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Best पहुंचे Shayari, Status, Quotes, Stories

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krishna singh chauhan

#i. m

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पूरी तरह शामिल थे उनमे फिर भी पता नही क्यु उनके दिल तक नही पहुंचे|"
खो बैठे थे उनमे कुछ इस तरह कि ढूढना मुश्किल था|
फिर पता नही क्यु उनकी धडकन तक नही पहुंचे|
लौटना चाहता हू  मगर अजीब गलियां थी|                        उन तक पहुंचने की|
कि साहब अभी तक हम अपने घर नही पहुंचे| #I. m

गौरव गोरखपुरी

दे तो दी है , इजहार की कितनी अर्जियां
आगाज़ मोहब्बत का ,अंजाम तक कैसे पहुंचे

वो जवाब नहीं देता तो बताओ
नाकाम मोहब्बत , मुकाम तक कैसे पहुंचे
#poeticPandey kaise #nojotohindi

SACHIN BAJPAI

#भाषायें गुम हो जाती हैं 2607 #विचार

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बिन बोले शब्दों के आखिर 
जब पलकें यूं झुक जाती हैं 
बात दिलों तक पहुंचे न पहुंचे 
पर भाषायें गुम हो जाती हैं। #भाषायें गुम हो जाती हैं 
#2607

Dimika2sister

जब घर पहुंचे ही थे; कि गाड़ी में ही मेरी छोटी ननद शर्बत ले आई और कहा पीजिये रस्म है। मैने पिया तो कहा अब नेग (रुपये) दो। मैने पर्स से निकाल कर दे दिए, और वो भागकर चली गई, गाड़ी से उतरकर गेट तक पहुंचे तो बड़ी ननद ओर छोटी ननद ने रोक लिया बाड़ रुकाई दो रस्म है मैं पर्स निकालने लगी कि नकुल जी ने रोक दिया। #bolteshabddimika #vivahkirsme

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"विवाह की रस्में" अंक -1 भाग- ख

जब घर पहुंचे ही थे; कि गाड़ी में ही 
मेरी छोटी ननद शर्बत ले आई और  कहा पीजिये रस्म है। 
मैने पिया तो कहा अब नेग (रुपये) दो।
मैने पर्स से निकाल कर दे दिए, 
और वो भागकर चली गई, 
गाड़ी से उतरकर गेट तक पहुंचे तो बड़ी ननद ओर  
छोटी ननद ने रोक लिया बाड़ रुकाई दो रस्म है 
मैं पर्स  निकालने लगी कि नकुल जी ने रोक दिया। 
नकुल (मुस्कुरा कर)ये मुझे देना हैं आपको नही
 नकुल ओर मैं जैसे ही  अन्दर जाते हैं। 
थालियां रखी थी।
नकुल से कहा गया कि 
तुम तलवार से इन्हें अलग अलग रखो, 
ओर बीनणी इन्हें उठाएगी पर उठाते  वक्त
 आवाज नही आनी चाहिए
अगर आवाज आयी तो घर मे झगड़े बढ़ेंगे
 बीनणी के आने से।
 कितनी अजीब सी रस्मे हैं,
इन सबकी पढ़ाई तो कभी नही करवाई गई,
 ना ही कोई तैयारियां ।
ये बर्तनों का व्यवहार से ओर झगड़े से कैसे जुड़ाव होता हैं
 एक पल को चिल्लाकर पूछना चाहती थी ।
पर ये सब मुझे किसी सर्कस जैसा लग रहा था।
जैसे ही मैं थाली उठाने के लिए आगे बढ़ती हूं। जब घर पहुंचे ही थे; कि गाड़ी में ही 
मेरी छोटी ननद शर्बत ले आई और  कहा पीजिये रस्म है। 
मैने पिया तो कहा अब नेग (रुपये) दो।
मैने पर्स से निकाल कर दे दिए, 
और वो भागकर चली गई, 
गाड़ी से उतरकर गेट तक पहुंचे तो बड़ी ननद ओर  
छोटी ननद ने रोक लिया बाड़ रुकाई दो रस्म है 
मैं पर्स  निकालने लगी कि नकुल जी ने रोक दिया।

Nishh.

कल्पना "जहाँ न पहुंचे रवि, वहाँ पहुंचे कवी"
हां! सूरज की किरण का प्रकाश भी 
जिस स्थान पर नहीं जा सकता,
वहाँ कवी जा सकता है।
अर्थात् कवी की कल्पनाशक्ति ही ऐसी होती है।
आसमान हो या पाताल, धरा हो या भूचाल,
संस्कृति हो या संस्कार, बाग़ हो या बागबान।
या हो कोई वस्तु प्राणी या इंसान,
सभी तक कवी की कल्पना पहुँच ही जाती है। #कल्पना

anil kumar y625163

किसी गांव में दो मित्र रहते थे। बचपन से उनमें बड़ी घनिष्टता थी। उनमें से एक का नाम था पापबुद्धि और दूसरे का धर्मबुद्धि । पापबुद्धि पाप के काम करने में हिचकिचाता नहीं था। कोई भी ऐसा दिन नहीं जाता था, जबकि वह कोई-न-कोई पाप ने करे, यहां तक कि वह अपने सगे-सम्बंधियों के साथ भी बुरा व्यवहार करने में नहीं चूकता था। दूसरा मित्र धर्मबुद्धि सदा अच्छे-अच्छे काम किया करता था। वह अपने मित्रों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए तन, मन, धन से पूरा प्रयत्न करता था। वह अपने चरित्र के कारण प्रसिद्ध था। धर्मबुद्धि

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किसी गांव में दो मित्र रहते थे। बचपन से उनमें बड़ी घनिष्टता थी। उनमें से एक का नाम था पापबुद्धि और दूसरे का धर्मबुद्धि । पापबुद्धि पाप के काम करने में हिचकिचाता नहीं था। कोई भी ऐसा दिन नहीं जाता था, जबकि वह कोई-न-कोई पाप ने करे, यहां तक कि वह अपने सगे-सम्बंधियों के साथ भी बुरा व्यवहार करने में नहीं चूकता था। 

दूसरा मित्र धर्मबुद्धि सदा अच्छे-अच्छे काम किया करता था। वह अपने मित्रों की कठिनाइयों को दूर करने के लिए तन, मन, धन से पूरा प्रयत्न करता था। वह अपने चरित्र के कारण प्रसिद्ध था। धर्मबुद्धि

Only Classical Shayries

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काल्पनिक घटना पर आधारित
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एक तो गर्मी का मौसम.. ऊपर से भरी बस में चढ़ गए हम.. खाली सीट मिली बस का इंजन.. जैसे ही उसपे बैठे हम.. क्या बताएं तुमाई कसम.. निकलते निकलते बची हमाई दम.. सब पसीने से भीगे महके बदन.. कहां आन फसे ले के फूटे करम.. जैसे ही बस से उतरे हम.. वॉटर पार्क पहुंचे ले के सनम.. जैसे ही कूदे पता चली पानी गरम.. उछल कर निकले बदली चाल चलन.. हुआ ब्रेक अप मिले सारे गम.. गुस्सा में निकले गर्मी का किस्सा करने खतम.. टिकट कटाया हमने तुरंत.. जैसे ही पहुंचे  हम वॉशिंगटन.. सही बता रहे एयर होस्टेस की कसम.. वहीं करा लिया ग्रीन कार्ड रजिस्ट्रेशन.. अब यहीं मिलेंगे हम हर जनम..
-Vikas

shahrukh khan Escritor

अगली रात मारगोज़ एल्फ एक और कहानी सुनाने के लिए समय पर पहुंचे और जब वह पहुंचे तो उन्होंने देखा कि पहली बार की तुलना में अधिक कल्पित बौने थे और तब उन्होंने कहा था कि आज मैं आपको एक कहानी बताऊंगा जहाँ नायक निराशा की आशा और विश्वास और नीचे बैठ जाएगा  उन्होंने कहा कि चलो कहानी के साथ शुरू करते हैं।
 ख़ारिज
 यह आप और मेरे जैसे एक व्यक्ति की कहानी है जो एक दिन अपने जहाज में सवारी के लिए निकल रहा था, उसे जहाज से उतारा गया था और जब वह पानी में था तो उसने खुद को मरते हुए महसूस किया और यह सोचकर कि वह जल्द ही डूब जाएगा, यह उस दूरी पर था जब उसने तीन द्वीपों को देखा जिसे बाद में उसे पता चलेगा कि  आशा और विश्वास को निराशा कहा जाता था जहां एक घाट था, इसलिए वह आदमी हताशा नामक पहले द्वीप की ओर तेजी से तैर रहा था और जब वह पहुंचा तो उसने दूसरे द्वीप को देखा लेकिन यह देखकर कि जहां वह खा रहा था उस द्वीप पर फल था, उसने सोचा कि बहुत कुछ होगा  इससे बेहतर है कि वह उस द्वीप पर रुके, जिसे निराशा कहा जाता है, जैसे ही वह निराशा के साथ देखा गया कि फल बाहर निकलने लगा था और यह देखने के लिए कि वे कभी भी दूसरे द्वीप के साथ तैरना नहीं चाहेंगे, आशा है कि हालांकि इसे हटा दिया गया था, लेकिन इसमें पानी और थोड़ा फल मिला  जो उसने खा लिया और बड़ी निराशा के साथ पीने लगा और जब उसने यह महसूस किया कि वह विश्वास नामक एक अन्य द्वीप के बहुत करीब है, जहाँ उसने कई फलों के पेड़ देखे।  एक पल के बाद वह द्वीप की ओर तैरता हुआ समुद्र में लौट आया लेकिन जब वह आया तो वह हैरान था कि जब वह ढलान पर चढ़ा तो उसने एक संकेत देखा जिसमें कहा था कि आशा द्वीप में आपका स्वागत है और आप गोदी से 200 मीटर दूर हैं, फिर वह डॉक पर भागा और वहाँ उसे एक बड़ी नाव मिली  वह आराम करने के लिए दल के लिए वहां गया था और जब वह पहुंचा तो उसकी मदद करने वाले नाविकों द्वारा मदद की गई और जब वह वापस लौटा तो उसने उन्हें बताया कि क्या हुआ था और जब उसे पता चला कि द्वीपों को इस तरह क्यों बुलाया गया था तो वह समझ गया कि वह कितना सही था  द्वीपों के नाम में कि अगर वह इसे बहुत पहले से जानता था तो उन्होंने उसे बचाया होगा।
 तब मारगोज़ ने कल्पित बौने और कल्पित बौने को यह कहते हुए देखा कि हम कितने हताश हैं कि हमें हमेशा यह आशा रखनी चाहिए कि अंत में विश्वास ही हमारी मदद करेगा और सभी को शुभ रात्रि बताने के लिए हमें आराम करना होगा। #historias #historiascortas

Azeem Khan

दर्द - ए - मोहब्बत

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देखते हैं, दर्द - ए - मोहब्बत  कहां तक पहुंचे ।

दिल ही दिल में रहे गाफिल, या जां तक पहुंचे ।

azeem khan दर्द - ए - मोहब्बत

Amarjeet Kumar

# Kabi #

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जहाँ न पहुंचे रवि 

वहाँ पहुंचे कवि।

By Amarjeet Kumar # Kabi #
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