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malay_28
क्या कहती हाथों की लक़ीर तुम क्या जानो हसरतों की प्यास बेनज़ीर तुम क्या जानो धुआँ बुझा दीप का था फ़ैलता रहा मलय रहा न अख़्तियार में तनवीर तुम क्या जानो. ©malay_28 #बुझा दीप का धुआँ
#बुझा दीप का धुआँ
read moreShubham Bhardwaj
यह इश्क़ की आग है,कैसे बुझा पाओगे। दिल, दिल न रहा, आरजू से अपनी कैसे बचा पाओगे।। ©Shubham Bhardwaj #Behna #यह #इश्क़ #की #आग #है #कैसे #बुझा #पाओगे
Poonam Suyal
अजब सी फ़ितरत हवा की है होती सुकून है देती तो ज़लज़ला भी ले आती #kkkcollab1.232 #collabwithme कलम के कलाकार #हवा #बुझा #जला #YourQuoteAndMine Collaborating with कलम के कलाकार
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read moreBablu
#एहसास__ए__आरजू को #दिल से #मिटा न #सकेगे.... #भुलना चाहे तुमे .... # पर भुला न सकेगे... ये #चिराग__ए__मुहब्बत#दिल में #जलाया है....#जो तुमने... #जल जायेगे #मगर...इसे #बुझा न #सकेगे ❤️B.M.N.S ❤️ ❤️❤️❤️❤️❤️ ❤️❤️❤️❤️❤️ GOOD NIGHT PAGAL ©जिंदगी जिंदगी #fish
कविराज_उपकाशी
ज़िम्मेदारी चेहरे की रंगत बदल देती है... शौक से तो कोई शख्स बुझा-बुझा नहीं रहता. ✍️आनेश
@Devidkurre
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला शासन के घोड़े पर वह भी सवार है उसी की जनवरी छब्बीस उसीका पन्द्रह अगस्त है बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है। #बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
read moreAkash
तुम बताओ क्या करूँ कि तुम मांन जाओगे सर से पाँव तक रूसवा हु किसको बताओगे खाली बर्तन सी तकती हैं तुमको नम आँखे ये उधारी बाद में कैसे चुकाओगे अभी जिंदा सी लग रही हु सारे शहर को दिन औऱ गुजरे तो मातम मनाओगे बुझा बुझा सा गुजरता हैं दिन रातें बोझिल जिस्म लादे चलती हु बताओ कब आओगे ओढ़नी की फड़फड़ाहट अब नही संभलती मेने तूफ़ां रोका है क्या तुम रोक पाओगे ये रूह की तवियत दवा से कहा रुकती हैं सिलवटे छोड़ कर आयीं हु तुम पहचान जाओगें
Rahul Raj
#DearZindagi फूँक मारकर दिए को बुझा सकते है अगरबत्ती को नही क्योंकि जो सुगन्ध फैलाता है उसे कोई बुझा नही सकता true lines...
true lines...
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