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अँधेरी रातों की सरगोशियाँ मेरे जिस्म पर ना उकेरो मैं तुम्हारे जिस्म से लिपटना चाहती हूँ #अँधेरी रातों की #सरगोशियाँ मेरे जिस्म पर ना उकेरो मैं तुम्हारे #जिस्म से लिपटना चाहती हूँ #erotica #lust #sex #adult #desire
aru (.....)
अगर तजुर्बा तुम्हारा हो तो यहां दिल मत बहला जाना अंदाज़ हमारा अभी कोरा कागज़ सा हैं ©aru❤️ #nojotahindi #लव #अंदाज_ए_बयान #Life❤ #अँधेरी
shashi kala mahto
प्रिय,तुम देख रही हो,दूर-दूर तक काली अँधेरी रात से धरती घिरी हुई है।लेकिन धरती को पूर्ण विश्वास है कि सूर्य की पहली किरण से ही ये अँधेरा गायब हो जाएगा और धरती पूरी तरह प्रकाशमय हो जाएगा। डार्लिंग, मायूस न हो,तुम्हारी जिन्दगी से भी इस बीमारी की काली रात कुछ ही दिनों में डाक्टर के इलाज से चली जाएगी और जिन्दगी प्रकाशमय हो जाएगा। फिर दोनों साथ-साथ जिन्दगी को खुशी से जिएंगे। ©shashi kala mahto #अँधेरी रात
Sircastic Saurabh
KISHAN KORRAM
अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर सहमा सा एक मैं चल रहा था कारण अँधेरा था या ख़ामोस ज़िंदगीं #अँधेरी रातों में सुनसान राहों पर सहमा सा एक मैं चल रहा था कारण अँधेरा था या ख़ामोस ज़िंदगीं.. #©Reserved by #KISHAN KORRAM..
स्मृति.... Monika
Last night थी रात्रि अँधेरी -अँधेरी, आँखों में नींद थी घेरी | तब दस्तक हुई दरवाजे पर, सुन बिजली गिरी कलेजे पर | डर के मारे मैं सिमट गई, आँखों से नींद भी उचट गई | मुँह से निकली एक चीख अचानक, था टूट गया वह स्वप्न भयानक | ज़ब आँख खुली था कोसो दूर अंधेरा, था सूर्य 'शून्य 'झाँक रहा,और आया नया सवेरा || #last night #दस्तक
Sumit Rawal
ये राते बहुत अँधेरी है वो चेहरा था मै चाँद समझ बैठा शायद किसी ओर वो करवट बदल बैठा SR~~ #अँधेरी राते LoVe YoU # kavi Aj arijit R.R Chaudhary vinod kamble vk sumit singh
Rahul Singh Bhardwaj
रात काली है तो क्या हुआ, हौसले अब भी मेरे चांदनी से ज्यादा चमकदार है! #अँधेरी रात
Magical Words ( rupali yadav)
#OpenPoetry कैसे बयां करूँ उस लड़की की कहानी, जो सुबह घर से निकल जाती थी वो ऑफिस की थी दीवानी... टिकता नहीं था उसका घर में पैर, चाहती थी करना पूरी दुनिया की शैर लगता है आसान पर सफर ये उसका आसान ना था ... घर से निकलने से पहले, माँ के कहे शब्द "घर टाइम पर आना" माँ की फ़िक्र को जाहिर तो करते थे.. लेकिन मानो जैसे उसके ख्वावों की उड़ान को कम भी कर देते थे... वहीं घर से निकलते ही घड़ी दो घड़ी का सुकून उसे नहीं मिलता... घर से ऑफिस तक का रास्ता, कई उलझने... कई सवाल... मन में बिजली की तरह कौंध रहे होते हैं शाम को जरा सी देरी होने पर पापा की एक कॉल दिल को थमा देती है.. तो दूसरी ओर उन अँधेरी गलियों से गुजरने का डर सताता है... रात के अँधेरे में कमीज की जेब में पेन लगाए उस लड़की के पीछे चलता कोई शख्श उसे सभ्य नजर आता है ... तो वहीं मोबाइल से बात करते अपने पीछे आते, उस एक आदमी से उसे भय सा सताता है...मन में सिर्फ यही की कब ये अंधेरा खत्म होगा, और किसी स्ट्रीट लाइट की रोशनी इन अँधेरी गलियों को रोशन करेगी... इसी उधेड़बुन में वो कब घर के दरवाजे पर पहुंची मालूम ही ना पड़ा... आज का एक दिन भले खत्म हुआ हो पर इसी उधेड़बुन के साथ वो कल फिर एक नये दिन की शुरुआत हँसते मुस्कुराते हुए करेगी... 💟 #OpenPoetry ՏʅԺԺнΛʀтн शुभम सिंह Naina Raj ... Kajal_meshram deba shah
Adv Virendra Tomar
अँधेरी रात आज है प्यार की बरसात आज है हमारा दिलदार साथ है...। चल पड़े हम डगर पर प्यार की देखो तुम्हारा प्यार साथ है.. बस अब इन्तजार साथ है, अँधेरी रात आज है। #my poem