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Best कृष्णचंद्र Shayari, Status, Quotes, Stories

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Arpit Singh

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 80 - तारक दर्शन 'मैया। यह कौनसा तारा है?' इस गर्मी की ऋतु में श्यामसुंदर बड़े भाई के साथ एक ही शय्या पर खुले आकाश के नीचे सो रहा है। चंद्रमा का उदय तो अभी दो घडी पीछे होगा। निर्मल नील गगन खिले तारकों से भर गया है। गोचारण से सायंकाल लौटे राम-श्याम को मैया ने स्नान कराया वस्त्र बदलवाये, भोजन कराया। खा-पीकर अब ये दोनों लेट गये हैं शय्या पर। मैया पास आ बैठी है। कभी कन्हाई और कभी दाऊ मैया से किसी बड़े तारे का नाम पूछ बैठते हैं। छोटे तारों में इन्हें अभिरुचि नहीं और हो भी तो इतने ढेर #Books

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|| श्री हरि: ||
80 - तारक दर्शन

'मैया। यह कौनसा तारा है?' इस गर्मी की ऋतु में श्यामसुंदर बड़े भाई के साथ एक ही शय्या पर खुले आकाश के नीचे सो रहा है। चंद्रमा का उदय तो अभी दो घडी पीछे होगा। निर्मल नील गगन खिले तारकों से भर गया है। गोचारण से सायंकाल लौटे राम-श्याम को मैया ने स्नान कराया वस्त्र बदलवाये, भोजन कराया। खा-पीकर अब ये दोनों लेट गये हैं शय्या पर। 
मैया पास आ बैठी है। कभी कन्हाई और कभी दाऊ मैया से किसी बड़े तारे का नाम पूछ बैठते हैं। छोटे तारों में इन्हें अभिरुचि नहीं और हो भी तो इतने ढेर

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 65 - आँधी आयी 'हम्मा।' गायों ने कान खड़े का दिए हैं। चरना बंद करके वे स्वयं एकत्र हो गयी हैं झुण्ड की झुण्ड और अब लगता है कि गोष्ट को भागने वाली ही हैं । 'कनूं! देख आँधी आ रही है।' कपि इधर-उधर छिपने लगे हैं। पक्षी उड़ते हैं आकुल-से और चीलें ऊपर -खूंब ऊपर मण्डल बनाकर चक्कर काटने लगी हैं। गोपकूमार ठीक ही तो कहते हैं कि आँधी आ रही है। दिशाएं धूमिल हो रही हैं और पश्चिमी आकाश में कपिश रंग की घटा-सी घेरे आ रही है, किंतु कन्हाई तो नाच रहा है। यह दोनों हाथ पूरे फैलाकर गोलमोल घूम रहा है। #Books

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|| श्री हरि: ||
65 - आँधी आयी

'हम्मा।' गायों ने कान खड़े का दिए हैं। चरना बंद करके वे स्वयं एकत्र हो गयी हैं झुण्ड की झुण्ड और अब लगता है कि गोष्ट को भागने वाली ही हैं ।

'कनूं! देख आँधी आ रही है।' कपि इधर-उधर छिपने लगे हैं। पक्षी उड़ते हैं आकुल-से और चीलें ऊपर -खूंब ऊपर मण्डल बनाकर चक्कर काटने लगी हैं। गोपकूमार ठीक ही तो कहते हैं कि आँधी आ रही है। दिशाएं धूमिल हो रही हैं और पश्चिमी आकाश में कपिश रंग की घटा-सी घेरे आ रही है, किंतु कन्हाई तो नाच रहा है। यह दोनों हाथ पूरे फैलाकर गोलमोल घूम रहा है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 52 - उपहार 'दादा! बता तो मैं क्या लाया हूँ?' पीताम्बर के भीतर कोई गोल वस्तु छिपाये यह श्यामसुंदर दौड़ा-दौड़ा हंसता-हंसता आया और दाऊ के सामने बैठ गया। किसी गोपकुमार को - कहना यह चाहिए कि व्रज में किसी को, स्वयं दाऊ को भी कोई सुंदर स्वादिष्ट या आकर्षक वस्तु मिले तो वह उसी समय कृष्णचंद्र के लिए सुरक्षित हो जायगी। उसे पाने वाला झटपट श्याम के पास उसे पहुंचाना चाहेगा। और यह श्याम - कोई रत्न, कोई बड़ा - सा पुष्प - गुच्छ, कोई सुंदर फल, कोई लुभावना फूल, कोई भी वस्तु जो इसे पसंद आ जाय, #Books

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|| श्री हरि: ||
52 - उपहार


'दादा! बता तो मैं क्या लाया हूँ?' पीताम्बर के भीतर कोई गोल वस्तु छिपाये यह श्यामसुंदर दौड़ा-दौड़ा हंसता-हंसता आया और दाऊ के सामने बैठ गया।


किसी गोपकुमार को - कहना यह चाहिए कि व्रज में किसी को, स्वयं दाऊ को भी कोई सुंदर स्वादिष्ट या आकर्षक वस्तु मिले तो वह उसी समय कृष्णचंद्र के लिए सुरक्षित हो जायगी। उसे पाने वाला झटपट श्याम के पास उसे पहुंचाना चाहेगा। और यह श्याम - कोई रत्न, कोई बड़ा - सा पुष्प - गुच्छ, कोई सुंदर फल, कोई लुभावना फूल, कोई भी वस्तु जो इसे पसंद आ जाय,

Anil Siwach

37 - गो - दोहन || श्री हरि: || #Books

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37 - गो - दोहन 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

36 - निद्रालु || श्री हरि: || #Books

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36 - निद्रालु 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

31 - सत्प्रयत्न || श्री हरि: || 'कृष्ण कहाँ है? कहाँ चला गया वह?' बाबा जिस शीघ्रता एवं आतुरता से पूछते आये हैं, उसने मैया को, माता रोहिणी की दासियों को, घर आयी गोपियों को - सबको डरा दिया है। #Books

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31 - सत्प्रयत्न 
 || श्री हरि: ||


'कृष्ण कहाँ
है? कहाँ चला गया वह?' बाबा जिस शीघ्रता एवं आतुरता से पूछते आये हैं, उसने मैया को,
माता रोहिणी की दासियों को, घर आयी गोपियों को - सबको डरा दिया है।

Anil Siwach

28 - शिक्षण || श्री हरि: || #Books

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28 - शिक्षण 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

16 - दुग्धपान || श्री हरि: || 'मैया! मैया! कनूं तो बछड़ा है।' दाऊ ताली बजा - बजाकर कूद रहा है। अपने छोटे भाई को गाय के थन में #Books

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16 - दुग्धपान 
 || श्री हरि: ||




'मैया! मैया!
कनूं तो बछड़ा है।' दाऊ ताली बजा - बजाकर कूद रहा है। अपने छोटे भाई को गाय के थन में

Anil Siwach

14 - हंसी || श्री हरि: || #Books

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14 - हंसी 
 || श्री हरि: ||
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