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Ajay Amitabh Suman

#कविता  #दुर्योधन #अश्वत्थामा #महादेव #महाभारत #कौरव #पांडव #कृतवर्मा #कृपाचार्य इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् सोलहवें  भाग में दिखाया गया जब कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा पांडव पक्ष के बाकी  बचे हुए जीवित योद्धाओं का संहार करने का प्रण लेकर पांडवों के शिविर के पास पहुँचे तो वहाँ उन्हें एक विकराल पुरुष पांडव पक्ष के योद्धाओं की रक्षा करते हुए दिखाई पड़ा। उस महाकाल सदृश पुरुष की उपस्थिति मात्र हीं कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा के मन में भय का संचार उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त

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वक्त  लगा था अल्प बुद्धि  के कुछ तो जागृत होने में,
महादेव से  महा काल  से  कुछ  तो  परीचित होने में।
सोंच पड़े  थे  हम  सारे  उस  प्रण का रक्षण कैसे  हो ?
आन पड़ी थी विकट विघ्न उसका उपप्रेक्षण कैसे हो?
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मन में  शंका के बादल सब उमड़ घुमड़ के आते थे ,
साहस जो भी बचा हुआ था सब के सब खो  जाते थे।  
जिनके  रक्षक महादेव  रण में फिर  भंजन हो कैसे? 
जयलक्ष्मी की नयनों का आखिर अभिरंजन हो कैसे?
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वचन दिए थे जो मित्र को निर्वाहन हो पाएगा क्या?
कृतवर्मा  अब तुम्हीं कहो हमसे ये हो पाएगा क्या?
किस बल से महा शिव  से लड़ने का  साहस लाएँ?
वचन दिया जो दुर्योधन को संरक्षण हम कर पाएं?
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मन  जो  भी  भाव निराशा के क्षण किंचित आये थे ,
कृतवर्मा  भी हुए निरुत्तर शिव संकट बन आये  थे।
अश्वत्थामा   हम  दोनों  से  युद्ध  मंत्रणा  करता  था ,   
उस क्षण जैसे भी संभव था हममें साहस भरता था ।
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बोला  देखों  पर्वत  आये  तो चींटी   करती है क्या ?
छोटे छोटे  पग उसके पर वो पर्वत से डरती  क्या ?
जो  संभव  हो  सकता उससे वो पुरुषार्थ रचाती है ,
छोटे हीं   पग उसके  पर पर्वत मर्दन कर जाती है।
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अजय अमिताभ सुमन: सर्वाधिकार सुरक्षि

©Ajay Amitabh Suman #कविता  #दुर्योधन #अश्वत्थामा #महादेव #महाभारत #कौरव #पांडव #कृतवर्मा  #कृपाचार्य 

इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् सोलहवें  भाग में दिखाया गया जब कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा पांडव पक्ष के बाकी   बचे हुए जीवित योद्धाओं का संहार करने का प्रण लेकर पांडवों के शिविर के पास पहुँचे तो वहाँ उन्हें एक विकराल पुरुष पांडव पक्ष के योद्धाओं की रक्षा करते हुए दिखाई पड़ा। उस महाकाल सदृश पुरुष की उपस्थिति मात्र हीं कृपाचार्य , कृतवर्मा और अश्वत्थामा के मन में भय का संचार उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त

Ajay Amitabh Suman

इस दीर्घ कविता के पिछले भाग अर्थात् तेरहवें भाग में अभिमन्यु के गलत तरीके से किये गए वध में जयद्रथ द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका और तदुपरांत केशव और अर्जुन द्वारा अभिमन्यु की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए रचे गए प्रपंच के बारे में चर्चा की गई थी। कविता के  वर्तमान प्रकरण अर्थात् चौदहवें भाग में देखिए कैसे प्रतिशोध की भावना से वशीभूत होकर अर्जुन ने जयद्रथ का वध इस तरह से किया कि उसका सर धड़ से अलग होकर उसके तपस्वी पिता की गोद में गिरा और उसके पिता का सर टुकड़ों में विभक्त हो गया। प्रतिशोध की भ

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Ajay Amitabh Suman

इस दीर्घ रचना के पिछले भाग अर्थात् बारहवें  भाग में आपने देखा अश्वत्थामा ने दुर्योधन को पाँच कटे हुए नर कंकाल  समर्पित करते हुए क्या कहा। आगे देखिए वो कैसे अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य के अनुचित तरीके के किये गए वध के बारे में दुर्योधन ,कृतवर्मा और कृपाचार्य को याद दिलाता है। फिर तर्क प्रस्तुत करता है कि उल्लू  दिन में  अपने शत्रु को हरा नहीं सकता इसीलिए वो रात में हीं  घात लगाकर अपने शिकार पर प्रहार करता है। पांडव के पक्ष में अभी भी पाँचों पांडव , श्रीकृष्ण , शिखंडी , ध्रीष्टदयुम्न आदि और अनगिनत

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Ajay Amitabh Suman

इस दीर्घ रचना के पिछले भाग अर्थात् ग्यारहवें भाग में आपने देखा कि युद्ध के अंत में भीम द्वारा जंघा तोड़ दिए जाने के बाद दुर्योधन मरणासन्न अवस्था में  हिंसक जानवरों के बीच पड़ा हुआ था। आगे देखिए जंगली शिकारी पशु बड़े धैर्य के साथ दुर्योधन की मृत्यु का इन्तेजार कर रहे थे और उनके बीच फंसे हुए दुर्योधन को मृत्यु की आहट को देखते रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। परंतु होनी को तो कुछ और हीं मंजूर थी । उसी समय हाथों में  पांच कटे हुए  नर कपाल लिए अश्वत्थामा का आगमन हुआ  और दुर्योधन की मृत्यु का इन्तेजार कर

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Ajay Amitabh Suman

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-11 इस दीर्घ कविता के दसवें भाग में दुर्योधन  द्वारा श्रीकृष्ण को हरने का असफल प्रयास और उस असफल प्रयास के प्रतिउत्तर में श्रीकृष्ण वासुदेव द्वारा स्वयं के  विभूतियों के प्रदर्शन का वर्णन किया गया है।अर्जुन सरल था तो उसके प्रति कृष्ण मित्रवत व्यवहार रखते थे, वहीं  कपटी दुर्योधन के लिए वो महा कुटिल थे। इस भाग में देखिए , युद्ध के अंत में भीम द्वारा जंघा तोड़ दिए जाने के बाद मरणासन्न अवस्था में दुर्योधन  हिंसक जानवरों के बीच पड़ा हुआ था। जानवर की वृत्ति रखने वाला योद्धा स्वयं

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Mahi

A life story.......? Pooja Lodhi Suman Zaniyan #alone #Life #story nojoto wordporn कविता writersofinstagram प्रेम 

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आज किस्मत भी अजीब चल रही है जिन लोगो से कब का बात करना छोड़ दिया हमनें..... वो आज भी हम्हे याद कर रहे है और जिनकल हमारी से मैं बात करना चाहता हु  उनसे तो बात हो नही पाती....
#अनिरुद्ध A life story.......?
Pooja Lodhi 
Suman Zaniyan 
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Mahi

Truth of life......! nojoto wordporn कविता writersofinstagram प्रेम 

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“अच्छे लोगों की सबसे बड़ी खूबी यह होती है कि उन्हें याद रखना नहीं पड़ता, वो याद रह जाते है” Truth of life......! 
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