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आज यूँ चारों ऒर व्याप्त हुई जो है अराजकता ; ऐसे में दृढ - निश्चयी सच्चा इंसान ही है जीतता ! भीषण युद्ध की विभीषिका से भयभीत है मानवता ; हार अहिंसा की रही है सदा आदि शक्ति है विजेता ! अब इजरायल की भूमि हो या फिलिस्तीन का ठौर ; जीवन कदाचित लाचार है,मौत हुई जाती है सिरमौर ! अब किसको फुरसत कि देखे कोई कितना है बरजोर; कहर ढाता है किसी पे कोई और, रोता है कोई और ! समझ रहे सब कि कौन उच्च हैं, किंतु सोच है नीच ; जीवन सज्जन को देना चाहिए, पर मौतें रहे उलीच ! नराधम व पापी राज कर रहे सज्जन सुपात्र के बीच ; योग्य व परिश्रमी को नज़रअंदाज़ कर बैठे आँखें मीँच ! ©V. Aaraadhyaa #अराजकता
Ek villain
बीते दिनों बंगाल में बीरभूम जिले के रामपुर हाट इलाके में 20 गांव में कुछ लोगों ने ढूंढ द्वारा लगभग दर्जनभर जंगलों में आग लगा कर 8 लोगों की हत्या कर दी खबर के माने तो अपनी साजिश में हुई तृणमूल सरकार टीएनसी एक स्थानीय नेता बाद उसे की हत्या के बाद बदले की भावना के तहत इस पूरी तरह घटना को अंजाम दिया गया इस घटना के एक बार फिर ममता बनर्जी के शासन में चर हो चुके बंगाल की कानून व्यवस्था की हकीकत सामने ला दी गई कोलकाता उच्च न्यायालय ने इस घटना के संज्ञान लेते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया जाहिर है कि बंगाल पुलिस की जांच और कार्रवाई पर किसी को भरोसा नहीं है ऐसा कहा जा रहा है कि टीएमसी नेता के धंधे से जुड़े हुए थे से जुड़े मुनाफे को लेकर पैदा हुई उनके कुछ साथियों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई है लोगों को जलाकर मार डाला हत्याकांड के भीतर हुई हो सकती हैं लागत है कि सत्ता में बने रहने के कारण आज तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस कदर निरंकुश हो चुके हैं कि उसने इस तरह का कोई नहीं रहा है या बंगाल में तृणमूल कार्यकर्ताओं पर कटवाने का धंधा बहुत संगठित रूप से चलने के आरोप लगाते रहे इसके तहत दुकानदारों ठेकेदारों से अवैध वसूली कर पैसा बनाया जाता है कहते हैं कि अवैध वसूली का धंधा कम समय में भी था लेकिन तृणमूल कांग्रेस के समय में यह बड़े रूप में ©Ek villain #अराजकता की फैलती आग #writing
Ek villain
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपने चुनाव भाषणों में एक शब्द का प्रयोग कई बार करते हैं वह इस इकोसिस्टम जब वह इकोसिस्टम की बात करते हैं तो उनका निशाना उस संगठित समूह की ओर होता है जो उनकी पार्टी और उनके कार्यों को विफल करना चाहती है लक्ष्य तक पहुंचने की राह में रोड़े अटका आती है इस इको सिस्टम का प्रभाव राजनीतिक के बाद सबसे अधिक संस्कृति से जुड़ी संस्थाओं में देखा जा सकता है इकोसिस्टम का प्रभाव देखना हो तो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में 20 से 5 वर्ष में घटने वाली घटनाओं को देखा जा सकता है इको सिस्टम के सदस्य वह इस कदर हावी है कि संस्था के हर तरह के काम में रोड़े अटका आते जाते हैं पिछले दिनों राष्ट्रीय राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के दीवार पर प्रधानमंत्री का एक बेहद ही आपत्तिजनक चित्र बना दिया और बड़े आकार के चित्र को दीवार करने में घंटे लग गए होंगे लेकिन महाविद्यालय प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगी चित्र साझा किया जाने लगा तो प्रशासन हरकत में आया चित्र मिटाया गया परंतु उच्च शिक्षा पर कोई कार्रवाई नहीं की जिसकी देखरेख में अभी तक जनक चित्र बनाइए भी इकोसिस्टम प्रतिक्रिया हुए और पहले इसको अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ा गया लेकिन जब कार्यकारिणी देश के कार्य से दबाव बना तो इस छात्र को उत्साह में कई कई गलतियां बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश हुई किसी पर भी कोई कार्रवाई हुई तो यह पता नहीं चल पाया ©Ek villain #अराजकता को बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था #Nofear
Parul Sharma
nojoto family के सभीसदस्यों को सुप्रभात #कुछ_लोग_ऐसे_भी नकारात्मकता पैदायसी नहीं होती और ना ही यह कोई जातीय लक्षण है। जिस मन में अपराधबोधता, हीन भावना,या श्रेष्ठता की भावना घर कर लेती है वहाँ नकारात्मकता सरलता से अपनी जगह बना लेती है। अपराधबोधता , हीन भावना,या श्रेष्ठता की भावना अगर बढ़ती जाती है तो मनुष्य एकाकी जीवन व्यतीत करना चाहता है या जो उसे स्वतंत्रता का आभास कराता है। और वह भावनाओं से पृथक हो असामाजिक हो जाता। ये तब घातक सिद्ध होती है जब नकारात्मक विचारों से परिपूर्ण व्यक्ति किन्हीं अपरा
Parul Sharma
|| कुछ लोग ऐसे भी || नकारात्मकता पैदायसी नहीं होती और ना ही यह कोई जातीय लक्षण है। जिस मन में अपराधबोधता, हीन भावना,या श्रेष्ठता की भावना घर कर लेती है वहाँ नकारात्मकता सरलता से अपनी जगह बना लेती है। अपराधबोधता , हीन भावना,या श्रेष्ठता की भावना अगर बढ़ती जाती है तो मनुष्य एकाकी जीवन व्यतीत करना चाहता है या जो उसे स्वतंत्रता का आभास कराता है। और वह भावनाओं से पृथक हो असामाजिक हो जाता। ये तब घातक सिद्ध होती है जब नकारात्मक विचारों से परिपूर्ण व्यक्ति किन्हीं अपराधिक कार्यों में लीन हो कर विवेक ही
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