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chahat

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, roti hu maa tumse 
chip-chipkar...
gujarti he raate 
ghut-ghutkar....
jane kitne armano se
 tune bida kiya tha.....
tadapti hu
 un khilono ko
dekh-dekhkar....
rakhna chaha tha risto ko
sahejkar
per haar gayi shikayato ki
thokar khakar......
muje maaf kar dena maa,
mene na chaha tha aisa manjar..
per
aj takdeer hi chali gayi 
muje thokar markar.......

chahat #Vo_Khilona

David Gupta

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, अचानक से मेरा बचपन मेरे आखो के सामने से गुजरने लगा #Vo_Khilona

shama Parveen

#Vo_Khilona

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हा हम काठपुतली है
jo jab chahe hame nachaye 
na koi khawahish aur na koi umeed
is say bahar nikalne ki
karte rahe lakh zatan hum per ro na sake hum #Vo_Khilona

Harshita Dawar

#Vo_Khilona #Deepthoughts #bachpan #feelings written by Harshita ✍️✍️ #jazzbaat बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उर खिलौने पर पड़ी बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखती रही। जैसे मेरा बचपन मुझे पुकार रहा था। जो छीन ली थी गुड़िया मेरी, मुझे पुकार रही थी। मेरी दबोचे गए सपनों की कहानी को दबी चिगारी को हवा दे रही थी। #poem

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी,  written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखती रही।
जैसे मेरा बचपन मुझे पुकार रहा था।
जो छीन ली थी गुड़िया मेरी, मुझे पुकार रही थी।
मेरी दबोचे गए सपनों की कहानी को दबी चिगारी को हवा दे रही थी।
मेरी वो बचपन जीने की तम्मनों को उड़ान दे रही थी।
मेरा नाम पुकार रही थी।मेरी गुड़िया मेरा बचपन याद दिला रही थी। #Vo_Khilona #Nojoto #Deepthoughts #Bachpan #Feelings
written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उर खिलौने पर पड़ी
बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखती रही।
जैसे मेरा बचपन मुझे पुकार रहा था।
जो छीन ली थी गुड़िया मेरी, मुझे पुकार रही थी।
मेरी दबोचे गए सपनों की कहानी को दबी चिगारी को हवा दे रही थी।

Om Prakash Bairwa

#Vo_Khilona #€

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, Toh Mujhe Aisa Laga ki vho Khilona khareed Lena chahie tha
OM  #€  BAIRWA #Vo_Khilona

Sonu Kumar Yadav

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, मुझे मेरी बेटी की याद हो आई, कि कैसे सुबह उसने कहा था ,"पापा मुझे खिलौना चाहिए मेरे लिए वह गुड्डा गुड़िया लाओगे ना! जो बाजार में मिलता है" मैं कुछ नहीं कह पाया था; मुझे बस उसकी खामोश ;उसकी मासूमियत को ;उसके प्यार से बोलने वाली अंदाज़ को देख रहा था।सुन रहा था, क्योंकि मैं बहुत गरीब हूं। जो की इतने पैसे नहीं हैं; जो महंगे-  महंगे खिलौने अपनी बिटिया रानी के लिए ला सकूं । मैं आज अपने ऊपर अफसोस जताता हूं ।अपनी किस्मत को कोसता हूं , कि ऐसी हालत क्यों है? क्यों मेरी हालत आज भी मेरी हालत बद से भी बदतर है। शाम होने को थी।  मैं उसी बाजार से गुजर रहा था।  उसी बाजार से जा रहा था की मेरी नजर फिर से उसी गुड्डे पर पड़ी जो पूरे ₹30 का था, और मैं उसे लेने के लिए गया आखिरकार मेरी गुड़िया रानी ने मुझे गुड़िया लाने को जो  कहा था। आज मेरी कमाई ₹50 की हुई थी। मेरी  साइकिल की घंटी जैसे सुनाई दी उसे वह चाहे कोठी, वो खिलखिला उठी, मानो वह उसी का इंतजार कर रही हो !और जैसे मैं उसके पास गया साइकिल से उतरा नहीं । कि वह मेरा झोला लेकर चल दी क्योंकि उसकी नजर पड़ गई थी ना इसलिए। उसने जैसे देखा अपने प्यारे से गुड्डा और गुड़िया को खिलखिला कर हंसते दी,प्रसन्न हो गई। और प्रेम से मुझे गले लगा लिया उस समय लगा जैसे मेरे मेरे से ज्यादा सौभाग्यशाली पिता कोई नहीं होगा। बस इतनी सी थी यह कहानी!

..लेखक सोनू #Vo_Khilona

Sonu Kumar Yadav

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, मुझे मेरी बेटी की याद हो आई, कि कैसे सुबह उसने कहा था ,"पापा मुझे खिलौना चाहिए मेरे लिए वह गुड्डा गुड़िया लाओगे ना! जो बाजार में मिलता है" मैं कुछ नहीं कह पाया था; मुझे बस उसकी खामोश ;उसकी मासूमियत को ;उसके प्यार से बोलने वाली अंदाज़ को देख रहा था।सुन रहा था, क्योंकि मैं बहुत गरीब हूं। जो की इतने पैसे नहीं हैं; जो महंगे-  महंगे खिलौने अपनी बिटिया रानी के लिए ला सकूं । मैं आज अपने ऊपर अफसोस जताता हूं ।अपनी किस्मत को कोसता हूं , कि ऐसी हालत क्यों है? क्यों मेरी हालत आज भी मेरी हालत बद से भी बदतर है। शाम होने को थी।  मैं उसी बाजार से गुजर रहा था।  उसी बाजार से जा रहा था की मेरी नजर फिर से उसी गुड्डे पर पड़ी जो पूरे ₹30 का था, और मैं उसे लेने के लिए गया आखिरकार मेरी गुड़िया रानी ने मुझे गुड़िया लाने को जो  कहा था। आज मेरी कमाई ₹50 की हुई थी। मेरी  साइकिल की घंटी जैसे सुनाई दी उसे वह चाहे कोठी, वो खिलखिला उठी, मानो वह उसी का इंतजार कर रही हो !और जैसे मैं उसके पास गया साइकिल से उतरा नहीं । कि वह मेरा झोला लेकर चल दी क्योंकि उसकी नजर पड़ गई थी ना इसलिए। उसने जैसे देखा अपने प्यारे से गुड्डा और गुड़िया को खिलखिला कर हंसते दी,प्रसन्न हो गई। और प्रेम से मुझे गले लगा लिया उस समय लगा जैसे मेरे मेरे से ज्यादा सौभाग्यशाली पिता कोई नहीं होगा। बस इतनी सी थी यह कहानी!

..लेखक सोनू #Vo_Khilona

Sonu Kumar Yadav

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, मुझे मेरी बेटी की याद हो आई, कि कैसे सुबह उसने कहा था ,"पापा मुझे खिलौना चाहिए मेरे लिए वह गुड्डा गुड़िया लाओगे ना! जो बाजार में मिलता है" मैं कुछ नहीं कह पाया था; मुझे बस उसकी खामोश ;उसकी मासूमियत को ;उसके प्यार से बोलने वाली अंदाज़ को देख रहा था।सुन रहा था, क्योंकि मैं बहुत गरीब हूं। जो की इतने पैसे नहीं हैं; जो महंगे-  महंगे खिलौने अपनी बिटिया रानी के लिए ला सकूं । मैं आज अपने ऊपर अफसोस जताता हूं ।अपनी किस्मत को कोसता हूं , कि ऐसी हालत क्यों है? क्यों मेरी हालत आज भी मेरी हालत बद से भी बदतर है। शाम होने को थी।  मैं उसी बाजार से गुजर रहा था।  उसी बाजार से जा रहा था की मेरी नजर फिर से उसी गुड्डे पर पड़ी जो पूरे ₹30 का था, और मैं उसे लेने के लिए गया आखिरकार मेरी गुड़िया रानी ने मुझे गुड़िया लाने को जो  कहा था। आज मेरी कमाई ₹50 की हुई थी। मेरी  साइकिल की घंटी जैसे सुनाई दी उसे वह चाहे कोठी, वो खिलखिला उठी, मानो वह उसी का इंतजार कर रही हो !और जैसे मैं उसके पास गया साइकिल से उतरा नहीं । कि वह मेरा झोला लेकर चल दी क्योंकि उसकी नजर पड़ गई थी ना इसलिए। उसने जैसे देखा अपने प्यारे से गुड्डा और गुड़िया को खिलखिला कर हंसते दी,प्रसन्न हो गई। और प्रेम से मुझे गले लगा लिया उस समय लगा जैसे मेरे मेरे से ज्यादा सौभाग्यशाली पिता कोई नहीं होगा। बस इतनी सी थी यह कहानी!

..लेखक सोनू #Vo_Khilona

Sonu Kumar Yadav

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, मुझे मेरी बेटी की याद हो आई, कि कैसे सुबह उसने कहा था ,"पापा मुझे खिलौना चाहिए मेरे लिए वह गुड्डा गुड़िया लाओगे ना! जो बाजार में मिलता है" मैं कुछ नहीं कह पाया था; मुझे बस उसकी खामोश ;उसकी मासूमियत को ;उसके प्यार से बोलने वाली अंदाज़ को देख रहा था।सुन रहा था, क्योंकि मैं बहुत गरीब हूं। जो की इतने पैसे नहीं हैं; जो महंगे-  महंगे खिलौने अपनी बिटिया रानी के लिए ला सकूं । मैं आज अपने ऊपर अफसोस जताता हूं ।अपनी किस्मत को कोसता हूं , कि ऐसी हालत क्यों है? क्यों मेरी हालत आज भी मेरी हालत बद से भी बदतर है। शाम होने को थी।  मैं उसी बाजार से गुजर रहा था।  उसी बाजार से जा रहा था की मेरी नजर फिर से उसी गुड्डे पर पड़ी जो पूरे ₹30 का था, और मैं उसे लेने के लिए गया आखिरकार मेरी गुड़िया रानी ने मुझे गुड़िया लाने को जो  कहा था। आज मेरी कमाई ₹50 की हुई थी। मेरी  साइकिल की घंटी जैसे सुनाई दी उसे वह चाहे कोठी, वो खिलखिला उठी, मानो वह उसी का इंतजार कर रही हो !और जैसे मैं उसके पास गया साइकिल से उतरा नहीं । कि वह मेरा झोला लेकर चल दी क्योंकि उसकी नजर पड़ गई थी ना इसलिए। उसने जैसे देखा अपने प्यारे से गुड्डा और गुड़िया को खिलखिला कर हंसते दी,प्रसन्न हो गई। और प्रेम से मुझे गले लगा लिया उस समय लगा जैसे मेरे मेरे से ज्यादा सौभाग्यशाली पिता कोई नहीं होगा। बस इतनी सी थी यह कहानी!

..लेखक सोनू #Vo_Khilona

ppaswan

#Vo_Khilona

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बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, तो मुस्कुरा उठीं आंखें मेरी ,
पर फिर याद आए बचपन के वो लफ्ज़ ।
ये खिलौने लड़कियों वाले नहीं है !! #Vo_Khilona
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