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Shashi Bhushan Mishra
शाख़ से पतझर में पत्ते संबंध तोड़ लेते हैं, जमीं बिछाकर सो जाते आकाश ओढ़ लेते हैं, पेड़ो को भी इंतज़ार रहता बसंत आने तक, रिश्तों के नव कोंपल आकर प्रेम जोड़ लेते हैं, पल-पल साथ निभाता आता-जाता देह सदन में, करता है संचार प्राण मुख सकल मोड़ लेते हैं, सिर्फ ज़रूरत से चलते व्यवहार जगत के 'गुंजन', बुद्धिमान इस अवसर में ख़ुशियाँ बटोर लेते हैं, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ओढ़ लेते हैं#
Mo k sh K an
पैर मेरे पाज़ेब बने हैं, रूह मेरी इक़तारा आसमान के रंग ओढ़ के फिरता में बंजारा फिरन है मेरा पैराहन, राहें मेरे पैर जो मिल जाए वो है अपना, जो नहीं मिला वो गैर चुटकी में रखता हूँ अपनी मैं जहान ये सारा पैर मेरे पाज़ेब बने हैं, रूह मेरी इक़तारा चेहरे पर मेरे मढ़ी हुई हैं, तारों की टेढ़ी चाल माथे पर सील कर के अपने, मैं घोड़े की नाल लहर लहर सागर जीत हूँ, साहिल नहीं दुबारा पैर मेरे पाज़ेब बने हैं, रूह मेरी इक़तारा पैर मेरे पाज़ेब बने हैं, रूह मेरी इक़तारा आसमान के रंग ओढ़ के फिरता में बंजारा #main_kaun_tu_khamakhan #मै_कौन_तू_खाँमखाँ #bajnara #बंजारा #kavishala #hindinama #tassavuf
Mo k sh K an
धूप ओढ़ कर मुझको मौला आज धनक बन जाने दे आज उफ़क़ से आसमान तक तू मुझको मुस्काने दे सात रंग तू रंग दे मौला, रंग रूह दे नूर ऐसे जगमग रात जलूं में, स्याह रंग हो दूर खरी खनक की चिंगारी से तू आतिश खनकाने दे धूप ओढ़ कर मुझको मौला आज धनक बन जाने दे #skand #kavishala #hindinama #tassavuf #dhoop
Dimple Lohar
किया युद्ध करगिल में विजय दिला कर सैनिक सोया है खुशी से गोली सीने में खाकर प्राणों को खोया है आज़ाद फिरते हैं आज़ाद घूमते हैं उसी सैनिक की शहादत से जो भारत माँ की रक्षा को कफन ओढ़ कर सोया है भारत माँ की रक्षा को कफन ओढ़ कर सोया है कर नमन अपने वतन के वीर सैनिको को जो माँ का आँचल छोड़ भारत माँ की गोद में सोया है भारत माँ की गोद में सोया है गोलियों को सीने में खाकर प्राणों को खोया है खुशी थी उनके चेहरे पर जो अपना फर्ज़ निभाया है देश की आन का देश की शान का एक बार फिर तिरंगा फहराया है एक बार फिर तिरंगा फहराया है देख के यह सैनिक का प्यार दिल मेरा बहुत रोया है दिल मेरा बहुत रोया है। भारत के वीर सैनिको को मेरा नमन ✍️ ✍️ Written by dimpy # वीर सैनिको को मेरा नमन
Mo k sh K an
सिंदूरी आभा ओढ़ सवेरे सजा धजा मुस्काए चढ़ किरणों का रथ सूरज, भोर नवेली लाए कनक कनक इतराते बदरा चूमे अंबर नील चढ़ा वर्क सोने का दमके दर्पण गहरी झील पवन पिरोती साज सलोने घंटी और आज़ान गुड़ घोले गुरबाणीं चख ले यही है हिन्दोस्तान सबा सलोनी मिट्टी की गुल साँस में महकाए सिंदूरी आभा ओढ़ सवेरे सजा धजा मुस्काए हाँ मैं हिन्दोस्तान सहर सलोनी #kavishala #hindinama #nojotopune #skand #insight #eyeforindia #eye_for_india #han_main_hidostan #sahar_saloni #सहर_सलोनी
Tapan tanha
सारे बन्धन, यूं तोड़ कर..... मेरी वफा से,मुंह मोड़ कर.... कहां तुम चले गये, अकेले मुझे, छोड़ कर..... रोता हूं मैं, प्यार करके तुम्हें.... खोता हूं मैं, याद करके तुम्हें.... ढूँढ लिया मेंने, सारा जहां...... ढूंढा तुम्हें, न जाने कहाँ....... सोता हूं अब, आंखें खोल कर...... शायद मिलो, तुम किसी मोड पर....... कहां तुम चले गये, अकेले मुझे छोड़ कर........... भूख प्यास सब मिट गयी..... जिन्दगी की यूं सिमट गयी..... एेसे भला अब कब तक जलें....... तन्हा अब हम कब तक चलें...... रखा था हमने, घर जोड़ कर..... क्या सो गये, तुम ज़मी ओढ़ कर...... कहां तुम चले गये....... अकेले मुझे छोड़ कर........ जीवन नीरस हो गया..... मैं वीर रस हो गया........ अब न तुझ से, मिल पाऊगां..... फूलों की तरह न, खिल पाऊगां..... ले जायेगा कोई, अब मुझे तोड़ कर..... शायद तुम सो गये हो, कफन ओढ़ कर... कहां तुम चले गये....... अकेले मुझे छोड़ कर............. तपन तन्हा... https://tapantanha.blogspot.com/?m=1
Mo k sh K an
सुन सहेली सूरज की, चल अपने कदम बढ़ा आसमान की सीरत पर तू अपना रंग चढ़ा रंग रात का अलख जगा, रंग हो दिन का नूर साये भी अब धनक ओढ़ ले जो तुझको मंज़ूर बन कर तू तूफ़ान कौंध जा, ऐसे ओढ़ फितूर अड़ी गोटियाँ, टेढ़े पासे, पर हो तू मंसूर हाथों की तंग लकीरों से हिम्मत के पेंच लड़ा आसमान की सीरत पर तू अपना रंग चढ़ा वो किरणों से लिखी इबारत सूरज की सहेली #kavishala #hindinama #tassavuf #skand #love #wokirnoselikhiibarat #wo_kirano_se_likhi_ibarat #kiranTh #वो_किरणों_से_लिखी_इबारत
Parul Sharma
मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर पारुल शर्मा #gif मेरे गमों को और गमगीन न कर मीठी यादों को नमकीन न कर न पिघला जख्मों को अपनी गर्मी से पनाह न ल मेरी इन आँखों में अक्स धुँधला जाते है ए अश्क तुझसे खुशी के कई नकाब ओढ़ रखे हैं मैंने, खुदाया निहा-ए-जख्मों की यूँ तहरीर न कर। पारुल शर्मा
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