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#Lifechanger
कल जो था मै आज भी वही हूं मुझे समझने का बस लोगो का तौर तरीका बदल गया #कल #आज #समझनेकीकोशिश #तौर #तरीका
shayar_dillwala
कभी ना देखने वाले अब पूछने लगे हैं। कभी ना पहचानने वाले भी अब चाहने लगे हैं। सब ऐसे ही पास आयेंगे चमक धमक देख कर। अब हम भी दुनिया के तौर तरीके सीखने लगे हैं। कभी ना देखने वाले अब पूछने लगे हैं। कभी ना पहचानने वाले भी अब चाहने लगे हैं। सब ऐसे ही पास आयेंगे #चमक धमक देख कर। अब हम भी दुनिया के #तौर #तरीके सीखने लगे हैं।
sanwali_ladki
जीवन के हर तौर तरीकों में.. इंसान कहीं खो सा गया है.. अब बस तौर तरीका ही ज़िंदा है.. बाक़ी सब सांस लेते मुर्दा है.. #जीवन #तौर #तरीकों #इंसान #खो #जिंदा #सांसे #लेते #मुर्दा
Gyanendra Kumar
गांधी जयंती पर विशेष भेंट 'गांधी एक विचारधारा का नाम है जो अपने विचारों के साथ आज भी हमारे बीच मौजूद है ' इनसान मरता है विचार नहीं । यदा _यदा हि धर्मसय;; जब जब मनुष्य समाज नैतिकता से मुंह फेर कर वैचारिक तौर पर मूरछित होकर चारित्रिक तौर पर नपुसंकता को प्राप्त करके अपने आपको दीन हीन असहाय मानकर मर्त्यतुलय हो जाता है तब ऐसे महापुरुष जन्म लेते है जो अपने विचारों की शक्ति से मुर्दों में जीवित होने की अनुभूति पैदा करनेवाले होते है जब तक विचार जीवित है तबतक मानव समाज जीवित है ।
Rahul tiwari
जो तौर है दुनियां का उसी तौर से बोलो🔥 बहरों का इलाका है जरा जोर से बोलो...!! 💖💖💖
abhay dwivedi
एहतिमाल सिर्फ एहतिमाल जाने क्योँ , हर रिश्ते में ज़ीस्त हलाल जाने क्योँ , ख्वाहिश है ज़िस्म की फ़क़त , रूह मर रही है हर बार जाने क्योँ , तेरे ज़िन्दगी के तौर से इंसान देख, ऊपर वाला भी अवाक जाने क्योँ , कैसी बनी है पैक़र समाज में तेरी , हर मरासिम उठाता सवाल जाने क्योँ , एहतिमाल सिर्फ एहतिमाल जाने क्योँ , ज़हनियत इस क़दर है गुस्ताख़ गोया , तकल्लुफ़ सा है हर ख्याल जाने क्योँ , एहतिमाल सिर्फ एहतिमाल जाने क्योँ , हर रिश्ते में ज़ीस्त हलाल जाने क्योँ , #अभय एहतिमाल = शंका ज़ीस्त = जीवन तौर = ढंग अवाक = स्तब्ध पैक़र = आकृति मरासिम = रिश्ता ज़हनियत = थिंकिंग तकल्लुफ = औपचारिकता #nojoto #RVD19
abhay dwivedi
#OpenPoetry फ़िज़ा में जौर था , तू हिन्दू मैं मुस्लिम का ही शोर था , घरों में आग थी हो चुकी , बस्तियाँ राख थी , ये कैसा इंसानियत का तौर था , भाई भाई को ही काट रहा था , कहता अपनी क़ौम छाँट रहा था , ये कैसा है वक़्त आज , लाडला ही माँ को बाँट रहा था , क्योँ आज अपनों पर ही एहतिमाल था , क्या नहीं उनको कोई मलाल था , हर त्यौहार था चीख़ रहा , माज़ी माँग था भीख रहा , दफ़अ'तन आया क्या दौर था , फ़िज़ा में जौर था , तू हिन्दू मैं मुस्लिम का ही शोर था , घरों में आग थी हो चुकी , बस्तियां रख थी , ये कैसा इंसानियत का तौर था, #अभय माज़ी = अतीत जौर = अत्याचार , तौर = ढंग एहतिमाल = शक , दफ़अ'तन = अचानक #nojoto #jaur #daur #taurdelhi
Mr.Gaurav Sengar
जो तौर है दुनिया का उस तौर से बोलो ये बहरों का इलाका है साहब यहां जोर से बोलो
tehzibasheikh👩💻
बातों को व्यक्तिगत लेना जो लोग हर बात को व्यक्तिगत तौर पर लेते हैं, वे असंतोष में जीते हैं। देखिये इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि आपकी आलोचना की जा रही है या प्रशंसा। लोगों की बातों को सुने पर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर न लें और उन बातों का उपयोग प्रतिक्रिया के रूप में करें बल्कि समय आने पर अपनी शक्ति के रूप में करें। tehzibasheikhnozato