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khubsurat

#khubsuratsaloni #Mai #Rose #nojotohindi SIDDHARTH SHENDE s2 Priya dubey Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Prakash Kumar कवि राहुल पाल #कविता

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हयात की तस्वीर दीवारों
को मुबारक, 
जमीन सा कोई मिले तो
दे दू जो है कब्र मुझमें,
चाँद के परत पर धूल सी 
है कई रात मुझमें,
लिखती हूँ बूँदों पर पत्थर से
देखो तो कुछ भी नहीं 
आँखे बंद कर पा लो कायनात मुझमे......


सलोनी कुमारी










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#nojotohindi   SIDDHARTH SHENDE s2 Priya dubey Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" Prakash Kumar  कवि राहुल पाल

khubsurat

read in caption स्वर मे कंपन नहीं दिखे होंगे ना दिखी होगी कोई लकीरे चेहरा हरा भरा ही था मेरा इक पहर भर धूप थी बस जला नहीं शरीर बस तपा बहुत तपा तुम्हे पता नहीं चला होगा #Love #Pyar #alfaj #nojoto2020 #khubsuratsaloni

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मैं फिर से प्यार कर बैठी थी











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©khubsurat read in caption
स्वर मे कंपन नहीं  दिखे  होंगे
ना दिखी होगी कोई लकीरे
चेहरा हरा भरा ही था मेरा
इक  पहर भर धूप थी बस
 जला नहीं शरीर
बस तपा बहुत तपा
तुम्हे पता नहीं चला होगा

khubsurat

नाका़ब  हैं तो रहे इसमे चेहरा
 हसींन होने की गुंजाहिश हैं
परतें हट जाने के बाद भी 
 रूह  अब नहीं देखेगी
ढल गया हैं वो फरेबी शाम
 भी सुबह की किरणों को ले कर
पर्दा हट गया भी नजरों से तो 
अमावश मे रोशनी नहींं दिखेगी...... 

--- सलोनी कुमारी

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khubsurat

दो धार आँखे वो रौबदार आँखे
 जो रखी गई  थी बड़े सलीके से 
ऐसे की न कुछ कटा है न कुछ बचा है
बस बेबस है अपंग पंखों के साथ 
झूल रहा है झूला
स्थूल पड़े मन मे एक बार 
फ़िर से हलचल  हैं
कंपन है और शरीर की धाराएँ 
कल - कल हैं
वो सादी तुम्हारी कमीज की चमक से 
झिलमिला जाते हैं मेरे नजरों मे सितारे
एक अंधकार मे लालिमा की  सुबह हैं
 मुस्कान से  खिलते होठ तुम्हारे
कैसे कविता मे कैसे गज़ल मे ढालू  
मैं अन्धकार एक तेज़ को कैसे समा लू
------------सलोनी कुमारी

©khubsurat #khubsuratsaloni 
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khubsurat

डूब जाना है मुझे दिन तक ही
देखो किरण बन कर  भी कोई
 सदा साथ चल नहीं सकता..... 
---सलोनी कुमारी

©khubsurat #khubsuratsaloni

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#khubsuratsaloni taranpreet kaur sk. manjur Amita Tiwari Priya dubey Priya Gour

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दाग दे कर हाथ साफ कर लिया सबने 
आजाद हैं मेरे गुनेहगार मुझे अंधेरे मे कैद कर- कर
---सलोनी कुमारी

©khubsurat #khubsuratsaloni 

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मेरे शाम सरल नहीं हैं तुम्हारा पथ, 
मेरी पगडंडियो पर भी चल कर देखना कठिन हैं, 
तुम पीपल के छाव मे  जब बंशी बजाते हो
मैं धूप वर्षा मैं नंगे कदम आ जाती हूँ बिना सोचे बिना समझे सुद्बुध् हारे 
तुम्हे निहारने आजाती हूँ, 
तुम भी बहुत सहते हो 
जग जब शब्दो मे तुम्हे हमे लिखता हैं
मेरा इंतजार और तुम्हारा मोह तोड़ जाने का वर्णन करता हैं, 
जब मैं भी यही कह दूँ 
समझती हू मेरे प्राण तुम्हारा हिर्दय और  पीर से भरता हैं
कृष्णा से द्वारीकधीस बनने की और हो तुम अब 
बंशी के साथ साथ तुम्हारे कर मे सुदर्शन चक्र भी देखना होगा मुझे
देखा है तुम्हे बस मुझे पुकारते बेफिक्री मे गौ को चराते तो बस  इसलिए समझ नहीं पाती, 
की तुम्हारा राज पाट और तुम्हारी जिम्मेवारी
क्युंकि मैंने सदा नटखट कान्हा के बंसी के बुलाने पे सदा आई हूँ,
अब भी तुम्हे कृष्णा  मिलने पे द्वारीकधीस् बोल दू
मैं समझती हूँ  तुम्हें पर सायद खुद को नहीं समझा पाती हूँ 
खैर ये जीवन निरंतर बढ़ता रहेगा हम रुक जाए या चलते रहे इसे फर्क नहीं ये अपनी गति से चलेगा
तो रुक के कुछ चंद छन तुम्हारे संग बिताने के लोभ मे 
तुम्हारे हिर्दय से जा रही हूँ दोष मेरा यह की खुद को नहीं समझा पा रही हूँ।
मैं राधा नही बन सकी उनके जैसा धर्य नहीं मुझ मे 
पर कुछ तो है मेरे भी मन मे आपके लिए जो था है और सदा रहेगा
प्रेम पर नहीं खड़ी उतर  मैं पर इसे जो भी समझो
हिर्दय पर आपका चित्र सदा रहेगा
--सलोनी कुमारी

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khubsurat

लोग  अगर समंदर मे उतर कर नमकिन हो जाते
 तो हम कवि शब्दो से कब का गमगीन हो जाते
हँस जाते रो जाते हैं हम तो गैरो की बात मे गैरो की
चाह मे ग़ैरो की तकलीफ़ मे, 
‌रोकर भी बो जाते हैं  अपने बीज हँस कर भी गैरो के लिए फसलें काटते हैं, 
 माना रूप रंग जरूर लिखते हैं इंद्रधनुषि
पर रंग सफेद और काले को कभी नहीं छाटते हैं
‌हम कवि शब्दों के बहुत समीप होते हैं 
पर कर्मो से दूर नहीं होते
------    सलोनी कुमारी

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चुनने आये थे जो वो समेट कर ले गये, 
अदब मे गुस्ताखी की
अँग्रेजी लिवाज मे वो उर्दू के लब्ज थे, 
मुस्कुराने वालो मे से हम भी ना थे, 
पर मुस्कुरा दिया जाने जब उन्होंने कहा, 
आप हैं खूबसूरत बेसख ,
पर आपसे भी ज्यादा
खूबसूरत आपके शब्द हैं......... 
----- सलोनी कुमारी

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khubsurat

happy diwali #khubsuratsaloni

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तारे बेरूपिये नजर मे नहीं, 
धरा पर आरती की थाल मे, आँगन मे, 
दिये जगमगाई हैं, 
संग पूरा परिवार हैं ईश्वर की कृपा से, 
साँवरे की स्मृति से आँखे झिलमिलाई हैं....
सलोनी कुमारी

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