसमें लिपट कर घर आया हो। #Jeevan_ka_gyaan #kavyapankh3
tanya sharma 18113
yuhi anjaan galiyo mai rasto per , sadko per nikal pada hu mai . savere ki talash mai rato se bhidane nikla hu mai . Happ Zindagi . #kavyapankh3 .
Sudhanshu Shukla
आज फिर से भीग गयी मेरी तकिया, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । तड़प उठा फिर से दिल निकल आए फिर ये आंसू थम गयी साँसे फिर, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । देखने लगा तेरी तस्वीरों को तेरी मुस्कान फिर निहारने लगा तेरे हाथों के कंगन की क़िस्मत को देख कोसने लगा मैं अपनी क़िस्मत को, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । इन आँसुओं की फिर वही शिकायत है और वही शिकवे हैं इन रातों के इन आहों की तकलीफ़ें भी वही हैं जो दस बरस पहले हुआ करती थी, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । इन बाहों को इंतज़ार है तुम्हारे आने का तुम सुनो इन धड़कनो की धुन को ये तुम्हारा राग ही गाया करती हैं और हर वक्त तुमको पुकारा करती हैं, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । एक फिर दिन बीत गया गुजर गया एक और साल नहीं बदला तो सिर्फ़ ये मेरा हाल जो कल भी तनहा था और आज भी, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । सड़क चलते अभी भी निहारता हूँ मैं तुझे ढूँढता हूँ आज भी, आज भी मैं सिर्फ़ तुझे ही चाहता हूँ हाँ रोता हूँ मैं आज भी, तुम्हारी याद में ख़ैर छोड़ो कौन सी नई बात है । #kavyapankh3 #kavyapankh
आशीष कुमार
कभी लेती बलाएँ है कभी लोरी सुनाती है नजर मुझको न लग जाए नजर टीका लगाती है बुराई लाख चाहे पर मेरा कुछ कर नहीं पाती मैं घर से जब निकलता हूँ दही चीनी खिलाती है #kavyapankh3
निर्भय निरपुरिया
प्रदीप
ये सर्द सुनहरी सुबह है, और ये सर्द सुनहरी सुबह है, और मैंने सफेद बर्फ पर ज़िन्दगी का नक्शा बनाया है। सूरज निकलेगा,बर्फ पिंघलेगी। नक्शा खत्म हो जाएगा। बस बाकी रह जाएंगे, मेरे जुनून के निशां। #Kavyapankh3
Saurabh Chauhan
कुछ खनकता रहता है ज़ेहन में लैपटॉप पर काम करने के बावजूद भी कही न कही से एक नज़्म या कोई ग़ज़ल आ जाती हैं मेरे पास चुकीं मैं दर्ज तो नही कर पाता कागज़ पे तो नज़र बचा कर हाथ पर चुपके से लिख लेता हूँ सारा दिन हाथ को बचा कर रखता हूँ नज़्म को संभाल के रखता हूँ के घर पहुँचूँ तो दर्ज करू अपनी डायरी में पर कमबख्त घर पहुँच नही पाता दफ्तर में ही रात कट जाती हैं। #kavyapankh3