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Shruti Rathi
शब्दों का भाव एवम वस्तुओं का भाव बड़ा प्रभाव डालते हैं ©Shruti Rathi #Khushiyaan #shrutirathi #originalcontent #beingoriginal #nojotohindi #twoliner #वास्तविकता #शब्दों #वस्तुओं #भाव
S N Vishnoi
उत्पादन (Production) : उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसका संबंध वस्तुओं और सेवाओं की उपयोगिता अथवा मूल्य में वृद्धि करने से है ! उपभोग (Consumption ) : व्यक्तिगत या सामूहिक आवश्यकता की संतुष्टि के लिए वस्तुओं और सेवाओ की उपयोगिता का उपभोग किया जाना ! विनिमय (Exchange) : किसी वस्तु या उत्पादन के साधन का क्रय-विक्रय किया जाता है और यह क्रय-विक्रय अधिकांशतः मुद्रा द्वारा किया जाता है ! वितरण (Distribution) :वितरण से तात्पर्य उत्पादन के साधनों के वितरण से है, उत्पति के विभिन्न साधनों के सामूहिक सहयोग से जो उत्पादन होता है उसका विभिन्न साधनों में बाँटना ! राजस्व (Public Finance) : राजस्व के अन्तर्गत लोक व्यय, लोक आय, लोक ऋण, वित्तीय प्रशासन आदि से सबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है s.n.vishnoi
Ayush Saxena
वस्तुओं का इस्तेमाल करना सीखो.. लोगो का नहीं.. लोगों से मोहब्बत करना सीखो.. वस्तुओं से नहीं..✍️✍️
Nehansh Kulshrestha
------- "वस्तु और भावना वस्तुओं और भावनाओं में अंतर होता है प्यारे, वस्तुओं को तो खरीद-बेच सकते हो,भावनाएँ नहीं।। वस्तुओं का सौदा गलत बात नहीं है प्यारे, लेकिन भावनाओं का सौदा नहीं। वस्तुओं का होता है वज़न,नाप-तौल, वस्तुओं का होता है प्यारे मोल। लेकिन भावनाएं कोई वस्तु नहीं दोस्त जो कीजिये इसका नाप-तौल और मोल। वस्तुओं और भावनाओं में होता अंतर, वस्तुओं को खरीदने का आधार धन होता, लेकिन प्रेम इत्यादि को खरीदा-बेचा नहीं, जीता जाता है मगर...।। तो बताये जनाब कौन सा पलड़ा भारी है, धन का या प्रेम का, धन तो ज़रूरते पूरी करता हमारी, प्रेम हमारी वीरान,अधूरी ज़िन्दगी को पूरी करता है।। ----- नेहांश कुलश्रेष्ठ #वस्तु_और_भावना
Nehansh Kulshrestha
"वस्तु और भावना वस्तुओं और भावनाओं में अंतर होता है प्यारे, वस्तुओं को तो खरीद-बेच सकते हो,भावनाएँ नहीं।। वस्तुओं का सौदा गलत बात नहीं है प्यारे, लेकिन भावनाओं का सौदा नहीं। वस्तुओं का होता है वज़न,नाप-तौल, वस्तुओं का होता है प्यारे मोल। लेकिन भावनाएं कोई वस्तु नहीं दोस्त जो कीजिये इसका नाप-तौल और मोल। वस्तुओं और भावनाओं में होता अंतर, वस्तुओं को खरीदने का आधार धन होता, लेकिन प्रेम इत्यादि को खरीदा-बेचा नहीं, जीता जाता है मगर...।। तो बताये जनाब कौन सा पलड़ा भारी है, धन का या प्रेम का, धन तो ज़रूरते पूरी करता हमारी, प्रेम हमारी वीरान,अधूरी ज़िन्दगी को पूरी करता है।। ----- नेहांश कुलश्रेष्ठ #वस्तु और भावना writer
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