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malay_28

#बुझा दीप का धुआँ

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Shubham Bhardwaj

Poonam Suyal

#kkkcollab1.232 #collabwithme कलम के कलाकार #हवा #बुझा #जला #YourQuoteAndMine Collaborating with कलम के कलाकार

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अजब सी फ़ितरत हवा की है होती 
सुकून है देती तो ज़लज़ला भी ले आती  #kkkcollab1.232
#collabwithme 
कलम के कलाकार 
#हवा #बुझा #जला  #YourQuoteAndMine
Collaborating with कलम के कलाकार

Dr Vijendra Vishal

'मनु' poetry -ek-khayaal

Bablu

#fish

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#एहसास__ए__आरजू को #दिल से
            #मिटा न #सकेगे.... 
   #भुलना चाहे तुमे .... # पर  भुला न सकेगे... 

ये #चिराग__ए__मुहब्बत#दिल में
           #जलाया है....#जो  तुमने... 
#जल जायेगे #मगर...इसे #बुझा न #सकेगे ❤️B.M.N.S ❤️
❤️❤️❤️❤️❤️ ❤️❤️❤️❤️❤️
GOOD NIGHT PAGAL

©जिंदगी जिंदगी #fish

कविराज_उपकाशी

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ज़िम्मेदारी चेहरे की रंगत बदल देती है...
शौक से तो कोई शख्स बुझा-बुझा नहीं रहता.
✍️आनेश

@Devidkurre

वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

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किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
शासन के घोड़े पर वह भी सवार है 
उसी की जनवरी छब्बीस 
उसीका पन्द्रह अगस्त है 
बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है 
कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है 
कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है 
खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा 
मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है 
सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है 
उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! 
गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो 
बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! 
देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है 
पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है 
फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है 
फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है 
महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है 
गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है 
धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं 
पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है 
कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं 
ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है 
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! 
सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है 
मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है 
उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है।

#बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है 
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? 
कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? 
सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है 
गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है 
चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है 
कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है 
जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला

Akash

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तुम बताओ क्या करूँ कि तुम मांन जाओगे
सर से पाँव तक रूसवा हु किसको बताओगे

खाली बर्तन सी तकती हैं तुमको नम आँखे
ये उधारी बाद में कैसे चुकाओगे

अभी जिंदा सी लग रही हु सारे शहर को
दिन औऱ गुजरे तो मातम मनाओगे    

बुझा बुझा सा गुजरता हैं दिन रातें बोझिल
जिस्म लादे चलती हु बताओ कब आओगे

ओढ़नी की फड़फड़ाहट अब नही संभलती
मेने तूफ़ां रोका है क्या तुम रोक पाओगे

ये रूह की तवियत दवा से कहा रुकती हैं
सिलवटे छोड़ कर आयीं हु तुम पहचान जाओगें

Rahul Raj

true lines...

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#DearZindagi फूँक मारकर दिए को बुझा सकते है
अगरबत्ती को नही
क्योंकि जो सुगन्ध फैलाता है
उसे कोई बुझा नही सकता true lines...
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