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Rabindra Kumar Ram

" तेरे तसव्वुर के एहसासों को आज भी जी रहे हैं , गुमनाम मुहब्बत को कोई और एक मुकाम दें रहे हैं , जिस्म हैं छली-छली अब भी की तेरे उल्फत में , तेरे जख्म को तरोताजा करने को एक और भी हवा का लिवास दे रहे हैं . " --- रबिन्द्र राम #तसव्वुर #मुहब्बत #मुकाम

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" तेरे तसव्वुर के एहसासों को आज भी जी रहे हैं ,
गुमनाम मुहब्बत को कोई और एक मुकाम दें रहे हैं ,
जिस्म हैं छली-छली अब भी की तेरे उल्फत में ,
तेरे जख्म को तरोताजा करने को एक और भी हवा का लिवास दे रहे हैं . " 

                          --- रबिन्द्र राम " तेरे तसव्वुर के एहसासों को आज भी जी रहे हैं ,
गुमनाम मुहब्बत को कोई और एक मुकाम दें रहे हैं ,
जिस्म हैं छली-छली अब भी की तेरे उल्फत में ,
तेरे जख्म को तरोताजा करने को एक और भी हवा का लिवास दे रहे हैं . " 

                  --- रबिन्द्र राम  

#तसव्वुर #मुहब्बत #मुकाम

अजनबी

सुबह सुबह यूं ही हरी हरी घास पे चलती हो, इसका क्या बहाना है। सच बताओ तुम्हें नहीं पता , यही तो आंख को तरोताजा करने का ठिकाना है।। #Hakim #hakimuddin #गुडमॉर्निंगyqदोस्तों , #तरोताजा

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 सुबह सुबह यूं ही हरी हरी घास पे चलती हो,
             इसका क्या बहाना है।
         सच बताओ तुम्हें नहीं पता   ,
यही तो आंख को तरोताजा करने  का ठिकाना है।।

 सुबह सुबह यूं ही  हरी हरी घास पे चलती हो,
             इसका क्या बहाना है।
         सच बताओ तुम्हें नहीं पता   ,
यही तो आंख को तरोताजा करने  का ठिकाना है।।
#hakim #hakimuddin #गुडमॉर्निंगyqदोस्तों ,
#तरोताजा

Parul Sharma

..............घुसपैठिया............ सबका अपना बन सबको छलता है वो. दिल के किसी कोने में बैठ,दिलों को भेद देता है वो बात का बतंगड़ बना,नुमाइशें करता है ये वो शक्स है जो घर-घर की टोह लेता है सबके सामने होकर भी अदृश्य रहता है सबका चहेता बन सबके दिलों में बसता है पर उसके दिल में कहाँ कौन बसताहै

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 ..............घुसपैठिया............
सबका अपना बन सबको छलता है वो.
दिल के किसी कोने में बैठ,दिलों को भेद देता है वो
बात का बतंगड़ बना,नुमाइशें करता है
ये वो शक्स है जो घर-घर की टोह लेता है
सबके सामने होकर भी अदृश्य रहता है
सबका चहेता बन सबके दिलों में बसता है
पर उसके दिल में कहाँ कौन बसताहै

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