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Kushal - कुशल

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gaurav

औषधी ची गुढ मती लपुनी राहीली दिसते फक्त डोंगरात ऊभी....
  आजीचे उपचार फार भरपुर नव्या रूढी.....
लपवले आजार भरपुर घरच्या घरी.....
 औषधांचा जुडगा भला मौठा वनस्पतींची जुडगी.....
न पाहिलेले वृक्ष कधी खुप गुणकारी वजर त्या आजारांना....
  ईलाज घरच्या घरा बटव्यात वनस्पती किती अशा.....
    सर्दी पडश्याला रामबाण उपाय फक्त आजीचा गुणकारी काढा.....
शोधुनी आणलेत कश्या ना लेखणी हाती कधी ना ओळख अक्षरांची सांगितेल्या कोणी तुला औषधी गुण यांची....
   आजार घाबरून समुळ नष्ट होई......
किती निसर्गाची अगाध लिलया दडुन ठेवले उपचार तुझ्या या रूपी....
   काटेरे झुडुप कधी कामी येई रोगांना पळवणारी ताकद मोठी.....
  औषधांचा बटवा सांडला सारा रोगांनी चोरला....
निसर्गात त्या पुन्हा सापडतील शोधण्या त्यांना कोण कैवारी......
   वैद्य नवे शोधावे‌ लागतील निसर्गातले......
नकोत त्या दाटिवाटिच्या रोगांतले...... #बाराखडीकोट #आजचे_अक्षर_औ
#मराठीकोट्स #yqtaai #collab
 #YourQuoteAndMine
Collaborating with Sateesh Ranade

#औषधि

Pradyumn awsthi

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

स॒द्यो जा॒त ओष॑धीभिर्ववक्षे॒ यदी॒ वर्ध॑न्ति प्र॒स्वो॑ घृ॒तेन॑। 
आप॑इव प्र॒वता॒ शुम्भ॑माना उरु॒ष्यद॒ग्निः पि॒त्रोरु॒पस्थे॑॥

पद पाठ
स॒द्यः। जा॒तः। ओष॑धीभिः। व॒व॒क्षे॒। यदि॑। वर्ध॑न्ति। प्र॒ऽस्वः॑। घृ॒तेन॑। आपः॑ऽइव। प्र॒ऽवता॑। शुम्भ॑मानाः। उ॒रु॒ष्यत्। अ॒ग्निः। पि॒त्रोः। उ॒पऽस्थे॑॥

यदि अग्नि सूर्यरूप से भूमि के जल को खींच कर वर्षा न करावे तो कोई भी ओषधि न हो। जैसे कोई रूठा हुआ किसीको मारता है, वैसे जलता हुआ अग्नि पाये हुए पदार्थों को जला देता है। और जैसे प्रसन्न होता हुआ मित्र मित्र की रक्षा करता है, वैसे युक्ति से सेवन किया हुआ अग्नि पदार्थों की रक्षा करता है ॥

If fire does not pull the ground water from the sun and rain it, then there is no vegetation.  Just as someone kills a disheveled one, in the same way, burning fire burns the found substances.  And as a happy friend protects a friend, in the same way the fire consumed by the device protects.

( ऋग्वेद ३.५.८ ) #ऋग्वेद #वेद #औषधि #वर्षा #सूर्य #यज्ञ

Romil Srivastava✅️

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तैत्तरीय उपनिषद मे लिखा है? 
आत्मा से आकाश की उत्पत्ति हुईं, 
आकाश से वायु की, वायु से अग्नि की, 
अग्नि से जल की,जल से पृथ्वी की, 
पृथ्वी से औषधि वनस्पतियों की, 
 औषधि से अन्न की, 
और अन्न से मनुष्य की, 
अतः मानवी सृस्टि का उत्पादक पृथ्वी ही है   
गीतों मे भी लिखा है? 
अदभंति भूतनी पर्जंन्यादन्न सम्भवः

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

anil kumar y625163

पूर्वी चीन के हानचाओ शहर में स्थित पश्चिमी झील अपने असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य के कारण विश्वविख्यात है। 14वीं शताब्दी में इटली के मशहूर यात्री मार्कोपोलो जब हानचाओ आया, उसने पश्चिमी झील की खूबसूरती देख कर उस की इन शब्दों में सराहना की कि "जब मैं यहां पहुंचा, तो लगा जैसे मैं स्वर्ग में आ गया हूँ।" पश्चिमी झील पूर्वी चीन के चेच्यांग प्रांत की राजधानी हानचाओ शहर का एक मोती मानी जाती है । वह तीनों तरफ पहाड़ों से घिरी है, झील के पानी स्वच्छ और दृश्य मनमोहक है। चीन के प्राचीन महाकवि पाई च्युई और सु त

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पूर्वी चीन के हानचाओ शहर में स्थित पश्चिमी झील अपने असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य के कारण विश्वविख्यात है। 14वीं शताब्दी में इटली के मशहूर यात्री मार्कोपोलो जब हानचाओ आया, उसने पश्चिमी झील की खूबसूरती देख कर उस की इन शब्दों में सराहना की कि "जब मैं यहां पहुंचा, तो लगा जैसे मैं स्वर्ग में आ गया हूँ।" 

पश्चिमी झील पूर्वी चीन के चेच्यांग प्रांत की राजधानी हानचाओ शहर का एक मोती मानी जाती है । वह तीनों तरफ पहाड़ों से घिरी है, झील के पानी स्वच्छ और दृश्य मनमोहक है। चीन के प्राचीन महाकवि पाई च्युई और सु त

Anjana Gupta Astrologer

वेद और चिकित्सा

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भारत के किस वेद में मिलता है चिकित्सा सम्बन्धी ज्ञान?  ऋग्वेद : ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान। ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। इस वेद की 5 शाखाएं हैं - शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन। इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन  इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है। वेद और चिकित्सा

TOLCNR_Keep_Smile

Happy #doctorsday 👩‍⚕👨‍⚕ #specialday #trend

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भारत के किस वेद में मिलता है चिकित्सा सम्बन्धी ज्ञान?   ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है।
 इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र हैं। 
इस वेद की 5 शाखाएं हैं - शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन।
 ऋग्वेद में जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। 
जबकि अथर्वदेव वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है। इसके 20 अध्यायों में 5687 मंत्र है। Happy #DoctorsDay 👩‍⚕👨‍⚕
#Specialday #trend

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 9 - भोले भगवान हरीश आज इस ज्येष्ठ की दोपहरी में बहुत भटका, बहुत से दफ्तरों के द्वार खटखटाये उसने, अनेक समाचार-पत्रों और दूसरे कार्यालयों में पहुँचा; कितने दिनों से चल रहा है यह क्रम; कौन गिनने बैठा है इसे। विश्वविद्यालय से एम० ए० करके अपने साथ अनेक प्रशंसा पत्र लिये भटक रहा है हरीश। 'काम नहीं है।' उसके लिए! एक एम० ए० के लिए क्या विश्व में कहीं काम नहीं है? वह अकेला है, घर पर और कोई नहीं; घर ही नहीं उसके तो; पर पेट है न! अकेले को भी तो भूख

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
9 - भोले भगवान

हरीश आज इस ज्येष्ठ की दोपहरी में बहुत भटका, बहुत से दफ्तरों के द्वार खटखटाये उसने, अनेक समाचार-पत्रों और दूसरे कार्यालयों में पहुँचा; कितने दिनों से चल रहा है यह क्रम; कौन गिनने बैठा है इसे। विश्वविद्यालय से एम० ए० करके अपने साथ अनेक प्रशंसा पत्र लिये भटक रहा है हरीश। 'काम नहीं है।' उसके लिए! एक एम० ए० के लिए क्या विश्व में कहीं काम नहीं है? वह अकेला है, घर पर और कोई नहीं; घर ही नहीं उसके तो; पर पेट है न! अकेले को भी तो भूख
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