Find the Best रामधारी_सिंह_दिनकर Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about
rahul_the_adrito_
वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? अतुलित यश क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ? जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया। जब विघ्न सामने आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं, मन को मरोड़ते हैं पल-पल, तन को झँझोरते हैं पल-पल। सत्पथ की ओर लगाकर ही, जाते हैं हमें जगाकर ही। वाटिका और वन एक नहीं, आराम और रण एक नहीं। वर्षा, अंधड़, आतप अखंड, पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड। वन में प्रसून तो खिलते हैं, बागों में शाल न मिलते हैं। कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर, छाया देता केवल अम्बर, विपदाएँ दूध पिलाती है लोरी आँधियाँ सुनाती हैं। जो लाक्षा-गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं। बढ़कर विपत्तियों पर छा जा, मेरे किशोर! मेरे ताजा! जीवन का रस छन जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे। तू स्वयं तेज भयकारी है, क्या कर सकती चिनगारी है? ~ रामधारी सिंह दिनकर ©rahul_the_adrito_ #रामधारी_सिंह_दिनकर #महाभारत
HintsOfHeart.
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है! उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता, और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है। - रामधारी_सिंह 'दिनकर' - पुण्यतिथि ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_दिनकर #पुण्यतिथि🙏
HintsOfHeart.
"इन्द्र का आयुध पुरुष जो झेल सकता है, सिंह से बाँहें मिलाकर खेल सकता है, फूल के आगे वही असहाय हो जाता , शक्ति के रहते हुए निरुपाय हो जाता। विद्ध हो जाता सहज बंकिम नयन के बाण से जीत लेती रूपसी नारी उसे मुस्कान से !" ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_दिनकर -'उर्वशी' से।
HintsOfHeart.
"विश्व में सौन्दर्य की महिमा अगम है हर तरफ हैं खिल रही फुलवारियाँ किन्तु मेरे जानते सब से अपर हैं रूप की प्रतियोगिता में नारियाँ "¹ ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_दिनकर #अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस 1. रामधारी सिंह दिनकर
Ankit Upadhyay....
Sea water सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। जनता?हां,मिट्टी की अबोध मूरतें वही, जाडे-पाले की कसक सदा सहनेवाली, जब अंग-अंग में लगे सांप हो चुस रहे तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहनेवाली। जनता? हां,लंबी - बडी जीभ की वही कसम, "जनता,सचमुच ही, बडी वेदना सहती है।" "सो ठीक,मगर,आखिर,इस पर जनमत क्या है?" 'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है?" मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं, जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में; अथवा कोई दूधमुंही जिसे बहलाने के जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में। लेकिन होता भूडोल, बवंडर उठते हैं, जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती, सांसों के बल से ताज हवा में उड़ता है, जनता की रोके राह,समय में ताव कहां? वह जिधर चाहती,काल उधर ही मुड़ता है। सब से विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा, तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो अभिषेक आज राजा का नहीं,प्रजा का है, तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो। आरती लिये तू किसे ढूंढता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में? देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में। ©Ankit Upadhyay.... #रामधारी_सिंह_दिनकर #दिनकरकीभूमि #सिंहासन #खाली #करों #की #जनता 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🤌🤌🤌✍️✍️✍️✍️🫳🫳🫳👌👌👌💯💯
अदनासा-
AbhiJaunpur
कोई अर्थ नहीं मेरे बहुत करीब है ये कविता इसलिए आप सबके बीच साझा कर रहा हूँ, जो लोग इस कविता को नहीं पढ़े आपने जीवन काल में ओ अवश्य पढ़े ! !!राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा रचित!! नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अन्तर्मन , तब सुख के मिले समन्दर का रह जाता कोई अर्थ नहीं । जब फसल सूख कर जल के बिन तिनका-तिनका बन गिर जाये , फिर होने वाली वर्षा का रह जाता कोई अर्थ नहीं । सम्बन्ध कोई भी हों लेकिन यदि दुःख में साथ न दें अपना , फिर सुख में उन सम्बन्धों का रह जाता कोई अर्थ नहीं । छोटी-छोटी खुशियों के क्षण निकले जाते हैं रोज जहाँ , फिर सुख की नित्य प्रतीक्षा का रह जाता कोई अर्थ नहीं । मन कटुवाणी से आहत हो भीतर तक छलनी हो जाये , फिर बाद कहे प्रिय वचनों का रह जाता कोई अर्थ नहीं । सुख-साधन चाहे जितने हों पर काया रोगों का घर हो , फिर उन अगनित सुविधाओं का रह जाता कोई अर्थ नहीं । नित जीवन के संघर्षों से जब टूट चुका हो अन्तर्मन , तब सुख के मिले समन्दर का रह जाता कोई अर्थ नहीं।। सादर अभिवादन 🙏 ©Abhijaunpur #रामधारी_सिंह_दिनकर #राष्टकवि_दिनकर #कोई_अर्थ_नहीं Anshu writer Sethi Ji pooja mourya Nîkîtã Guptā Pushpa Rai... Internet Jockey Uma Singh Madhusudan Shrivastava Suhana parvin. please Humko support aur gift Kijiye - repost kijiye-Boss Nitoo Yadav
Rudeb Gayen
कौन मर्द है जिसे कौम की सच्ची लगी लगन है? भूखे, अपढ़, नग्न बच्चे क्या नहीं तुम्हारे घर में? कहता धनी कुबेर किन्तु क्या आती तुम्हें शरम है? आग लगे उस धन में जो दुखियों के काम न आए, लाख लानत जिनका, फटता नहीं मरम है। -रामधारी सिंह दिनकर ©Rudeb Gayen एक विलुप्त कविता #ramdharisinghdinkar #रामधारी_सिंह_दिनकर
kavita Shukla
वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या ,जिस पथ में बिखरें शूल न हों नाविक की धैर्य कुशलता क्या , जब धाराएँ प्रतिकूल न हों । #कवि✍️✍️ ©kavita Shukla #boat #धैर्य #रामधारी_सिंह_दिनकर