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Rakesh frnds4ever
विश्व की श्रेष्ठतम भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको सभ्य, संस्कारी ओर सदाचारी इंसान बनाती है जो आपकी संस्कृति सभ्यता का मूल है,, जो की विश्व की इंसान को जानवर बनाने वाली पाश्चात्य रद्दी भाषा अंग्रेजी की तरह चोरी की नहीं है,,... हिंदी है हम वतन हैं,,.... ©Rakesh frnds4ever #Hindidiwas #विश्वहिंदीदिवस #विश्व की श्रेष्ठतम #भाषा जिसमें विचारों की अभिव्यक्ति व #सृजनशीलता सहज,स्वाभाविक एवम् स्पष्ट है ऐसी भाषा जो विकारों एवम व्याधियों को दूर करती है जिसके उच्चारण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है ऐसी भाषा जो आपको
Azaad Pooran Singh Rajawat
"अपना संपूर्ण मासिक वेतन पिता को समर्पित मायने नहीं रखता पैसा मायने रखते हैं संस्कार स्कूल से कोई शिकायत नहीं कॉलेज से कोई शिकायत नहीं कॉलोनी से कोई शिकायत नहीं गांव से कोई शिकायत नहीं कर्मभूमि से कोई शिकायत नहीं हर जगह से सिर्फ़ और सिर्फ़ सुनने को मिलती रही पुत्र कर्म पुत्र संस्कारों की प्रशंसा ईश्वर से कामना है यही मेरी हर पिता को मिले संस्कारी पुत्र विवेक जैसा।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #संस्कारी पुत्र विवेक जैसा#
Gautam_Anand
वो अपनी बदगुमानी में दिन को रात समझाते रहे हम भी बड़े संस्कारी थे उनका हौसला बढ़ाते रहे #संस्कारी
sonalika राय
मुझे नाज है अपनी परवरिश पर क्यूंकि मैं गुस्सा मे भी बात करने.. की तमीज नही भूलती हू ©शायरी wali #संस्कारी
Lavi ji
Hirdesh Gaur ($h@ñ....!)
दिखावा नहीं करना मुझे, किसी से तारीफ़ को, संस्कारी हूं संस्कारियों के लिए, दुराचारियों के लिए नहीं....! Hirdesh Gaur ($H@Ñ....!) #संस्कारी #आत्मा #nojoto #kumarvishvas
Hirdesh Gaur ($h@ñ....!)
दिखावा नहीं करना मुझे, किसी से तारीफ़ को, संस्कारी हूं संस्कारियों के लिए, दुराचारियों के लिए नहीं....! Hirdesh Gaur ($H@Ñ....!) #संस्कारी #आत्मा #nojoto #kumarvishvas
Roopanjali singh parmar
मैं सुधर जाऊंगी (कृप्या अनुशीर्षक में पढ़ें) हमारे समाज के दो हिस्से हैं.. एक हिस्से में औरतों को आत्मनिर्भर बनाने की बात की जाती है, और एक हिस्सा कमजोर औरतों को ही औरत होने का दर्जा देता है। हम सभी एक स्वतंत्र विचार वाली और आत्मनिर्भर औरत को स्वीकार कर ही नहीं पाते, क्योंकि हमारी सोच में औरत की छवि एक दबी हुई आवाज़ की तरह है। जिसे हम सुनकर भी अनसुना कर देते हैं। औरत को हम या तो दायित्वों में डाल व्यस्त कर देते हैं या मनोरंजन के साधन की तरह इस्तेमाल कर लेते हैं.. औरतों की कमजोरी की वज़ह क्या है..? दरअसल वज़ह हम खुद हैं.. क्योंकि हम उन्हें ये
Vɩɱʌɭ Nɩtʜʌrwʌɭ
मैं आज भी इंतज़ार में हूँ लगता है, प्यार में हूँ ... तुम कहा खोये हो आज भी इंतजार मे हू #संस्कारी जाट #tum.. #love #beautiful