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Rj,Vishal Tiwari..!

#जब #चेहरे पर #हजारों #चेहरे लिए #घूमते हो तुम ऊपर एक #मास्क लगाने में क्या जा रहा है #covid19 #covidindia #krishna_flute Abdullah Rifat Radhika sweety Hi Dear (OM) Yash Ritu Gupta आशीष रॉय 🇮🇳

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Gudvin Barche

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मां मां तेरे माथे की बिंदिया में 
वह प्यार दिखता है 
तेरे खूबसूरत चेहरे में 
सारा संसार दिखता है 
शायद ही इस दुनिया में 
सच्चा कोई रिश्ता होगा 
सच बताऊं मां 
हर बच्चा अपनी मां से 
यही पूछता होगा 
सारे रिश्ते अपने *अहम* में घूमते हैं 
मैं सच बताऊं मां 
यह सारे रिश्ते सिर्फ *वहम* में घूमते हैं
Gudvin.barche@g

Tarun Vij भारतीय

आस्तीन खुलें रखें है सांपों के दरम्यान,
यहां सब मुर्दा है बस जान लिए घूमते है। 

मुट्ठी भर दानो सा है शहर ये, यहां हर कोई हर किसी को जानता है,
साहब वो झूठे हैं, झूठी शान लिए घूमते हैं। 

आग किसने लगाई, जला कौन, कुछ नहीं जानते,
कुछ बकरे है सर पर ‌आसमान लिए घूमते हैं। 

ईमान तो बहुत पहले ही जल गया था भूख की आग में,
वो जो सच्चे है, अब झूठ का सामान लिए घूमते हैं। 

क़त्ल जब हुआ तो बात मन्दिर मस्जिद तक पहुंच गई,
सुना है कातिल आजकल गीता कुरान लिए घूमते हैं। 

धुआं जब छंटेगा तभी दिखेगा असल मंजर तबाही का,
फिलहाल तो सियासी मौत का फरमान लिए घूमते हैं। #mandir #masjid #society #religion #truth #hindiwriters #writersnetwork #truthwriter
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Parul Sharma

Kavita kuch alag andaaj me............... मेरे ख्वाबों,ख्वाहिशों,दर्द व अहसास से तुझे कोई सरोकार नहीं। तुझसे इतर कुछ और, मेरा सहारा बने, ये भी तुझे बरदाश्त नहीं॥ पारुल शर्मा जब भी हम कविताओं में बिजी रहते हैं। वो कभी मुझे कभी मेरी संजीवनी( मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह/डायरी) को घूरते हैं॥

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मेरे ख्वाबों,ख्वाहिशों,दर्द व अहसास से
     तुझे कोई सरोकार नहीं।
   तुझसे इतर कुछ और, मेरा सहारा बने,
       ये भी तुझे बरदाश्त नहीं॥
            पारुल शर्मा
   जब भी हम कविताओं में बिजी रहते हैं। वो कभी मुझे कभी मेरी संजीवनी( मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह/डायरी) को घूरते हैं॥
   कहते हैं फालतू हो, फालतू के कामों में उलझी रहती हो।
   एक एक शब्द पर लोटपोट हो जायेगें सब, कविता क्या टोटली बकबास लिखती हो।
    जब भी हम संजीवनी(डायरी) में कुछ लिखते हैं, वो नाक मुँह सिकोड़ते हैं॥ 
                  जब भी हम ................
  घिसती रहो कलम रद्दी कर डालो कितनी,सबकी सब दो कोड़ी की भी नहीं।
  फिक जायेंगी कबाड़ में ही।जब भी हम कलम को छूते हैं,उनके माथे पे बल बनते हैं।
                    जब भी हम......
  सिरदर्द हो तुम, औरों का सिरदर्द बनोगी, फालतू है तू, और फालतू कविताएँ तेरी।
  जब भी हम कोई कविता फेसबुक पर अपडेट करते हैं, वो कभी मुझे कभी मेरे मोबाइल को घूमते हैं॥
  जब भी हम कविताओं में बिजी होते हैं।वो कभी मुझे कभी मेरी संजीवनी को घूमते है
पारुल शर्मा #NojotoQuote Kavita kuch alag andaaj me............... 

मेरे ख्वाबों,ख्वाहिशों,दर्द व अहसास से
तुझे कोई सरोकार नहीं।
तुझसे इतर कुछ और, मेरा सहारा बने,
ये भी तुझे बरदाश्त नहीं॥
पारुल शर्मा 
जब भी हम कविताओं में बिजी रहते हैं। वो कभी मुझे कभी मेरी संजीवनी( मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह/डायरी) को घूरते हैं॥

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