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Ganesh Din Pal
दिसंबर हो या जनवरी ऋतुओं का आना होगा, दिल में गर थोड़ी सी जगह हो याद कर लेना ऐसा नहीं हो सकता कि मैं आऊं ना बस तुम्हें दिल से बुलाना होगा। ©Ganesh Din Pal #बुला लेना
Gurudeen Verma
शीर्षक - बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे राम जी ---------------------------------------------------------- (शेर)- कब आयेगा रामराज, कब सुरक्षित होगी सीता भारत में। कब पैदा होना बंद होंगे रावण, हे राम तुम्हारे भारत में।। ---------------------------------------------------------- बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी -------------------।। चीरहरण सीता का आज भी, हो रहा है सरेआम। आबरू सीता की आज भी, लुट रही है सरेआम।। आज भी जिन्दा है हजारों, रावण मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी , अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी -----------------।। अपनों के हाथों अपने घर, जल रही है सीता आज। रस्मों- रिवाजों में भी बलि, चढ़ रही है सीता आज।। रक्षक ही भक्षक बन गये हैं, अब तो मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी-----------------।। नहीं है सुरक्षित मासूम बच्चियां, आजाद हिंदुस्तान में। क्यों है सीता पर जुल्मों- सितम, आजाद हिंदुस्तान में।। नहीं मिल रहा न्याय सीता को, अब भी मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी ------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी
Shubham Bhardwaj
अच्छे दिनों की तलाश में,बुरा वक्त बुला लेते हैं। बहारों की गलियों में,पतझड़ को हम बुला लेते हैं।। ©Shubham Bhardwaj #Sukha #अच्छे #दिन #की #तलाश #में #बुरा #वक्त #बुला #लेते #
Shubham Bhardwaj
गुजरे वक्त को,कौन बुला पाया है। जो चला गया, लोटकर न आया है।। ©Shubham Bhardwaj #feelings #गुजरे #वक्त #को #कौन #बुला #पाया #है
Shubham Bhardwaj
कितना चाह था मोहब्बत में उसको । मगर उसने मुझको कभी बुलाया ही नही।। हसरतें मिटती रहीं रात दिन यूं ही ऐ दिल। मगर मोहब्बत को मेरी उसने आजमाया नही।। ©Shubham Bhardwaj #andhere #कितना #चाहता #मोहब्बत #में #उसकी #बुला #नही
prashant singh
मेरी परछाई मुझे मेरी परछाईं मुझे क्युं डरा रही है, कदम दर कदम क्युं पीछे बुला रही है | जो बीत गया वो भुल गया हुँ अब ना मुझे परेशान कर, उसकी झुठी वादें कश्में क्युं याद दिला रही है | देखुंगा ना पीछे मुड़कर जाऊंगा मैं आगे बढ़कर, देख रौशनी आगे खड़ी है और तुझे बुला रही है मेरी परछाईं मुझे क्युं डरा रही है ! Stylo... #MeriParchai #CTL
Abhay Balrampuri
साबन की पहली बारिश में बुला नही मैं तुमको पायी। सर्दी की प्यारी रातो में भुला नही मैं तुमको पायी। तस्वीरों को जब जब देंखूं सिसक सिसक कर रोती हूँ। अपनी प्यारी तकिये से लिपट लिपट कर सोती हूँ। तस्वीरों को तकिए के नीचे रखना ना मुझको भाया सिर आता था उनके ऊपर इसीलिए नही रख पायी। साबन की पहली बारिश में बुला नही मैं तुमको पायी। सर्दी की प्यारी रातो में भुला नही मैं तुमको पायी। तस्वीरों को जब जब देंखूं मुझे बहुत भाते हो। कैसे कहूँ मेरी जाना याद बहुत तुम आते हो। तुम्हारे गीत सुने थे हमने अपने विस्तर पर लेटे लेटे। आहे भरी थी हमने अपने विस्तर पर सोते सोते। भीगी थी बारिश में उस पल पर प्यार जता ना मैं पायी साबन की पहली बारिश में बुला नही मैं तुमको पायी। सर्दी की प्यारी रातो में भुला नही मैं तुमको पायी। ®अभय बलरामपुरी
Tiwari Shiv
आज कल के बच्चे भी गज़ब ढा रहे हैं बेटे होने का फर्ज़ क्या खूब निभा रहे हैं बूढ़े बाप की तबियत क्या ख़राब हुई डॉ से पहले वकील बुला रहे हैं वैसे तो मां बाप को पहचान नहीं रहे हैं दौलत के नाम पर उन्हें अपना बता रहे हैं उन्हें वो दो कौड़ी की दौलत क्या मिल गई उन्हीं मां बाप को सर का बोझ बता रहे हैं आज कल के बच्चे भी......... बूढ़े बाप के फ़ैसले में उन्हें फरेब नज़र आ रहे हैं वो दो कौड़ी की दौलत के लिए पंचायत बुला रहे हैं मां बाप के दवा में थोड़े पैसे क्या खर्च कर दिए फिर उन्हीं मां बाप को अपना कर्जदार बता रहे हैं आज कल के बच्चे भी......... महबूबा को बड़े बड़े होटलों में घुमा रहे हैं उनको खुश रखना अपना फर्ज़ बता रहे हैं बूढ़े मां बाप को दो वक्त की रोटी क्या दे दिए जैसे लगता है कोई एहसान जता रहे हैं आज कल के बच्चे भी........... आज कल के बच्चे भी गज़ब ढा रहे हैं..#iitkavyanjali
-Kumar Kishan Krishan Kr. Gautam
खाली कमरे में कोई तसवीर लगा दूँ क्या तू कहे तो तुझे घर बुला लूँ क्या, बस फ़कत इतना ही नही तुझे घर कर का हर शख्स जानता है तुझे घर बुला अभी से मिला दूँ क्या, एक शक़्ल है जो तेरी परवाह करती है चल आईने पर उससे मुलाकात करवा दूँ क्या, तुम मेरी ही तरफ़ देखोगी मेरे हांथो में ताबीज़ नही बाँधोगी क्या तू कहे तो तुझे घर बुला लू क्या। #कुमार किशन #घरबुलालूँक्या
Pooja-joshi-121
तेरा शहर बडा मशहूर था, जब तक तू थी उस शहर मे तेरी जाते ही बदल गया, शहर का मिजाज भी कयोंकि तेरा जाना रास न आया किसी को भी कितनो ने कि शिकायत मुझसे बुला लो न अब उसको यही मै सोचता रहा कि किस हक से वापस बुलाए अब मै तुझे अब मै कुछ लगता भी तो नही हूँ जो बुला लू किसी बहाने से तुझे।