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Best प्रजा Shayari, Status, Quotes, Stories

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@thewriterVDS

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Ranjit Kumar

#यथा राजा तथा प्रजा। #विचार

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अदनासा-

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Ek villain

#प्रजा के सुख में राजा का सुख #Moon #Society

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अर्थ और प्रजा के सुख में ही राजा का सुख ही नहीं है तीसरी बार राज्य का बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर आर राव द्वारा उदित की गई कौटिल्य के अर्थशास्त्र की इस उक्ति से आलोक में अगर बजट पर नजर डालें तो एक बात ही तय है कि यह बजट किसी को अक्रिय नहीं लगेगा लगातार तीसरे वर्ष सरकार ने आम जन पर कोई भी नया कर नहीं लगाया है सरकार ने अपनी तीसरी बजट में स्वास्थ्य शिक्षा और युवाओं को खूब ख्याल रखा है सबसे ज्यादा बढ़ोतरी स्वास्थ्य के बजट में हुई है जो सभी भी अच्छी सेहत की चिंता के प्रति सरकार के प्रतिबंध को दर्शाती है वित्त मंत्री ने आधारभूत रचनाओं तथा व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के पेड़ बेहतर बनाने की कोशिश की है बिजली पानी सड़क स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर ध्यान देने के साथ-साथ व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं यूनिवर्स पेंशन योजना ₹1 यूनिट बिजली जैसी योजनाओं की दी है सबसे ज्यादा बढ़ा ध्यान स्वस्थ जरूरी है व्यवस्था की कलई खोल दी है स्वस्थ ही जीवन का सार है मूल मंत्र में अपनाते हुए वित्त मंत्री ने स्वस्थ क्षेत्र में दोनों हाथ खोल कर उनके स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा 27% के बाद खाद्यान्न वितरण में 30% शिक्षा में 6% बढ़ोतरी हुई है बजट में जिलों की घोषणा की गई है

©Ek villain #प्रजा के सुख में राजा का सुख

#Moon

Varun bhaliya

देश का #राजा जब #प्रजा से
 #मदद मांगे.... तो समझ लेना
 देश बहुत बड़ी #संकट में है.... 
अपने #राजा का #सहयोग करें🙏

अविरल अनुभूति

बिटिया ट्विंकल शर्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि #कविता

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फूलों सी कोमल एक नन्ही कलीं, फिर नर भेडिंयो का शिकार बनीं।

एक मां की गोद हो गई सूनी, तड़पता दिल पुकार करें।

धर रुप नर का फिरते जो दानव, इन दैत्यों का संहार करें।।

सुन सिसकी उस मासूम की, क्या रुह नहीं कांपी होगी।

इन हैवानों की कोई और नहीं, सजा सिर्फ फांसी होगी।।

शोक निंदा और संवेदना, इन शब्दों से क्या जाहिर होगा।

जिस मां का लुट गया सर्वस्व, अब उसे कहां हासिल होगा।

नारी है शक्ति, नारी है दुर्गा होता नारी का गुणगान यहां।

क्या बिन नारी के जायें हैं, जो करते नारी का अपमान यहां।।

कैसी समाज में फैली ये विकृति, दिन दिन हैं अपराध बढ़े।

राजनीति हैं आंकडों में उलझी, गत वर्ष बढ़े इस वर्ष घटें।।

न्याय न्याय की बात हो करते, कब बेटी को न्याय दिलाओगे।

जहां हो उसकी लाज सुरक्षित, कब ऐसा परिवेश बनाओगे।।

इस दर्द में भी रंग हैं ढूंढतें, कुछ सूरमा ऐसे भी भारी हैं।।

हैं आप समझतें वैद्ध जिन्हें, वो वैद्ध नहीं व्यापारी हैं।।

प्रजा प्रजा में ना भेद करे, है शासक का कर्तव्य यही।

ये राजधर्म की है परिभाषा, और अटल वक्तव्य सही।।

सत्ताधीशों से आग्रह है, कुछ ऐसा कठोर विधान करें।

ना नारी का शील लुटें, चहुं ओर इनका सम्मान बढें।

अविरल विपिन बिटिया ट्विंकल शर्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 9 – अहिंसा बात बहुत पहले की है - इतने पहले की कि मनुष्य तब आज के दानवाकार यन्त्र बनाने की बात सोच भी नहीं सकता था। उस युग में भी एक वैज्ञानिक था। आज के वैज्ञानिक मुझे क्षमा करेंगे - मुझे लगता है कि अभी उस वैज्ञानिक के ज्ञान तक आज का मनुष्य नहीं पहुँच सका है। 'मैं अपने यनंत्रों के सब रहस्य आपको बतला दूँगा। मेरे सेवक उनके निर्माण में निपुण हैं और वे आपके आज्ञानुवर्ती रहेंगें।' उस वैज्ञानिक ने एक दिन भारत के एक वरिष्ठ पुरुष के सम्मुख प्रस्ता

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
9 – अहिंसा

बात बहुत पहले की है - इतने पहले की कि मनुष्य तब आज के दानवाकार यन्त्र बनाने की बात सोच भी नहीं सकता था। उस युग में भी एक वैज्ञानिक था। आज के वैज्ञानिक मुझे क्षमा करेंगे - मुझे लगता है कि अभी उस वैज्ञानिक के ज्ञान तक आज का मनुष्य नहीं पहुँच सका है।

'मैं अपने यनंत्रों के सब रहस्य आपको बतला दूँगा। मेरे सेवक उनके निर्माण में निपुण हैं और वे आपके आज्ञानुवर्ती रहेंगें।' उस वैज्ञानिक ने एक दिन भारत के एक वरिष्ठ पुरुष के सम्मुख प्रस्ता

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 7 – अमोह 'मेरा पुत्र ही सिंहासनासीन हो, यह मोह है वत्स!' आज सातवीं बार कुलपुरोहित समझा रहे थे मद्राधिपति को - 'सम्पूर्ण प्रजा ही भूपति के लिए अपनी संतान है और उसकी सुरक्षा संदिग्ध नहीं रहनी चाहिये।' मद्रनरेळ के कुमार बाल्यकाल सो कुसंग में पड़ चुके थे। वे उग्रस्वभाव के तो थे ही, दुर्व्यसनों ने उन्हें अत्याधिक लोक-अप्रिय बना दिया था। प्रजा चाहती थी कि उत्तराधिकारी कुमार भद्र हों, जो मद्रनरेश के भ्रातृ-पुत्र थे; किंतु पिता की ममता भी दुर्बल क

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
7 – अमोह

'मेरा पुत्र ही सिंहासनासीन हो, यह मोह है वत्स!' आज सातवीं बार कुलपुरोहित समझा रहे थे मद्राधिपति को - 'सम्पूर्ण प्रजा ही भूपति के लिए अपनी संतान है और उसकी सुरक्षा संदिग्ध नहीं रहनी चाहिये।'

मद्रनरेळ के कुमार बाल्यकाल सो कुसंग में पड़ चुके थे। वे उग्रस्वभाव के तो थे ही, दुर्व्यसनों ने उन्हें अत्याधिक लोक-अप्रिय बना दिया था। प्रजा चाहती थी कि उत्तराधिकारी कुमार भद्र हों, जो मद्रनरेश के भ्रातृ-पुत्र थे; किंतु पिता की ममता भी दुर्बल क

आयुष पंचोली

Hindi shayari quotes वो राजा राजा नही होता, जिससे प्रजा प्रताड़ित हो,
वो जनसेवक राजा होता हैं, जिसकी प्रजा मुरीद बने।

क्या फ़ायदा ऐसे तख्तो ताज का, जो घमंड को बड़ावा दे,
वो फ़कीर असल महाराजा हैं, जो अभिमान से दूर रहे।

इंसा तुम भी इंसा हम भी, तुम मसीहा बनना चाहते हो,
हम इंसा हैं, इंसा ही रहेंगे, बस इंसानियत जिन्दा रखना चाहते हैं।

कोई साथ ना दे मेरा, पर मैं सच कहता जाऊंगा,
शान्त हूं मैं पर शांत नही, मैं नींव तुम्हारी हिलाऊंगा ।

कुछ कहाँ नही अब तक तो तुम कमजोर हमे समझ बैठे,
हम से जो टकराये हैं, वो वजूद अपना ही मिटा बैठे।
"आयुष पंचोली"
©ayush_tanharaahi #NojotoQuote #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #kalam_ki_kranti

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 7 – धर्म-धारक 'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।' 'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
7 – धर्म-धारक

'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।'

'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन
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