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Best आविष्कार Shayari, Status, Quotes, Stories

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Anuradha T Gautam 6280

#आविष्कार मेरा मानना है कि गाली का आविष्कार करने वाले को पुरस्कार मिलना चाहिए गाली देने वाले लोगों को हार्ट अटैक जैसी बीमारी छु भी नहीं सकती..🖊️ अनु_अंजुरी🙆🏻‍♀️🤦🏻 #शायरी

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Pradyumn awsthi

आवश्यकता ही आविष्कार
 की जननी होती है ।

©"pradyuman awasthi" #आविष्कार

Anita Saini

Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "ईजाद" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: #invention #YourQuoteAndMine #आविष्कार #aamirshaikh

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सोचते हैं कि तुम कोई कमाल करो
ना हम कहें ना तुम कोई सवाल करो

ना तुम चाँद तारों की कोई बात करो
ऐसा इश्क़ का नया नुस्ख़ा ईजाद करो Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "ईजाद"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

Mahendra Maddheshiya

मुझे तुम मत मारो - युग भारती - महेन्द्र कुमार मध्देशिया... #MyPoetry #कविता #आविष्कार #मुझे #मानवता #मारो #हूँ

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Parul Sharma

यदि हम आविस्कार कर सकते
तो खुद को निर्माता घोषित कर 
एक दूसरे पर से विश्वास खो देते
इसलिये कुछ चमत्कार जारी रहने चाहिये
आस्था में विस्वास को कायम रखने के लिये

©Parul Sharma #आविष्कार

fouji "Hindustani"

#ufffff
😎#दुनियां में #एक से #बढ़कर एक 👌👌👌👌
     #आविष्कार हुए हैं 👌👌👌
    
 लेकिन #पत्नी के सामने #पति की
       🙈🙈🙈🙈🙈🐵🐵🙊🙊
    
 #दाल #गल जाये😘😘😘😘
     ऐसी #कूकर का #आविष्कार आज तक नहीं हुआ
                😝😝😁😁😜😜

©fouji "Hindustani"

shayar_dillwala

#काश तेरे हाथों से रंगने वाली दीवार मै होता। तेरे दिल से निकली कला का #आविष्कार मै होता। भर जाता #खुशनुमा रंगों से और तुझे भी #रंगीन बना देता, काश तेरे मन को भाने वाला #चित्रकार मै होता।

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काश तेरे हाथों से रंगने वाली दीवार मै होता।
तेरे दिल से निकली कला का आविष्कार मै होता।
भर जाता खुशनुमा रंगों से और तुझे भी रंगीन बना देता,
काश तेरे मन को भाने वाला चित्रकार मै होता। #काश तेरे हाथों से रंगने वाली दीवार मै होता।
तेरे दिल से निकली कला का #आविष्कार मै होता।
भर जाता #खुशनुमा रंगों से और तुझे भी #रंगीन बना देता,
काश तेरे मन को भाने वाला #चित्रकार मै होता।

Seema Thakur

#OpenPoetry *#माहवारी_को_टालना_खतरे_की_घंटी* 

मैं जिस विषय पर आज बात करना चाहती हूँ वह आज के दिन देश में चल रहे कुछ अति वायरल मुद्दों जितना प्रसिद्ध नहीं है किंतु देश की आधी आबादी के स्वास्थय से जुड़ा है इसलिए देश के लिए अति महत्तवपूर्ण है। 

देश की आधी आबादी यानी मातृ शक्ति, माँ..........यानी संतानोपत्ति की अहम क्रिया, यह क्रिया जुड़ी है माहवारी से। माहवारी, वह प्रक्रिया जिसके अभाव में कदाचित् सृष्टि का क्रम ही रुक जाता। आज इस एक शब्द को टेबू के रूप में कुछ इस तरह इस्तेमाल किया जाता है कि आधुनिक पीढ़ी या यूँ कहूँ नारीवादी लोग खून सना सेनेटरी पेड हाथ में लेकर फोटो खींचवाना, नारी सम्मान का पर्याय समझते हैं। 

कुछ ऐसे परम्परावादी लोग भी है जो काली पॉलीथीन में सेनेटरी पेड को लेकर जाने, उन खास दिनों में महिलाओं और बच्चियों के अलग रहने, घर के पुरुषों से इस बात को छिपाने आदि की वकालत करते हैं। 

इन दोनों ही समूहों ने, धड़ल्ले से दिखाने और सबसे छिपाने के बीच की एक कड़ी को पूर्णतया गौण कर दिया है। यह कड़ी है तीज-त्यौहार एवं शादी-ब्याह के अवसरों पर माहवारी के समय महिलाओं की मनःस्थिति। 

कुछ वर्ष पहले तक बहुत अच्छा था क्योंकि विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी कि इस प्राकृतिक प्रक्रिया को रोका जा सके या कुछ दिन के लिए स्थगित किया जा सके। 

न जाने इस खतरनाक आविष्कार के पीछे क्या अच्छी मंशा रही होगी यह तो मैं नही जानती किंतु आज हर पाँचवी औरत इस आविष्कार को लाख दुआएँ देकर अपनी जिंदगी से समझौता कर रही है। 

जी हाँ, शायद आप ठीक समझ रहे हैं। मैं बात कर हूँ उन दवाइयों की जो माहवारी के समय के साथ छेड़छाड़ करने के लिए ली जाती है। मासिक धर्म दो हार्मोन्स, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन पर निर्भर करता है। ये दवाइयाँ इन हार्मोन्स के प्राकृतिक चक्र के प्रभावित करती है और माहवारी स्थगित हो जाती है। मजे की बात यह भी है कि कोई भी चिकित्सक कभी किसी महिला को ये दवाइयाँ खाने की सलाह नहीं देता, आत्मिक रिश्ते के कारण दे भी देता है तो अपनी पर्ची में लिखकर नहीं देता क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह से इनके दुष्प्रभावों को जानता है। 

विडम्बना किंतु यह है कि हर एक फार्मेसी पर ये धड़ल्ले से बिकती है। महिलाएँ अन्य किसी दवा के बारे में जाने या न जाने इस दवा के बारे में अवश्य जानती है क्योंकि यह उन्हें अपनी पक्की सहेली लगती है जिसके दम पर वे नियत दिन (सोमवार को, यदि माहवारी का समय हो तो भी) शिवजी के अभिषेक कर सकती है, वैष्णो देवी की यात्रा कर सकती है, छुट्टी में दो दिन के लिए घर पर आये बच्चों को उनकी पसंद के पकवान बनाकर खिला सकती है, देवर या भाई की शादी में रात-दिन काम कर सकती है, दिवाली के दिन उसे घर के अंधेरे कोने में खड़ा नहीं होना पड़ता, वह अपने हाथों से दीपक जला सकती है, होलिका दहन की खुशी में मिठाई बना सकती है, केदारनाथ, बद्रीनाथ की पूरे संघ के साथ यात्रा कर सकती है, सम्मेद शिखरजी का पहाड़ चढ़ सकती है। 

और भी न जाने कितने कार्य जो माहवारी के दौरान करने निषेध है वे य़ह एक दवा खाकर बड़े आराम से कर सकती है। सहूलियत इतनी है कि वह अपनी मर्जी के हिसाब से चाहे जितने दिन अपनी माहवारी को रोक  सकती है। मेरे अनुभव के अनुसार शायद ही कोई महिला मिले जिसने यह दवा न खाई हो (मैं भी इसमें शामिल हूँ।) 

सवाल यह है कि यह एक दवा जब सब कुछ इतना आसान कर देती है तो फिर मुझे क्या आपत्ति है। विज्ञान के असंख्य चमत्कारों में यह भी महिलाओं के लिए एक रामबाण औषधि मानली जानी चाहिए और एक दो प्रतिशत महिलाएँ जो कदाचित् इसकी जानकारी नहीं रखती है, उन्हें भी इसके लिए अवगत करवा दिया जाए। 

लेकिन नहीं, यह बहुत खतरनाक है। उतना ही जितना देह की स्वाभाविक क्रिया शौच और लघुशंका को किसी कारण से रोक देना। ये दवाइयाँ महिलाएँ इतनी अधिक लेती है कि कभी कभी तो लगातार दस से पंद्रह दिन भी ले लेती है। सबसे अधिक इन दवाइयों की बिक्री त्यौहार या किसी धार्मिक अनुष्ठान के समय होती है। एक रिसर्च बताती है कि भादवे के महीने में आने वाले दशलक्षण पर्व के दौरान पचास फिसदी जैन महिलाएँ इन दवाइयों का इस्तेमाल करती है जिससे वे निर्विघ्न मंदिर जा सके, अपनी सासू माँ के लिए शुद्ध भोजन बना सके, पति को दस दिल फलाहार करा सके। 

कितनी नादान है जानती ही नहीं है कि वे कितनी बड़ी-बड़ी बीमारियों को न्यौता दे रही है। ये वे महिलाएँ है जो बहुत खुश रहती है, जिन्हें किसी भी नशीले पदार्थ को बचपन से भी नहीं छुआ है, खानपान में पूरा परहेज रखती है पर एक दिन ये दिमागी बीमारियों की शिकार हो जाती है। ब्रेन स्ट्रोक जिनमें सबसे कॉमन बीमारी है। कब ये महिलाएँ अवसाद का शिकार होती है, कब कोमा में चली जाती है, कब आत्म हत्या तक के फैसले ले लेती है कोई जान ही नहीं पाता। 

केवल इसलिए क्योंकि इन्हें बढ़-चढ़ कर धार्मिक और सामाजिक क्रियाओं में भाग लेना था, केवल इसलिए क्योंकि ये अपनी सासू माँ से नहीं सुनना चाहती थी, “जब भी काम होता है तुम तो मेहमान बनकर बैठ जाती हो”, केवल इसलिए कि ये त्यौहार के दिनों में अपनी आँखों के सामने घरवालों को परेशान होते नहीं देख सकती। 

मैं आज आपसे इस बारे में बात नहीं कर रही कि माहवारी के दौरान रसोई घर और मंदिर में प्रवेश करना सही है या गलत। यह टी आर पी बटोरने वाला विषय है, इस पर अनेकों बार चर्चा हो चुकी है और आगे भी हो जायेगी। 

मैं आज केवल आपसे इतनी ही विनती करूँगी कि उन खास दिनों में आपके घर की मान्यता के अनुसार आपका यदि मंदिर छूटता है तो छोड़ दीजिये पर कृपया इन दवाइयों को टा टा बाय बाय कह दीजिये। खुदा न करे कि इन गंभीर बीमारियों को झेलने वाली सूची में अगला नम्बर आपका हो जिनका कोई इलाज ही नहीं है। 

मेरी एक परिचिता को आज ही इनकी वजह के ब्रेन स्ट्रोक हुआ है इसलिए मैंने सारे काम छोड़कर यह लिखना जरुरी समझा। पहले से भी मैं ऐसे कई केस जानती हूँ जिनमें लगातार दस दिन ये दवाइयाँ खाने वाली महिला आज कोमा में है और उसकी आठ वर्ष की बेटी उसे सवालिया निगाहों से घूरकर पूछती है, “मम्मी आप कब उठोगी, कब उठकर मुझे गले लगाओगी।” एक परिचिता औऱ है जो अतीत में इन दवाइयों का अति इस्तेमाल करके तीस वर्ष की उम्र में ही मोनोपॉज पा चुकी है और आज उसके दिमाग की नसों में करंट के वक्त बेवक्त झटके लगते हैं जिन्हें सहन करने के अतिरिक्त उसके पास कोई चारा नहीं है। 

क़पया इस पोस्ट को हल्के में न ले। 

मैं नहीं कहूँगी कि जहाँ तक हो इन दवाइयों से बचे, मैं कहूँगी कि इन दवाइय़ों को कतई न ले। ईश्वर की पूजा हम मन से करेंगे तब भी वह हमारी उतनी ही सुनेगा जितनी हमारी जान को जोखिम में डालकर उसके प्रतिबिम्ब के समक्ष हमारे द्वारा कि गई प्रार्थना से सुनेगा। 

कदाचित् तब कम ही सुनेगा क्योंकि उसे भी अफसोस होगा कि मेरे द्वारा दी गई देह को यह मेरे ही नाम पर जोखिम में डाल रही है। मैं डॉक्टर नहीं हूँ पर मैंने विशेषज्ञों से बात करके जितनी जानकारी जुटाई है उसका सारांश यही है कि इन दवाइयों का किसी भी सूरत में सेवन नहीं करना चाहिए। मैं तो कहती हूँ कि एक आंदोलन चलाकर इन्हें बाजार में बैन ही करवा दिया जाना चाहिए जिनके कारण भारत की हर दूसरी महिला पर संकट के बादल हर समय मंडराते रहते हैं। 

मैं आम तौर पर कोई भी पोस्ट रात को नहीं करती पर आज मेरी परिचिता के बार में सुनकर मैं खुद को रोक नहीं पा रही हूँ और अभी यह पोस्ट कर रही हूँ। निवेदन के साथ कि आप इसे अधिक से अधिक शेयर करे। हर एक लड़की भले वो आपकी पत्नी हो, माँ हो, प्रेमिका हो, बहन हो, बुआ हो, बेटी हो, चाची हो, टीचर हो अवश्य पढ़ाये......और मेरी जितनी बहनें इसे पढ़ रही है, वे यदि मुझसे बड़ी हो तो मैं उनके चरण स्पर्श करके करबद्ध निवेदन करती हूँ कि वे कभी इन दवाओं का सेवन न करे और यदि मुझसे छोटी है तो उन्हें कान पकड़कर कर सख्त हिदायत देती हूँ कि वे इन दवाओं से दूर रहे। 
............................Seema

Deepak satyarthi

motivational tips..... comment kare

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।।सच्ची बातें।।

थॉमस अलवा एडिशन क्या  थे एक साधारण स्टूडेंट रहते भर में बल्ब का आविष्कार कर डाले।।
अगर हम भी आविष्कारक दिमाग लगाएंगे तो जरूर आविष्कार करेगे।।
हमलोग की यह सोच कर भी नही चलना है कि हम ये नही कर सकते है।।।
फिनिश....फिनिश....फिनिश
लेखक दीपक कुमार motivational tips..... comment kare

sandeep sharma

Deepika Dubey Pakhi Gupta Sarika Srivastava Sangeeta Bharti Kumari #विचार

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आज का ज्ञान क्या कमाल है...
एक सेब गिरा...
गुरुत्वाकर्षण का
 आविष्कार हो गया...
         और
इधर इंसान रोज गिर रहा है ...
पर इंसानियत का आविष्कार
 अभी तक नहीं हुआ...! Deepika Dubey Pakhi Gupta Sarika Srivastava Sangeeta Bharti Kumari
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