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Rabindra Kumar Ram

" फिर तेरी याद कहाँ मुनासिब हो ऐसे में, मैं मंसूब हु कब से तेरे ख्याले-ऐ-जिक्र से , जिक्र कर, जिरह कर ले कोई फैसला तो कर, आखिर मैं कब तलक तेरा रहुँ तेरे मुददते मुंतज़िर में . " --- रबिन्द्र राम #मुनासिब #ख्याले-ऐ-जिक्र #मंसूब #जिक्र #जिरह #मुददते #मुंतज़िर

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" फिर तेरी याद कहाँ मुनासिब हो ऐसे में, 
मैं मंसूब हु कब से तेरे ख्याले-ऐ-जिक्र से , 
जिक्र कर, जिरह कर ले कोई फैसला तो कर, 
आखिर मैं कब तलक तेरा रहुँ तेरे मुददते मुंतज़िर में . "

                 ---  रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " फिर तेरी याद कहाँ मुनासिब हो ऐसे में, 
मैं मंसूब हु कब से तेरे ख्याले-ऐ-जिक्र से , 
जिक्र कर, जिरह कर ले कोई फैसला तो कर, 
आखिर मैं कब तलक तेरा रहुँ तेरे मुददते मुंतज़िर में . "

                 ---  रबिन्द्र राम
 #मुनासिब  #ख्याले-ऐ-जिक्र #मंसूब
#जिक्र #जिरह #मुददते #मुंतज़िर

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** जिरह *** " यूं सोचना तुझे मेरा लाजमी हैं , फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही , बेवक्त यूं ही तु‌झे मयस्सर किया करु , कभी तो मेरी बात तेरे लब पे भी आये सही ." तु फकत एहसास सा गुजराता कभी हमनशी ,

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*** ग़ज़ल *** 
*** जिरह *** 

" यूं सोचना तुझे मेरा लाजमी हैं ,
फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही ,
बेवक्त यूं ही तु‌झे मयस्सर किया करु ,
कभी तो मेरी बात तेरे लब पे भी आये सही ."
तु फकत एहसास सा गुजराता कभी हमनशी ,
जैसे की चांद अभी अभी बादलों का सय लिया हो सही ,
तकब्बुर क्या करूं मैं कि अभी कुछ बात बन रही ,
यू सोचना तूझे मेरा लाजमी हैं ,
फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही ,
मेरे लहजों में तेरा आना अभी उस तरह मुक्कर हुआ ही नहीं ,
दे के सौगात तुम्हें उस तरह मना भी लु तो किसी का क्या जायेगा ,
तेरे दिल में मेरे लिए वो कसक कहीं घर बनाये तो सही ,
ये बात तेरे दिल से कहीं मुनासिब हो भी जायेगा ,
कभी आननफानन में दिल को किसी तरह जिरह कर के मानाये तो सही. " 

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** जिरह *** 

" यूं सोचना तुझे मेरा लाजमी हैं ,
फकत तुझे भी कुछ एहसास हो तो सही ,
बेवक्त यूं ही तु‌झे मयस्सर किया करु ,
कभी तो मेरी बात तेरे लब पे भी आये सही ."
तु फकत एहसास सा गुजराता कभी हमनशी ,

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " चल आज कुछ जिरह करता हूं , अपनी हर बात उसकी नजर करते हैं , देखते क्या ज़बाब आता है उधर से , अब हर बात नज़रे कर्म होगा ऐसे में . " --- रबिन्द्र राम

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" चल आज कुछ जिरह करता हूं ,
अपनी हर बात उसकी नजर करते हैं ,
देखते क्या ज़बाब आता है उधर से ,
अब हर बात नज़रे कर्म होगा ऐसे में . "

                           --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" चल आज कुछ जिरह करता हूं ,
अपनी हर बात उसकी नजर करते हैं ,
देखते क्या ज़बाब आता है उधर से ,
अब हर बात नज़रे कर्म होगा ऐसे में . "

                           --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" जो मिलते तुम कहीं कुछ जिरह कर लेता मैं , तेरे फासलों का सफर तेरी नज़र लेता मैं , रास आये कुछ कि कुछ रस में कैसे रहा जाये , तामाम उम्र कहीं कसमें-कस में ना गुजर जाये‌ . " --- रबिन्द्र राम #जिरह

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" जो मिलते तुम कहीं कुछ जिरह कर लेता मैं ,
तेरे फासलों का सफर तेरी नज़र लेता मैं ,
रास आये कुछ कि कुछ रस में कैसे रहा जाये ,
तामाम उम्र कहीं कसमें-कस में ना गुजर जाये‌ . " 

                                --- रबिन्द्र राम

                              " जो मिलते तुम कहीं कुछ जिरह कर लेता मैं ,
तेरे फासलों का सफर तेरी नज़र लेता मैं ,
रास आये कुछ कि कुछ रस में कैसे रहा जाये ,
तामाम उम्र कहीं कसमें-कस में ना गुजर जाये‌ . " 

                                --- रबिन्द्र राम

 #जिरह

Rabindra Kumar Ram

" कुछ फासलों का सफर तय करना तुमसे , कुछ बात मतलब जिरह करना है तुमसे , अब फैसला जो भी अच्छा या बुरा इस एहसास में , जो भी रास्ता निकले वो मेरे हक़ में होगा. " --- रबिन्द्र राम #फासलों #सफर #जिरह #फैसला #एहसास #रास्ता #हक़

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" कुछ फासलों का सफर तय करना तुमसे ,
कुछ बात मतलब जिरह करना  है तुमसे ,
अब फैसला जो भी अच्छा या बुरा इस एहसास में ,
जो भी रास्ता निकले वो मेरे हक़ में होगा. " 

                              --- रबिन्द्र राम " कुछ फासलों का सफर तय करना तुमसे ,
कुछ बात मतलब जिरह करना है तुमसे ,
अब फैसला जो भी अच्छा या बुरा इस एहसास में ,
जो भी रास्ता निकले वो मेरे हक़ में होगा. " 

                              --- रबिन्द्र राम 

#फासलों #सफर #जिरह #फैसला #एहसास #रास्ता #हक़

Diwan G

#FourlinePoetry मैं तमाम-'उम्र जिरह करता रहा,
अपने वजूद की सफाई देता रहा।
जिन्हें रिश्तों की परवाह नहीं थी,
मैं उन्हें रिश्तों की दुहाई देता रहा।

©Diwan G #माहर_हिंदीशायर #सफाई #दुहाई #उम्र #जिरह #वजूद #परवाह 

#fourlinepoetry

Rajesh Raana

अब हम कुछ नही करते , सब #तकनीक करती है , किसी का जन्मदिन , किसी का #खास #दिन, किसी का #उदास दिन , कोई #सालगिरह , कोई #जिरह , सब तकनीक याद रखती है !

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अब हम कुछ नही करते ,
सब तकनीक करती है ,
किसी का जन्मदिन ,
किसी का खास दिन,
किसी का उदास दिन ,
कोई सालगिरह ,
कोई जिरह ,
सब तकनीक याद रखती है !

तकनीक याद करती है ,
तकनीक याद रखती है ,
तकनीक याद दिलाती है ,
मेरी शुभकामना ,
मैं नही पहुँचाता किसी को 
तकनीक पहुँचाती है ।
मैं मेरी वो पुरानी डायरी 
अब नही खोजता ,
वो कही चीढ़ कर दुबकी रहती है ,
अलमारी के किसी कोने में ,
शायद आँसु बहाती होगी ,
खुद के वज़ूद के खात्मे का।
और तकनीक के जन्म का
मर्सिया पढ़ती होगी ।
मेरी वो डायरी। अब हम कुछ नही करते ,
सब #तकनीक करती है ,
किसी का जन्मदिन ,
किसी का #खास #दिन,
किसी का #उदास दिन ,
कोई #सालगिरह ,
कोई #जिरह ,
सब तकनीक याद रखती है !

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