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Mukesh Poonia

एक दिन आपको #एहसास होगा कि #भौतिक #चीज़ों का कोई #मतलब नहीं है। जो मायने रखता है वह उन #लोगों की #भलाई है जिनसे आप #प्यार करते हैं। #रतन #टाटा जी #विचार

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Pintu Kumar Pandey

दिल का तो #सिर्फ नाम लिया #जाता है वरना ये #दुनिया तो सिर्फ #तीन #चीज़ों से ही #चलती है
#पैसा #Ego ओर #Attitude

©Pintu Kumar Pandey #sairy 
#attentionseeker 
#Attitude 

#Light  VED PRAKASH 73 Priyanka Modi SHENAZ. kiran kee kalam se MONIKA SINGH

Abhishu

दिल का तो #सिर्फ नाम लिया #जाता है वरना ये #दुनिया तो सिर्फ #तीन #चीज़ों से ही #चलती है
#पैसा #Ego ओर #Attitude                                         अगर कोई #एक_बार तुम्हारा #मेसेज✉ Ignore कर दे
तो उसे ☝…….#Ignore करने का #                        दूसरा_मौका✌ देना ही मत                                            आज का दिन जीओ , क्या पता कल हो ना हो.                   Life Is #Awesome#……चाहे फिर कोई सा भी हो मौसम..

KARNOT Chandsama

मेरे जीवन साथी  दिल का तो #सिर्फ नाम लिया #जाता है वरना ये #दुनिया तो सिर्फ #तीन #चीज़ों से ही #चलती है
#पैसा #Ego ओर #Attitude jai Rajputana

Sandy sharma

दिल का तो #सिर्फ नाम लिया #जाता है वरना ये #दुनिया तो सिर्फ #तीन #चीज़ों से ही #चलती है
#पैसा #Ego ओर #Attitude

अनुराग चन्द्र मिश्रा

फ़ेंकनें का मन नहीं करता टुटी-बिखरी चीज़ों को फ़िजूल में कोई कोनां यें घेरें रहतीं हैं कुछ वक्त बीता हैं इनकें साथ जो यूं समेटें रहतीं हैं कुछ रंगीन है कुछ ग़मगींन है कुछ ख़ामोश, कुछ़ संगीन हैं बीते वक्त की इक याद इन संग पड़ी हैं फ़ेंकनें का मन नहीं करता, फ़िजूल में कोई कोनां यें घेरें रहतीं हैं कुछ ख़िलौनें टूटें पड़ें कुछ कपड़ें धूल में सनें हैं 'क ख़ ग', 'A B C' की नोटबुक, रंगों की ड़िब़्बी बेढ़ाल पड़ी हैं #Quotes #kavishala #यादें

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"टूटी-बिखरी चीज़े"
फ़ेंकनें का मन नहीं करता टुटी-बिखरी चीज़ों को 
फ़िजूल में कोई कोनां यें घेरें रहतीं हैं 
कुछ वक्त बीता हैं इनकें साथ जो यूं समेटें रहतीं हैं 
कुछ रंगीन है कुछ ग़मगींन है कुछ ख़ामोश, कुछ़ संगीन हैं
बीते वक्त की इक याद इन संग पड़ी हैं 
फ़ेंकनें का मन नहीं करता, फ़िजूल में कोई कोनां यें घेरें रहतीं हैं....
Full Poetry read in caption...
 फ़ेंकनें का मन नहीं करता टुटी-बिखरी चीज़ों को 
फ़िजूल में कोई कोनां यें घेरें रहतीं हैं 
कुछ वक्त बीता हैं इनकें साथ जो यूं समेटें रहतीं हैं 
कुछ रंगीन है कुछ ग़मगींन है कुछ ख़ामोश, कुछ़ संगीन हैं
बीते वक्त की इक याद इन संग पड़ी हैं 
फ़ेंकनें का मन नहीं करता, फ़िजूल में कोई कोनां यें घेरें रहतीं हैं 
कुछ ख़िलौनें टूटें पड़ें कुछ कपड़ें धूल में सनें हैं 
'क ख़ ग', 'A B C' की नोटबुक, रंगों की ड़िब़्बी बेढ़ाल पड़ी हैं


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