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Best बच्चें Shayari, Status, Quotes, Stories

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Naveen Singh

#गलियाँ #बच्चें https://instagram.com/naveensingh220391?igshid=ZDdkNTZiNTM= https://www.youtube.com/@NaveenSingh-2203 #प्रेरक

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Nammy S

दिल करता है भूल के सब बड़ापन
फिर से आज बच्चा बन जाऊं।
गीले शिकवे, झूठी बातें खत्म कर
आज फिर से सच्चा बन जाऊं।
मुश्किल तो है एक पल में सब करना
ज्यादा नही तो बस अच्छा बन जाऊं।
चल खुशियाँ बाँट लूँ, जी भर के नाँच लूँ
फिर से आज बच्चा बन जाऊं। #nammy27 
#yqdidi 
#bestyqhindiquotes 
#childrensday 
#बच्चें  
#collab 
#बालदिवस

Vishal

#समझदारी #बच्चें #मुबारक़ #अच्छे YourQuote Baba YourQuote Diary Hindi Poetry Yourquote kavi

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तुम्हारी समझदारी हो तुमको मुबारक, हम तो नादान ही अच्छे।
तुम बड़े बनकर बड़कपन दिखाओ, हम तो बच्चे ही अच्छे।। #समझदारी #बच्चें #मुबारक़ #अच्छे YourQuote Baba YourQuote Diary Hindi Poetry Yourquote kavi

अरफ़ान भोपाली

ख़रीद  लिया  है  मक़ान  उसने , करोड़ो  का  शहर  में
मगर आंगन दिखाने बच्चों को आज भी गांव लाता है #मकान #घर #शहर #बच्चें #आंगन #परिवार #शायरी #hindipoetry #hindiwriters #nojoto

Dilipkashyap

#HappyChildrensDay  बच्चें वो फूल हैं जो जहां में खुशबु बिखेर दे
बच्चें वो दीपक हैं जो जहां में रोशनी फैला दे
अगर बच्चों को उचित शिक्षा मिल जाये तो वे दुनिया बदल देंगे
दुनिया बदल देंगे l #बच्चें

Tarun Sharma

बच्चें, मासूमियत की परिभाषा ।
प्रेम के भूखे ये बच्चें।।
झूठे प्रेम से भी खेचे चले आते इतने मासूम होते है, ये बच्चें।
निस्वार्थ, निष्कलंक, निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा होते है, ये छोटे बच्चें।।
इनकी एक चोटी सी मुस्कान किसी का भी दिल जीत ले।
इनकी एक मुस्कान किसी का भी दुःख भुला दे,ऐसे होते है ये प्यारे बच्चें ।। #विचार #बच्चें #रचना #मेरीरचना

Tarun Sharma

बच्चें, मासूमियत की परिभाषा ।
प्रेम के भूखे ये बच्चें।।
झूठे प्रेम से भी खेचे चले आते इतने मासूम होते है, ये बच्चें।
निस्वार्थ, निष्कलंक, निस्वार्थ प्रेम की परिभाषा होते है, ये छोटे बच्चें।।
इनकी एक चोटी सी मुस्कान किसी का भी दिल जीत ले।
इनकी एक मुस्कान किसी का भी दुःख भुला दे,ऐसे होते है ये प्यारे बच्चें ।। #विचार #बच्चें #रचना #मेरीरचना

Apna Hisar Vicky Yar

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*!!हम उस जमाने के बच्चे थे!!*

पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे... 
स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी,
कक्षा के तनाव में भाटा पेन्सिल खाकर ही हमनें तनाव मिटाया था।

स्कूल में टाट-पट्टी की अनुपलब्धता में घर से खाद या बोरी का कट्टा बैठने के लिए बगल में दबा कर भी साथ ले जातें थे।

कक्षा छः में पहली दफा हमनें अंग्रेजी का कायदा पढ़ा और पहली बार एबीसीडी देखी 
स्मॉल लेटर में बढ़िया एफ बनाना हमें बारहवीं तक भी न आया था।
करसीव राइटिंग भी कॉलेज मे जाकर ही सीख पाए।

उस जमाने के हम बच्चों की अपनी एक अलहदा दुनिया थी,
कपड़े के थेले में किताब और कापियां जमाने का विन्यास हमारा अधिकतम रचनात्मक कौशल था। 

तख्ती पोतने की तन्मयता हमारी एक किस्म की साधना ही थी। हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते (नई काॅपी-किताबें मिलती) तब उन पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का स्थाई उत्सव था।

सफेद शर्ट और खाकी पेंट में जब हम माध्यमिक कक्षा पहूँचे तो पहली दफा खुद के कुछ बड़े होने का अहसास तो हुआ लेकिन पेंट पहन कर हम शर्मा रहे थे, मन कर रहा था कि वापस निकर पहन लें। 

पांच छ: किलोमीटर दूर साईकिल से रोज़ सुबह कतार बना कर चलना और साईकिल की रेस लगाना हमारे जीवन की अधिकतम प्रतिस्पर्धा थी।

हर तीसरे दिन पम्प को बड़ी युक्ति से दोनों टांगो के मध्य फंसाकर साईकिल में हवा भरतें मगर फिर भी खुद की पेंट को हम काली होने से बचा न पाते थे।

स्कूल में पिटते, कान पकड़ कर मुर्गा बनतें मगर हमारा ईगो हमें कभी परेशान न करता.. हम उस जमाने के बच्चें शायद तब तक जानते नही थे कि *ईगो* होता क्या है।

क्लास की पिटाई का रंज अगले घंटे तक काफूर हो गया होता, और हम अपनी पूरी खिलदण्डता से हंसते पाए जाते।

रोज़ सुबह प्रार्थना के समय पीटी के दौरान एक हाथ फांसला लेना होता, मगर फिर भी धक्का मुक्की में अड़ते भिड़ते सावधान विश्राम करते रहते।

हम उस जमाने के बच्चें सपनें देखने का सलीका नही सीख पाते, अपनें माँ बाप को ये कभी नही बता पातें कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं, क्योंकि "आई लव यू माॅम-डेडी" नहीं आता था. 

हम उस जमाने  से निकले बच्चें गिरतें सम्भलतें लड़ते भिड़ते दुनियां का हिस्सा बने हैं। कुछ मंजिल पा गए हैं, कुछ यूं ही खो गए हैं। 

पढ़ाई फिर नौकरी के सिलसिलें में लाख शहर में रहें लेकिन जमीनी हकीकत जीवनपर्यन्त हमारा पीछा करती रहती रही है. 

अपने कपड़ों को सिलवट से बचाए रखना और रिश्तों को अनौपचारिकता से बचाए रखना हमें नहीं आता है।

अपने अपने हिस्से का निर्वासन झेलते हम बुनते है कुछ आधे अधूरे से ख़्वाब और फिर जिद की हद तक उन्हें पूरा करने का जुटा लाते है आत्मविश्वास।

कितने भी बड़े क्यूँ ना हो जायें हम आज भी दोहरा चरित्र नही जी पाते हैं, जैसे बाहर दिखते हैं, वैसे हीं अन्दर से होते हैं।

*"हम थोड़े अलग नहीं, पूरे अलग होते हैं. "*

*कह नहीं सकते हम बुरे थे या अच्छे थे,*
    *"क्योंकि हम उस जमाने के बच्चे थे."*

Rehan Mirza

#विचार #कविता #कहानी #शायरी #कला #संगीत #कॉमेडी #आतंकवाद #बंदूक #बच्चें Vaishali Chauhan Naina sharma OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Pratibha Tiwari(smile)🙂 dilsere - archu

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फ़ितरतन लोग नफ़रतों को हवा देते हैं।
हाथ  में  बच्चों  के  बंदूक  थमा देते हैं। #विचार #कविता #कहानी #शायरी #कला #संगीत #कॉमेडी #आतंकवाद #बंदूक #बच्चें Vaishali Chauhan Naina sharma  OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Pratibha Tiwari(smile)🙂 dilsere - archu

Anjul Srivastava

#मासूम #आंजनेय_अंजुल #बच्चें News #nojotohindi Gyandev Kumar Ravi Chandra Subhadra Kumari Monazir Hussain Ansari Nitesh Kumar #कविता #nojotonews

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मासूम  मासूम हैं बच्चे, सच्चे हैं बच्चे
दुनिया में खुदा के दूत हैं बच्चे
हार न माने, ऐसा मन हैं इनका
दुखों में भी दुखी न होते बच्चे

© आंजनेय अंजुल #मासूम #आंजनेय_अंजुल #बच्चें #NojotoNews #NojotoHindi  Gyandev Kumar Ravi Chandra Subhadra Kumari Monazir Hussain Ansari Nitesh Kumar
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