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Deepak Kumar Katariya
Sarfaraj idrishi
मतलबी रिश्ता कोयले की तरह होता है जब गर्म होता है तो हाथ जला देता है जब ठंडा होता है तो हाथ काले कर देता है ©Sarfaraj idrishi #मतलबी #रिश्ता #कोयले की तरह होता है जब #गर्म होता है तो हाथ जला देता है #जब ठंडा होता है तो हाथ काले कर देता है#sarfaraj #Idrishi_sarfaraj #Sarfarajidrishi #sela_bijnor #Friendship Dr. Sakshi anokhi singh sad boy S k pareek Sajan Pradhan
The Reality Dice
इंसान एक दुकान है, और जुबान उसका ताला, ताला खुलता है तभी मालूम होता है कि, दुकान सोने की है या कोयले की. ©Ye Dil Be Zubaan H इंसान एक #दुकान है, और जुबान उसका ताला, ताला खुलता है तभी #मालूम होता है कि, दुकान #सोने की है या #कोयले की. #neerajchopra #nojoto #love #poetry #quote #thoughts
Bablu Kumar
हिरा कोयले कि खान मे होता है कोयले को हीरे कि कदर नही होती बुद्ध पुरुष साधरण परिवार मे होते है परिवार को कभी उसकी कदर नही होती
NC
कुछ चीजों की कद्र नहीं होती , क्योंकि वो बहुतायत में मिलते हैं, आपकी कदर इस बात से नहीं कि आपका क्या उपयोग है , बल्कि इस बात से है कि आप कितनी कीमत रखते हैं , हर परमाणु एक सा है कोयले और हीरे में , पर एक को जलाया जाता है और दूसरे को सजाया जाता है , आप कोयले हो या हीरे , महत्व दोनों का है , इंसानी नज़रों में त्रुटि है जो दोनों में फर्क करती हैं ।। #nojotohindi#nojotothoughts#nojotoquotes#ncquotes
Ashab Khan
कोयला ।। कोयले को देखो वो भी काला जो छू दे वो भी काला हो जाये । बुराइयों ही बुराइयों से भरा हुआ मगर जैसे ही आग मे डाला जाये उसे कोयले को कोई कोयला नहीं बोलता उसे लोग अंगार बोलने लगते है । पहले ठंडा था अब आग बन गया है पहले हर कोई हाथ मे ले सकता था पहले मामूली था अब खास है कोई टच करे तो जल जाये फर्क क्या है कोयला तो वही है अब भी आग से निकालो तो ठंडा हो कर कोयला ही बन जायेगा। (ऐसा ही हम इंसानो के साथ भी है जब तक इश्क की आग मे न जले बुराइयां ही बुराइयां है ।जैसे ही ईश्वर से इश्क हुआ आम से खास हो गये ) (इश्क मामूली से मामूली चीज को खास कर देता है)
रजनीश "स्वच्छंद"
हीरा लुटे, कोयले पर छापा।। गर दिल पे बात लगी होती तो बोलो यहां क्या ऐसा होता, ईमान बिके बाज़ारों में, उसकी कीमत भी क्या पैसा होता। छोटी बात लगे दिल पर, हीरा लुटे, पर कोयले पर छापा, देश रहा लुटता, पर हम खोते रहे हर छोटी बात पर आपा। क्यूँ हम सालों गुलाम रहे, क्यूँ हमले भी हम पे हज़ार हुए, कैसे हर हमलावर ने पहले हमारी कमजोरी को था भांपा। स्वर्णयुग का कालखण्ड था, आज कहो क्या ऐसा होता। गर दिल पे बात लगी होती तो बोलो यहां क्या ऐसा होता। मेरी ऊंची मीनारें हों, फिर चाहे अपने भी सूली चढ़ जाएं, सर पर पांव रखें या छीने रोटी, कैसे भी आगे बढ़ जाएं। इतिहासों में जवाब कहाँ मिलते हैं, ये तो एक कहानी है, जो बली रहे जो सबल रहे, इतिहास वो अपना गढ़ जाएं। अक्ल कोने में बैठ है रोती, क्या राज कर रहा भैंसा होता, गर दिल पे बात लगी होती तो बोलो यहां क्या ऐसा होता। ओछी चाल मैं चलता रहता हूँ, अपनो से जलता रहता हूँ, थोथी सफलता का तमगा लिए निज को छलता रहता हूँ। मैं मनुज कहाँ मैं सफल कहाँ जो है अपनो का साथ नहीं, साये को ही मान मैं अपना संग उसके ही चलता रहता हूँ। बैठ अकेले फिर मैं सोचूं ये ऐसा होता तो क्या वैसा होता। गर दिल पे बात लगी होती तो बोलो यहां क्या ऐसा होता। ©रजनीश "स्वछंद" हीरा लुटे, कोयले पर छापा।। गर दिल पे बात लगी होती तो बोलो यहां क्या ऐसा होता, ईमान बिके बाज़ारों में, उसकी कीमत भी क्या पैसा होता। छोटी बात लगे दिल पर, हीरा लुटे, पर कोयले पर छापा, देश रहा लुटता, पर हम खोते रहे हर छोटी बात पर आपा। क्यूँ हम सालों गुलाम रहे, क्यूँ हमले भी हम पे हज़ार हुए,
Parul Sharma
Pyar aur Dosti अजब प्रेम की गजब कहानी टूथपेस्ट का नमक,कोयला व चार कोल से बड़ा पुराना याराना था।उनकी ये दोस्ती जाने कब प्रेम में तब्दील हो गयी किसी को कानों कान खबर व हुई।किसी टूथपेस्ट को नमक,किसी टूथपेस्ट को चारकोल तो किसी टूथपेस्ट को कोयले से प्यार हो गया।वह अपनी दुनिया में हंसी खुशी प्रेम के गीत गा रहे थे।उनकी प्रेम कहानी परवान चढ़ रही थी।वो पहली बार 14 फरवरी को किसी घर की बगीया पर मिले थे जहाँ तरह तरह के रंगबिरंगे फूल लहलहा रहे थे सुबह की बसंती भीनी मंद शीतल बयार उन दोनों के दिलों में प्यार की ज्योति जला रही थी। ब्रश पर बैठे टूथपेस्ट की निगाहें अलाव में दधकते कोयले से हटती न थी।और कोयले की तो धड़कनें बस थम सी गयी थी ब्रश के सिंहासन पर बैठे राजकुमार पर। कोयला टूथपेस्ट के चाँदनी जैसे रंग पर मर मिटा था उधर टूथपेस्ट कोयले की काली रात के से रंग पर फिदा हो चुका था। दोनों की मुलाकात बगिया में इसी तरह होती और दोनों सारी दुनिया से बेखबर अपनी प्रेम नगरी में डूबे रहते थे।रोज बिछड़व भी होता था पर टूथपेस्ट और कोयला हर सुबह उसी बगिया में एक दूसरे का इंतजार करते थे।और मिलने पर प्रेम के गीत गाते थे।जाने कैसे इस प्रेम कहानी की खबर टूथपेस्ट की पिता(टूथपेस्ट की कंपनियाँ) जी को लग गयी।जाने क्यों टूथपेस्ट के पिताजी को ये जोड़ी पसंद नहीं आयी।टूथपेस्ट राजकुमार और कोयला एक गरीब घर की बेटी।सो प्रेम के दुश्मन बेरहमी कंपनी वालों ने उन्हें अलग करने की ठान ली।और अपने बेटे टूथपेस्ट को काफी समझने बुझाने की कोशिश की पर (पूरी कहानी caption में पढ़ें) #NojotoQuote ऐं भई कुछ भी ।।अजब प्रेम की गजब कहानी।। टूथपेस्ट का नमक,कोयला व चार कोल से बड़ा पुराना याराना था।उनकी ये दोस्ती जाने कब प्रेम में तब्दील हो गयी किसी को कानों कान खबर व हुई।किसी टूथपेस्ट को नमक,किसी टूथपेस्ट को चारकोल तो किसी टूथपेस्ट को कोयले से प्यार हो गया।वह अपनी दुनिया में हंसी खुशी प्रेम के गीत गा रहे थे।उनकी प्रेम कहानी परवान चढ़ रही थी।वो पहली बार 14 फरवरी को किसी घर की बगीया पर मिले थे जहाँ तरह तरह के रंगबिरंगे फूल लहलहा रहे थे सुबह की बसंती भीनी मंद शीतल बयार उन दोनों के दिलों में प्यार की ज्योति जला रही थी। ब्रश पर बैठे टूथपेस्ट की निगाहें अलाव में दधकते कोयले से हटती न थी।और कोयले की तो धड़कनें बस थम सी गयी थी ब्रश के सिंहासन पर बैठे राजकुमार पर। कोयला टूथपेस्ट के चाँदनी जैसे रंग पर मर मिटा था उधर टूथपेस्ट कोयले की काली रात के से रंग पर फिदा हो चुका था। दोनों की मुलाकात बगिया में इसी तरह होती और दोनों सारी दुनिया से बेखबर अपनी प्रेम नगरी में डूबे रहते थे।रोज बिछड़व भी होता था पर टूथपेस्ट और कोयला हर सुबह उसी बगिया में एक दूसरे का इंतजार करते थे।और मिलने पर प्रेम के गीत गाते थे।जाने कैसे इस प्रेम कहानी की खबर टूथपेस्ट की पिता(टूथपेस्ट की कंपनियाँ) जी को लग गयी।जाने क्यों टूथपेस्ट के पिताजी को ये जोड़ी पसंद नहीं आयी।टूथपेस्ट राजकुमार और कोयला एक गरीब घर की बेटी।सो प्रेम के दुश्मन बेरहमी कंपनी वालों ने उन्हें अलग करने की ठान ली।और अपने बेटे टूथपेस्ट को काफी समझने बुझाने की कोशिश की पर टूथपेस्ट को अपनी ड्रीम गर्ल से बेइंतहा प्यार था।इसलिए वो बार बार आत्महत्या की धमकी देता था। अपने बेटों को कोयले,नमक और चारकोल से अलग करने के लिये सारी कंपनियाँ( टूथपेस्ट के पिताजी)एक जुट हो गये।और एक रणनीती बनाई।कि अपने बच्चे को समझाने का को फायदा नहीं है हमें लोगों के बीच कोयला,नमक और चारकोल को खलनायिका के रूप में पेश करना होगा। और टूथपेस्ट की सभी कंपनियाँ जुट गयी इसी कवायद में और जोरों शोरों से टीवी,रेडियो और अखबार में कोयले,नमक और चारकोल की बुराई करने लगी।और परिणामतः दोनों की प्रेम कहानी खत्म हो गयी फिर से किसी प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ। पर कई सालों बाद इसे ईश्वर की लीला कहें या फिर प्रकृति का अजब "संयोग" कि कोयला नमक व चारकोल ने नामीगिरामी पैसेवाली कंपनियों के घर में जन्म लिया उधर टूथपेस्ट का भी नये रूप में जन्म हो चुका था। दोनों जब जवाँ हुए तो उनकी पिछले जन्म की अधूरी प्रेम कहानी फिर से शुरू होने गयी और परवान चढ़ने लगी । माँ बाप को खबर लगी पर संयोग से इस बार इस प्रेम कहानी को सहर्ष स्वीकार कर लिया गया क्योंकि माँ बाप को इस बार इस जोड़ी में कोई खोट नजर न आई।और सन् 2015-2016 में विवाह संपन्न हुआ।जिन्हें पहले कभी इस जोड़ी को नकारा था प्यार के जानी दुश्मन बनकर, अब वो टूथपेस्ट के माँ-बाप कोयले,नमक और चारकोल की जोड़ी की तारीफ करते नहीं थकते।आप भी इस जोड़ी को स्वीकारें खिलाफत ठीक नहीं। किसी ने सच ही कहा है अगर किसी को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उससे मिलने की कोशिश में जुट जाती है। पारुल शर्मा #प्रेमकथा #संयोग #YQDidi #YQBaba #shortstory #NojotoHindi#Nojoto#Nojotoquotes#Nojotoofficial#TST#Kalakash #EmotionalHindiQuoteStatic Panchdoot
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