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river_of_thoughts
टूटन यह कदाचित, बिखराव नहीं, पर होता है, होता रहा है .... - पल-प्रतिपल, क्षण-प्रतिक्षण... मूक-निस्तेज-सा अस्तित्व मेरा टूटता ... बहता ... मिटता रहा है । मेरा 'मैं' पुन: निस्तेज और और कमजोर 'तेरा' होने में #प्रति-प्रकृति @manas_pratyay #obstruction #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar
#obstruction #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar
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मूक-निस्तेज-सा अस्तित्व मेरा टूटता, बहता, मिटता रहा है... मेरा 'मैं' पुन: निस्तेज और और कमजोर 'तेरा' होने में और तेरा होना ! ( स्वयं में ) तेरा, बढ़ता स्वरूप - फैलाव तेरा अधिक, और अधिक संभवतः सागर अंततः .... #प्रति-प्रकृति @manas_pratyay #LookingDeep #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar
#LookingDeep #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar
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हाँ, मैं देखता हूँ - तुझे घेरती थीं, मेरी पाटें वो हो चुकीं अदृश्य! कि तुम नदी नहीं, अब सागर-सा प्रतीत होते हो - शक्तिवान, गंभीर, और .........शांत। पर, अन्तर्निहित तूफानों की विकरालता समाए क्या तू, सच ही शान्त है? - संतुष्ट और समाधिस्थ! यद्यपि, यूं नहीं होता .... #प्रति-प्रकृति! @manas_pratyay #Silent #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar
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टूट गया वो अहं फिर से धराशायी हो गया - रेत के मानिंद सरसराकर ढह गया... हो गया विलीन फिर से न जाने कहाँ! शायद, तुम्हारे वज़ूद के थपेड़ों में, खो गया कहीं... और दब गया अस्तित्व मेरा एक बार फिर से। #प्रति-प्रकृति! @manas_pratyay #Silent #प्रति_प्रकृति © Ratan Kumar
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