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Freelancer

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Mansi.k_13

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Neerja

(773) He took the lead, as he is the dancer and not me. He told me few basic steps of a couple dance, till that the song was decided to be played. .... further for me it was an awesome experience.. few steps which made me feel so happy.. and he asked "Ma'am dobara se ye step krna hai??" and me like a child excitedly nodded. To do a salsa or a couple dance is like a dream to me.. under rain krne ka mauka mil jaaye toh kya hi baat phir!! Well Prashansha.. sahi hai re.. aaj ye wala dance krne ko #Dance #Junior #Senior #aukebche

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Me - "Thank-you so very much for the dance!!" 

He - "arre Ma'am I was honored ki mujhe senior ke saath dance krne ka mauka mila!" 

Me - "arre beta.. thank-you.."  (773)
He took the lead, as he is the dancer and not me. He told me few basic steps of a couple dance, till that the song was decided to be played. .... further for me it was an awesome experience.. few steps which made me feel so happy.. and he asked "Ma'am dobara se ye step krna hai??" and me like a child excitedly nodded.

To do a salsa or a couple dance is like a dream to me.. under rain krne ka mauka mil jaaye toh kya hi baat phir!!

Well Prashansha.. sahi hai re.. aaj ye wala dance krne ko

Aswartha Lakshmi Mitta

#Senior citizens day# #yqkavi# yqquotes# శతమానం భవతి అన్న పెద్దలు అక్షతలు చల్లి ఆశీర్వదించిన చేతులు నడక నడక నేర్పిన చేతులు అడుగడుగున ఆసరా ఆయన చేతులు చేతన లేక చేతలు లేక నిర్జీవంగా వేలాడి పోతుంటే చేతులో ముక్కులో రకరకాల గొట్టాలతో ఉంటే బాగు చేసే పరిస్థితి లేకబాగుఅయ్యే అవకాశం లేక చివరకు చేతులు జోడించి ఆ దేవుడిని మంచి ప్రార్థనతో ప్రార్థిస్తాను జీవితం ఇచ్చిన వారి కోసం ప్రార్థన చేస్తా

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శతమానం భవతి అన్న పెద్దలు
అక్షతలు చల్లి ఆశీర్వాదించిన
చేతులు✋🖐👋
(Read full in caption) 👇👇 #Senior citizens day#
#Yqkavi# yqquotes#
శతమానం భవతి అన్న పెద్దలు అక్షతలు చల్లి ఆశీర్వదించిన చేతులు
నడక నడక నేర్పిన చేతులు అడుగడుగున ఆసరా ఆయన చేతులు 
చేతన లేక చేతలు లేక నిర్జీవంగా  వేలాడి పోతుంటే  
చేతులో ముక్కులో రకరకాల గొట్టాలతో ఉంటే
 బాగు చేసే పరిస్థితి లేకబాగుఅయ్యే  అవకాశం లేక చివరకు చేతులు జోడించి ఆ దేవుడిని మంచి ప్రార్థనతో ప్రార్థిస్తాను 
జీవితం ఇచ్చిన వారి కోసం ప్రార్థన చేస్తా

Navneet gupta

हमारे भाईसाहब को भी शिक्षक दिवस की बधाई!
जिन्होंने मीटिंग लगाया हमको इस कदर बनाया..!!

 #bhaisahab 
#senior 
#seniorjuniorrelation 
#polytechnic 
#meeting 
#hosteldiaries 
#jhansi 
#xdc_navneet

Tamal Majumdar

#Senior #

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Waqt ne shayad diya bas ek saal
Milane Ko Dil aur batane Ko sabka haal
Kisi ne kaha akhri kuch din hai
Kisi ne kaha yeh pal na bhula paaye hai
Bhaiya bhale hi ek saal ho hi hua hoga
Kuch pal sach me na bhula paaenge
Aapko yaad hi nahi 
Dil me basa kar rakhenge
Bhaiya Dil se humari ye dua hai
Upar wale ne zindagi toh limited di hai
Khushi Usme jee bhar ke le hi Lijiyega
Rahe aage ke saal kushiyon ke beech me
Aur saath me ek sundar si bhabi bhi Zarur lana #senior #

Dr.Sameeksha Koundal🐾

That one senior who is favourite among all junior girls #dreamingvet  #modi #meme #humour #medicalstudent #college #senior

Crazy Guy Javee 🦋

Aww those days were still in my heart ❤ #crush #Senior love #yqdidi #yqbbaba

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Those days were awesome 🥺

When I woke up early 

Get bath 

Dressed up so nice 

Having a chocolate in hand 

Waiting for my school bus to arrive 

Just to see my senior crush 😍 

She receives the chocolate from me and in return gave a kiss on my cheeks 🥺🥺

I need those days back 😩 

 Aww those days were still in my heart ❤ 

#crush 
#senior 
#love 
#yqdidi 
#yqbbaba

Aprasil mishra

" हमारे सोशल मीडियाई लम्हें "..... (०१) बात उन दिनों की है जब हमारा इस सोशलमीडिया की नयी आभासी दुनिया से साक्षात्कार हो रहा था, वह संभवतः इक्कीसवीं सदी के सत्राहवें के सत्र का आठवां महीना था|द्वादश उत्तीर्ण करने के बाद से ही हमारी जिंदगी जीवन के अगले पड़ावों पर अग्रसर होने से पहले ही सहम चुकी थी, हम अपनी किशोरावस्था के प्रारंभिक स्वप्नों को विस्मृत करने के दुर्योग में मरणासन्न हुये जा रहे थे|शरीर में केवल प्राण ही संभवतः नि:शेष थे, वो भी इसलिए कि हमारी भावी उत्कृष्ट सफलतायें हमारे निकटस्थ लोगों को समाज में उत्कर्ष दिला सकेंगी, की अभीप्सा थी और हम निष्क्रिय अवचेतना के शिकार भले ही थे लेकिन अपनी आर्थिक बदहाली के अति विषमतम् दिनों में अपने आशावादी जमींनी दृष्टिकोंण के माध्यम से एकमात्र अभिप्रेरणा थे|उन दिनों हमारी बारहवीं दर्जे की मैत्री भी अंतिम सांसें ले रही थी|अन्तर्मन तक उद्भाषित सिहरती क्लान्त शांति वेदनायें मूलत: मानकीकृत हो चुकी थी|अपने जीवन के बाह्य परिदृश्य में हम अटूट स्थिर और अडिग भले ही व्यक्त हो रहे थे, परन्तु वास्तविकता तो यही थी कि हम भीतर से पूरी तरह घुट-घुट कर बिखरते हुये धाराशायी हो चुके थे|ऐसे में " वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकली होगी गान " ये उक्त पंक्तियाँ हमारे जीवन में हमारी लेखन यात्रा के आरम्भ होने के साथ ही साकार होने लगी थी| हम इन्द्रियनिग्रह, आत्मसंयम और स्फूर्त चेतना के नवजागरण को कविताएँ व डायरियां लिखने लगे थे|हमारी पहुँच भी कभी - कभार लैपटॉप तक अपनी अग्रजा के पास लम्बे समय तक भट्ट बिल्डिंग में रहने से बन चुकी थी| अग्रजा के आई टी कंपनी में जाॅब पर निकल जाने से वह संगणक यंत्र हमारे लिए दुनियावी सरोकारों से संबद्ध होने का एक सुगम माध्यम बन गया| द्वादश की जिंदगी में जिस अनोखी दुनिया के किस्से हमारी मित्र मंडलियों में सरगर्म हो रहे थे, उस फेसबुकिया संसार में अनुकूल अवसरों के मिलते ही हमने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर ली|यह सोशलमीडिया की दुनिया हमारे लिए जहाँ नये अनुभवों की कुंजी थी वही एक लाजवन्ती से शर्मीले लड़के को मूक जीवन में आभासी पटल पर लेखन के जरिये ही सही उसे मुखर बनाने की प्रशिक्षणशाला भी| इस आभासी दुनिया में दाखिल होना ही पर्याप्त नहीं था, अभी तो परिचय का आभासी समाज बनाना बाकी था|जिस प्रकार किसी भी दुनिया में समाज के निर्माण को परिवार एवं संबंधों के अस्तित्व की आवश्यकता होती है, वैसे ही इसमें भी इसकी पूर्णता को इन्हें सृजित करना अपरिहार्य था और हम भला इसमें पीछे कहाँ रहने वाले थे| खैर यह हमारे स्नातक का द्वितीय वर्ष था| कुछ परिचितों व अपरिचितों को बहरहाल हमने भी मित्र अनुरोध भेजे और ऐसे ही कुछ परिचितों व अपरिचितों के मित्र अनुरोध हमने प्राप्त भी किये|फिर क्या था फेसबुकिया उसूलों के गिरफ्त में अन्य की भांति हम भी आ गये... परिणामतः परिचितों से कम और अपरिचितों से ज्यादा जुड़ गये| समय के साथ-साथ अब हम धीरे-धीरे इस दुनिया के कई और नये उसूलों से रुख़सत होने लगे थे कि तभी हमने फेसबुकिया मैत्री में रक्षाबंधन के दिन पहला संदेश प्राप्त किया 'हाय!'... संभव है कईयों के लिये ऐसे संदेश प्राप्त करना बेहद सामान्य बात हो, परन्तु हमारे लिए यह बिल्कुल सामान्य न था|स्तब्धता के बंधन में माथे पर सिकन भरी लज्जा की एक अजीब सी तनाव की रेखा खिंच गई, पलकों ने झपकना बंद कर दिया लगा कि मानों हम जैसे किसी अनैतिक अपराधों में रंगे हाथ पकड़े गये हों... परन्तु कुछ ही क्षण उपरान्त हमारे अकेलेपन ने हमें एक नवीन मैत्री का साथ साधने को उत्प्रेरित किया और हमने भी प्रतिउत्तर में संदेश दिया... 'हैलो, मे आई नो यू?'... और फिर क्या नौकरशाही बनने की उभयाकांक्षाओं के एक रंगी संभाषण के सिलसिलों ने हमें एक आभासी भाई-बहन के फेसबुकिया रिश्तों में स्थापित कर दिया|पर यह क्या! कुछ ही महीनों में दिवाली आ गई और निकटस्थ स्नातक की परीक्षाओं के दबावों में हमनें इस दुनिया की लगभग छ-सात महीनों तक सुधि न ली| स्नातक द्वितीय वर्ष की परीक्षोपरान्त हमनें पुन: अपनी एकान्तताओं के समाधान को फेसबुकिया संसार दाखिल कर लिया|परन्तु एक दिन जब हम बरसात के महीनों में अपनी कुछ व्यक्तिगत स्वायत्तता के मसलों पर अपनी सहोदर अग्रजा के सुनामी वक्तव्यों का मौनमालिन्य सामना कर रहे थे कि तभी हमारे हाथ में मोबाईल कंपित हो उठी| यह संभवतः जुलाई के पहले रविवार के सायंकाल का समय था|पहली काॅल वीडियो काॅल थी और फिर लगातार दो वाॅइस काॅलें...... #Relationship #SocialMedia #yqhindi #Sisterhood #virtualworld #Senior #Newness

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" हमारे सोशल मीडियाई लम्हें "..... (०१)  " हमारे सोशल मीडियाई लम्हें "..... (०१) 

       बात उन दिनों की है जब हमारा इस सोशलमीडिया की नयी आभासी दुनिया से साक्षात्कार हो रहा था, वह संभवतः इक्कीसवीं सदी के सत्राहवें के सत्र का आठवां महीना था|द्वादश उत्तीर्ण करने के बाद से ही हमारी जिंदगी जीवन के अगले पड़ावों पर अग्रसर होने से पहले ही सहम चुकी थी, हम अपनी किशोरावस्था के प्रारंभिक स्वप्नों को विस्मृत करने के दुर्योग में मरणासन्न हुये जा रहे थे|शरीर में केवल प्राण ही संभवतः नि:शेष थे, वो भी इसलिए कि हमारी भावी उत्कृष्ट सफलतायें हमारे निकटस्थ लोगों को समाज में उत्कर्ष दिला सकेंगी, की अभीप्सा थी और हम निष्क्रिय अवचेतना के शिकार भले ही थे लेकिन अपनी आर्थिक बदहाली के अति विषमतम् दिनों में अपने आशावादी जमींनी दृष्टिकोंण के माध्यम से एकमात्र अभिप्रेरणा थे|उन दिनों हमारी बारहवीं दर्जे की मैत्री भी अंतिम सांसें ले रही थी|अन्तर्मन तक उद्भाषित सिहरती क्लान्त शांति वेदनायें मूलत: मानकीकृत हो चुकी थी|अपने जीवन के बाह्य परिदृश्य में हम अटूट स्थिर और अडिग भले ही व्यक्त हो रहे थे, परन्तु वास्तविकता तो यही थी कि हम भीतर से पूरी तरह घुट-घुट कर बिखरते हुये धाराशायी हो चुके थे|ऐसे में " वियोगी होगा पहला कवि, आह से निकली होगी गान " ये उक्त पंक्तियाँ हमारे जीवन में हमारी लेखन यात्रा के आरम्भ होने के साथ ही साकार होने लगी थी|
                     हम इन्द्रियनिग्रह, आत्मसंयम और स्फूर्त चेतना के नवजागरण को कविताएँ व डायरियां लिखने लगे थे|हमारी पहुँच भी कभी - कभार लैपटॉप तक अपनी अग्रजा के पास लम्बे समय तक भट्ट बिल्डिंग में रहने से बन चुकी थी| अग्रजा के आई टी कंपनी में जाॅब पर निकल जाने से वह संगणक यंत्र हमारे लिए दुनियावी सरोकारों से संबद्ध होने का एक सुगम माध्यम बन गया| द्वादश की जिंदगी में जिस अनोखी दुनिया के  किस्से हमारी मित्र मंडलियों में सरगर्म हो रहे थे, उस फेसबुकिया संसार में अनुकूल अवसरों के मिलते ही हमने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर ली|यह सोशलमीडिया की दुनिया हमारे लिए जहाँ नये अनुभवों की कुंजी थी वही एक लाजवन्ती से शर्मीले लड़के को मूक जीवन में आभासी पटल पर लेखन के जरिये ही सही उसे मुखर बनाने की प्रशिक्षणशाला भी|
                   इस आभासी दुनिया में दाखिल होना ही पर्याप्त नहीं था, अभी तो परिचय का आभासी समाज बनाना बाकी था|जिस प्रकार किसी भी दुनिया में समाज के निर्माण को परिवार एवं संबंधों के अस्तित्व की आवश्यकता होती है, वैसे ही इसमें भी इसकी पूर्णता को इन्हें सृजित करना अपरिहार्य था और हम भला इसमें पीछे कहाँ रहने वाले थे| खैर यह हमारे स्नातक का द्वितीय वर्ष था| कुछ परिचितों व अपरिचितों को बहरहाल हमने भी मित्र अनुरोध भेजे और ऐसे ही कुछ परिचितों व अपरिचितों के मित्र अनुरोध हमने प्राप्त भी किये|फिर क्या था फेसबुकिया उसूलों के गिरफ्त में अन्य की भांति हम भी आ गये... परिणामतः परिचितों से कम और अपरिचितों से ज्यादा जुड़ गये| समय के साथ-साथ अब हम धीरे-धीरे इस दुनिया के कई और नये उसूलों से रुख़सत होने लगे थे कि तभी हमने फेसबुकिया मैत्री में रक्षाबंधन के दिन पहला संदेश प्राप्त किया 'हाय!'...  
                    संभव है कईयों के लिये ऐसे संदेश प्राप्त करना बेहद सामान्य बात हो, परन्तु हमारे लिए यह बिल्कुल सामान्य न था|स्तब्धता के बंधन में माथे पर सिकन भरी लज्जा की एक अजीब सी तनाव की रेखा खिंच गई, पलकों ने झपकना बंद कर दिया लगा कि मानों हम जैसे किसी अनैतिक अपराधों में रंगे हाथ पकड़े गये हों... 
                    परन्तु  कुछ ही क्षण उपरान्त हमारे अकेलेपन ने हमें एक नवीन मैत्री का साथ साधने को उत्प्रेरित किया और हमने भी प्रतिउत्तर में संदेश दिया... 'हैलो, मे आई नो यू?'... और फिर क्या नौकरशाही बनने की उभयाकांक्षाओं के एक रंगी संभाषण के सिलसिलों ने हमें एक आभासी भाई-बहन के फेसबुकिया रिश्तों में स्थापित कर दिया|पर यह क्या! कुछ ही महीनों में दिवाली आ गई और निकटस्थ स्नातक की परीक्षाओं के दबावों में हमनें इस दुनिया की लगभग छ-सात महीनों तक सुधि न ली|
                  स्नातक द्वितीय वर्ष की परीक्षोपरान्त हमनें पुन: अपनी एकान्तताओं के समाधान को फेसबुकिया संसार दाखिल कर लिया|परन्तु एक दिन जब हम बरसात के महीनों में अपनी कुछ व्यक्तिगत स्वायत्तता के मसलों पर अपनी सहोदर अग्रजा के सुनामी वक्तव्यों का मौनमालिन्य सामना कर रहे थे कि तभी हमारे हाथ में मोबाईल कंपित हो उठी| यह संभवतः जुलाई के पहले रविवार के सायंकाल का समय था|पहली काॅल वीडियो काॅल थी और फिर लगातार दो वाॅइस काॅलें......

Ansh Rajora

Isn't it true... Respect your elders always. #Senior #Junior #RESPECT #Success #yqbaba

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Whether its about being social or a professional  but the fact is
If you want to be respected by your juniors, learn to respect your seniors first..  Isn't it true... Respect your elders always. 
#senior #junior #respect #success
#yqbaba
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