Find the Best पांच Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutपांचवीं अनुसूची क्या है, पांचवें चरित्र शून्य है, हम पांच फिर से, कौशिक की पांच बहुएं भाग 16, कौशिक की पांच बहुएं भाग 27,
Kalam se.......
प्रेम की पांच सीढियां है, देखना अच्छा लगना चाहना पाना ये चार सीढियां बहुत सरल है, लेकिन जो पांचवी सीढी है न वो बहुत कठिन है, और वो सीढ़ी है "निभाना" ©Kalam se....... #पांच सीढियां
#पांच सीढियां
read moreबाबा ब्राऊनबियर्ड
9वीं क्लास में थे हम .. म्हारी इंग्लिश आली मैडम बहोत घणी सुथरी थी जो हमने पढाया करती 27साल के लगभग उम्र होगी उसका ब्याह भी होरया था अर एक छोरा भी था .. अर् उसने जितना मुझे पिटा शायद किसे न ni कुटया होगा .. फेर स्कुल की under 17 फुटबाल टीम म्ह as a half back मेरा slection हो गया .. हम district level turnament में फाइनल जीत गए .. बाईस्कोप मॉल जब नया खुला था .. मेरे ताऊ आला छोरा बोल्या चाल आज तन्ने हॉल म्ह फिल्म देखाके ल्याऊंगा .. वहां जाके टिकट ली थोडे लेट पहुंचे फिल्म शूरू हो चुकी थी .. वहा जब हम सीट पे बेठे तो मेरी बगल आली सीट पे इंग्लिश आली मैडम मैथ आले मास्टर न कांख मे लिए बैठी थी .. #पांच दिन तो वे दोनु छुट्टी पे रहे .. फेर जब वो स्कुल आए तो उन्होंने मुझसे कुछ नही कहा .. ना ही मैने किसी को ये बात स्कूल मे बताई .. फेर 12वीं तक उन दोनवां न्ह मेरे कद्दे हाथ तक नी लगाया,, वैसे मेथ तो 10वीं म्ह e छूट्ट गी थी .. #लब यू है एसे गुरुआ न्ह .. 🥰 . ©बाबा ब्राऊनबियर्ड आज याद आगी पुराणी बात ..😂
आज याद आगी पुराणी बात ..😂
read moreDivyanshu Pathak
खाली खाली दिल है मेरा और बड़ी तन्हाई है यादें बनकर रात अंधेरी अब आंगन में छाई है ! पुरवाई चलने से देखो छुपी कसक भी जाग गई सूनी सूनी आंखों में अब मेरी बस रुसवाई है ! 🌺💕#शुभरात्री💕🙏 : हाथ तेरा थामकर मैं घूमता पूरा शहर तपती सुबह के साथ तेरे झूमता था दोपहर ! वक्त सरपट दौड़ता था हम कभी मिलते थे जब तेरे बिन जाने यह कैसी मायूस शामें आई है! : #पांच
🌺💕शुभरात्री💕🙏 : हाथ तेरा थामकर मैं घूमता पूरा शहर तपती सुबह के साथ तेरे झूमता था दोपहर ! वक्त सरपट दौड़ता था हम कभी मिलते थे जब तेरे बिन जाने यह कैसी मायूस शामें आई है! : #पांच
read moreRadhakrishnPriya Deepika
सजा दो घर को गुलशन सा अवध में राम आये हैं। लगे कुटिया भी दुल्हन सी अवध में राम आये हैं। #राम #ऐतिहासिक #दिन #पांच #अगस्त 2020 #जय_श्रीराम #जय_सिया_राम
read moreRadhakrishnPriya Deepika
महकने लगी है फिजायें अयोध्या नगरी की, जब से खबर मिली है राम जन्म भूमि पर प्रभु श्री राम जी का भव्य मंदिर बनने की। चल रही है जोर-शोर से तैयारियां भूमि पूजन की, पांच सौ वर्षों बाद पूरे एक लाख दियो से दुल्हन की तरह सजेगी पूरी अयोध्या नगरी। आप सभी लोगों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि, 5 अगस्त को श्री राम मंदिर निर्माण की खुशी में अपने घरों में भी पांच दिए जलाये एवं खुशी मनाये। ©®राधाकृष्णप्रिय Deepika आप सभी से मेरा विनम्र निवेदन है और ये सिर्फ मेरा ही नही अयोध्या से राम भक्त जनो का निवेदन आया है कि, 5 अगस्त 2020 को सभी राम भक्त अपने घरों म3 5 दिये जरूर लगाएं क्योंकि, 5 अगस्त को राम जन्म भूमि पर राम पूजन है माननीय श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी स्वयं भूमि पूजन में शामिल होंगे एवं सिर्फ राम भक्त ही नही कृष्ण भक्त एवं महादेव के भक्त भी क्योंकि, राम कृष्ण तो दोनों एक ही है दोनों ही नारायण के अवतार हैं और त्रेतायुग में श्री राम स्वयं महादेव की पूजा करते थे महादेव के भक्त थे और श्री कृष्ण जी म
आप सभी से मेरा विनम्र निवेदन है और ये सिर्फ मेरा ही नही अयोध्या से राम भक्त जनो का निवेदन आया है कि, 5 अगस्त 2020 को सभी राम भक्त अपने घरों म3 5 दिये जरूर लगाएं क्योंकि, 5 अगस्त को राम जन्म भूमि पर राम पूजन है माननीय श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी स्वयं भूमि पूजन में शामिल होंगे एवं सिर्फ राम भक्त ही नही कृष्ण भक्त एवं महादेव के भक्त भी क्योंकि, राम कृष्ण तो दोनों एक ही है दोनों ही नारायण के अवतार हैं और त्रेतायुग में श्री राम स्वयं महादेव की पूजा करते थे महादेव के भक्त थे और श्री कृष्ण जी म
read moreEr.Shivampandit
ओक्का बोक्का तीन तलोक्का, फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का। फगुआ कजरी कहाँ हेरायल, अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।। ओक्का बोक्का तीन तलोक्का, फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का। फगुआ कजरी कहाँ हेरायल, अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।। नया जमाना नयके लोग, नया नया कुल फईलल रोग। एक्के बात समझ में आवै,
ओक्का बोक्का तीन तलोक्का, फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का। फगुआ कजरी कहाँ हेरायल, अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।। नया जमाना नयके लोग, नया नया कुल फईलल रोग। एक्के बात समझ में आवै,
read moreSangam
#2YearsOfNojoto वो मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो। माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।। जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था। जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।। वो छोटी सी बच्ची थी, ढंग से बोल ना पाती थी। देख के जिसकी मासूमियत, उदासी मुस्कान बन जाती थी।। जिसने जीवन के केवल, पांच बसंत ही देख़े थे। उसपे ये अन्याय हुआ, ये कैसे विधि के लिखे थे।। एक पांच सालकी बच्ची पे, ये कैसा अत्याचार हुआ। एक बच्ची को बचा सके ना, कैसा मुल्क लाचार हुआ।। उस बच्ची पे जुल्म हुआ, वो कितनी रोई होगी। मेरा कलेजा फट जाता है,तो माँ कैसे सोयी होगी।। जिस मासूम को देखके मन में, प्यार उमड़ के आता है। देख उसी को मन में कुछ के, हैवान उत्तर क्यों आता है।। कपड़ो के कारण होते रेप, जो कहे उन्हें बतलाऊ मै। आखिर पांच साल की बच्ची कोा, साड़ी कैसे पहनाऊँ मै।। गर अब भी हम ना सुधरे तो, एक दिन ऐसा आएगा। इस देश को बेटी देने मे, भगवान भी जब घबराएगा।। It is not written by me....I just hope you can feel the pain .........
It is not written by me....I just hope you can feel the pain .........
read moreSunil Kumar Verma
मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो। माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।। जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था। जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।। वो छोटी सी बच्ची थी, ढंग से बोल ना पाती थी। देख के जिसकी मासूमियत, उदासी मुस्कान बन जाती थी।। जिसने जीवन के केवल, पांच बसंत ही देख़े थे। उसपे ये अन्याय हुआ, ये कैसे विधि के लिखे थे।। एक पांच सालकी बच्ची पे, ये कैसा अत्याचार हुआ। एक बच्ची को बचा सके ना, कैसा मुल्क लाचार हुआ।। उस बच्ची पे जुल्म हुआ, वो कितनी रोई होगी। मेरा कलेजा फट जाता है,तो माँ कैसे सोयी होगी।। जिस मासूम को देखके मन में, प्यार उमड़ के आता है। देख उसी को मन में कुछ के, हैवान उत्तर क्यों आता है।। कपड़ो के कारण होते रेप, जो कहे उन्हें बतलाऊ मै। आखिर पांच साल की बच्ची कोा, साड़ी कैसे पहनाऊँ मै।। गर अब भी हम ना सुधरे तो, एक दिन ऐसा आएगा। इस देश को बेटी देने मे, भगवान भी जब घबराएगा।। सुनील कुमार 8502966427,9079391607 मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो। माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।। जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था। जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।। वो छोटी सी बच्ची थी, ढंग से बोल ना पाती थी। देख के जिसकी मासूमियत, उदासी मुस्कान बन जाती थी।।
मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो। माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।। जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था। जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।। वो छोटी सी बच्ची थी, ढंग से बोल ना पाती थी। देख के जिसकी मासूमियत, उदासी मुस्कान बन जाती थी।।
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