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Niaz (Harf)
White मोहब्बत का तसव्वुर जब आँखों में सजाया हमने, तुम्हारी यादों का सहरा दिल में बसाया हमने। हिज्र के लम्हों में भी इश्क़ का दिया जलता रहा, तुम्हारी मोहब्बत से अपना जहाँ बसाया हमने। ©Niaz (Harf) #quotes #Niaz #Shayari Dia Parul (kiran)Yadav Umme Habiba shiza चाँदनी
Niaz (Harf)
White बाबुल की बगिया से, रुख़्सत हुई गुड़िया प्यारी, आँखों में आंसू, दिल में एक खामोश सवारी। चूड़ी की खनक, अब ख़ामोश है गलियों में, उसकी हंसी की गूंज, अब बस यादों की कलियों में। लाड़ली जब विदा हुई, दिल में सूनापन छा गया, आँगन का वो कोना, जैसे बिन चाँद का आसमां हो गया। ख्वाबों में अब भी उसकी सूरत नज़र आती है, रात की तन्हाई में उसकी हंसी गूंज जाती है। दुआओं में अब बस उसकी ख़ुशहाली है, हर लम्हे में उसकी ख़ुशियों की देखभाल है। रुख़्सत तो हुई है वो, मगर दिल से कहाँ जाएगी, बाबुल की दुआओं में वो हमेशा महकती जाएगी। ©Niaz (Harf) #Sad_Status #Niaz Parul (kiran)Yadav Neel heartlessrj1297 Jannah Dia
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White इश्क़ की राहों में हैं कई किस्से मशहूर, दिल की किताबों में लिखे हैं अरमान भरपूर, कभी मोहब्बत में मिलती है रहमत की सहर, तो कभी दर्द-ए-हिज्रां से दिल होता मजबूर। ©Niaz (Harf) #Sad_Status #Niaz
Niaz (Harf)
White सोशल मीडिया की दुनिया में खो गए, अपने असली चेहरे कहीं खो गए। लफ़्ज़ों की जगह इमोजी ने ले ली, दिल की बातों में अब सच्चाई ना रही। हर पोस्ट में दिखावा है छुपा, दोस्तों का राब्ता भी बस दिखावा बना। लाइक और कमेंट की दौड़ में लगे हुए, रिश्तों की अहमियत अब खो रही है। वक्त जो था अपनों के लिए, वो स्क्रीन की रौशनी में गुम हो गया। चेहरों पे मुस्कानें नक़ली सी लगतीं, दिलों का हाल अब कोई पूछता नहीं। ख़्वाबों में भी अब है नोटिफिकेशन का शोर, हर पल का हिसाब अब होता है गौर। सोचते हैं कि जुड़ रहे हैं हम सब, मगर हक़ीक़त में दूरियां बढ़ रही हैं जब। सोशल मीडिया की इस भीड़ में कहीं, हम अपने आप को ही भूल गए हैं। आईना दिखाता है जो असली चेहरा, वो तस्वीरें तो अब महज़ नक्शा बन गई हैं। ©Niaz (Harf) #GoodMorning #Niaz #nojoto #Shayari #Love #Hindi Parul (kiran)Yadav shiza Yuvika Shekhawat R. Ojha Radha Dia हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश
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White यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-ए-ग़ैर में बसे हम, मगर दिल वहीं की गली है। याद आती हैं वो गलियाँ, जहाँ बचपन बीता था, दोस्तों की महफिलें, जहाँ हर ग़म भुलाया था। अम्मी की लोरियों में, सुकून-ए-दिल की बातें थीं, अब तो बस ख़्वाबों में, वो सारी राहतें हैं। वो मस्जिद की अज़ान, वो मंदिर की आरती, हर सुबह की ताज़गी, अब बस यादों की बात है। परदेस की चमक में, दिल की वीरानियाँ हैं, रोज़ी की तलाश में, बस यादों की परछाइयाँ हैं। वतन की मिट्टी की खुशबू, रूह में घुल जाती है, पर इस सफ़र की मंज़िल, बस एक बेचैनी लाती है। कब लौटूंगा उस ज़मीन पर, जहाँ दिल बसता था, मुल्क-ए-ग़ैर की दौलत, मुझे क्या रास आएगी? ©Niaz (Harf) #Sad_Status #Niaz R. Ojha Sircastic Saurabh Sethi Ji Sana Ekram Adhuri Hayat Dia यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-ए-ग़ैर में बसे हम, मगर दिल वहीं की गली है। याद आती हैं वो गलियाँ,
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गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं। रोटी के टुकड़ों में बंटा है सारा वजूद, हर ख्वाहिश पर लगता है जैसे कोई सूद। आंखों में आंसू, दिल में हसरतें दबती हैं, हर सुबह उम्मीदें फिर से मरती हैं। नहीं हैं किताबें, ना खेलों की बात, बस मेहनत में बीतता है बचपन का हर रात। वो टूटी हुई झोपड़ी, वो सूना सा चूल्हा, दौलत के आगे सब कुछ यहाँ बेमानी सा लगता है। कभी उम्मीदें होती हैं, कभी दिल तंग होता है, गरीबी में हर इंसान का सपना अधूरा सा रहता है। इस अंधेरी रात में बस एक ख्वाब है रोशनी का, शायद कभी खत्म हो ये दर्द गरीबी का। ©Niaz (Harf) गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं।
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं।
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White *अस्त्र, शस्त्र और वस्त्र* जंग के मैदान में चमकते तेग़, अस्त्र-शस्त्र में बसा अजीब सा शौक़। दुश्मन की फौज से मुकाबिल जब हो, सजीला वो वीर, संग ख़ंजर-ओ-बर्क़। वस्त्र में लिपटे जांबाज़ों के रंग, हौंसले से भरी वो फिज़ा की तरंग। आबरू की हिफ़ाज़त, जंग में फ़न, इन में सिमटी है जमीं-ओ-आसमां। मोहब्बत का लिबास, सुकून-ओ-अमन, दिल में तहज़ीब, हाथ में क़लम। अस्त्र हो अगर, तो अदब भी रखो, वस्त्र की तरह उस पे लगाओ ज़ेब-ओ-ज़ीनत। यही जंग और अमन का उसूल रहे, जहाँ हथियार नहीं, बस इंसानियत जिए ©Niaz (Harf) #sad_shayari #Niaz #Nojoto Sethi Ji Parul (kiran)Yadav Adhuri Hayat shiza Anshu writer
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White कभी मुलाकात होगी, तो यह सवाल भी पूछा जाएगा। कि, आए जिंदगी तुझे मुझसे क्या गिला है। सब तो मौजूद है मेरे शहर में, बिना मेरे। कि मुझे ही मेरे आशियाने से रुखसत किया जाएगा। और इल्जाम यह भी लगाया जाएगा। की थी दौलत की भूख। देख तेरे घर का चूल्हा, मेरे खून की कमाई से जलाया जाएगा। ©Niaz (Harf) #sad_shayari #Niaz Sethi Ji R. Ojha heartlessrj1297 Parul (kiran)Yadav shiza
#sad_shayari #Niaz Sethi Ji R. Ojha heartlessrj1297 Parul (kiran)Yadav shiza
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White फ़ासलों की दीवार वो इश्क़ जो दिलों में पला था, मज़हब और तहज़ीब की जंजीरों में फँसा था। ख़्वाबों की तामीर थी उनके निगाहों में, मगर क़िस्मत ने फ़ासले लिख दिए राहों में। हर मुलाक़ात में छुपी थी अलविदा की चुभन, बातों में थी मोहब्बत, मगर आँखों में घुटन। दिल करता था सब छोड़कर पास आ जाएँ, पर रिवायतों की रस्में, हसरतों पर हावी हो जाएँ। उसकी दुआओं में मैं था, मेरी इबादत में वो, मगर दरमियान खड़ी थीं क़ायदे की सल्तनतें, बेवजह ख़ुदा के नाम पर रो। दिलों की सरहदें क्या समझती हैं मज़हब का हिसाब, मगर समाज की नज़र में ये इश्क़ था बस एक ख्वाब। रातों में रो-रो कर हमने सितारों से पूछा, क्या मोहब्बत करना है गुनाह, या है ये सबका बहाना झूठा? मुक़द्दर ने मिलाया था, दुनिया ने जुदा कर दिया, फूलों को खिलने से पहले ही ख़िज़ाँ में तब्दील कर दिया। अब बस यादें हैं, वो लम्हे कभी भुलाए नहीं जाते, हसरतें दिल में दबी हैं, मगर ये अश्क़ रुकते नहीं थमते। शायद किसी और जहां में वो ख़्वाब मुकम्मल हों, जहाँ दिलों में फ़र्क़ नहीं, बस मोहब्बतें ही हों। ©Niaz (Harf) #Niaz Adhuri Hayat Parul (kiran)Yadav Dia Sethi Ji Anshu writer #Shayari #Hindi #nojotohindi #काव्यार्पण
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