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Dr Manju Juneja
ये वादियां अपने पास बुलाती है मुझे लोरी गा गाकर सुनाती है मुझे थपकियाँ देती है मुझे ठंडी हवाओं की अपनी गोदी में सुलाती है मुझे ढक देती है बर्फ सी सुंदर चादर माँ होने का एहसास कराती है मुझे खो जाती हूँ मैं इन हसीं वादियों में आकर अपने होने का अनुभव कराती है मुझे लपेट लेती है मुझे अपनी बर्फीली हवा में मैं कौन हूँ क्या हूँ सब कुछ भुला देती है मुझे सुकूँ मिलता है इनकी पनाह में आकर प्रकृति क्या है ये राज बताती है मुझे ©Dr Manju Juneja #ये_वादियां #एहसास #प्रकृति #लोरी #थपकियाँ#सुलाती #पनाह #सुकूँ #nojotohindi #nojotopoetry
official_tarunshrivastava
[मां और बहन] जब गोद में सुलाती थी.. तो उसकी याद ना आती थी जब चली गई वो तो...याद बहुत सताती थी तब ले ली उसकी जगह बहना ने..और लोरी वो सुनाती थी टूटे हुए परिवार को बुनकर...फिर से वो बनाती थी रूठी हुई खुशियों को वह.. फिर से मनाती थी आज समझ आया मुझको की... मां की याद क्यों नहीं आती थी बड़े प्यार से रातों में चुप करके...बहना मुझे सुलाती थी जब साथ छोड़ देती थी हर चीज जहां की....तब बहना सीने से लगाती थी एक बहना ही तो थी मां के बाद... जो सारी जिम्मेदारी निभाती थी होती थी तकलीफ समाज से.. पर खुद सब सह जाती थी एक बहन ही थी यारों...जो मां के बाद बहुत याद आती थी मां और बहन#mr_tarun.14 sonam mishra (Youtuber) Princesslappi Lakshmi singh vidushi MISHRA #suman#
Poetry Point (Aashu Bijnori)
बचपन में क्या कमाल की नींद आती थी जब मां लोरी गाकर सुलाती थी अरिजीत के गाने भी वो काम नहीं करते जो मां की थपकी वाली लोरी कर जाती थी जो नींद अब घंटो तक करवटे बदलने पर नहीं आती वो उसकी गोद में सर रखते ही पल में आती थी पता नहीं मां उस माथा चूमने में कौन सी दबा मिलाती थी सारी दिन भर की थकान पल भर में उड़ जाती थी बचपन में भी क्या कमाल की नींद आती थी जब मां लोरी गा कर सुलाती थी मां की लोरी वाली नींद
घुमक्कड़ की जिज्ञासा
बचपन और माँ ये चन्द पंक्तियाँ मेरी माँ के लिए समर्पित: ये पंक्तियाँ मैंने अपने बचपन में अपनी माँ के साथ जी हैं और जो भी ये पंक्ति मैंने लिखी हैं ये मेरे बचपन की सच्चाई है, जो मैंने एक छोटी सी कविता के रूप में ढाल कर आपके सामने प्रस्तुत की है! और हैरत की बात ये है इन् सभी पंक्तियों में से किसी एक पंक्ति में भी माँ शब्द प्रयोग नही किया मैंने फिर भी माँ के लिए लिखी है! आज जब मैं माँ से दूर हूँ तो वो पल बहुत याद आते हैं अगर पसंद आये तो कमेंट में बताना जरुर! जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को! जब तू अपने पल्लू की चादर बनाकर मुझको उड़ाती थी! शाम ढलते ही छत पर बिछोना करके मुझे सुलाती थी!! जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को! जब लाइट आने पर मुझे गोद में उठाकर नीचे लाती थी! कमरे में लाकर पंखे की हवा में मुझे सुलाती थी!! जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को! जब मेरे ढंग से न नहाने पर खुद मल मल के नहलाती थी! फिर पोंछ कर बदन मेरा बालों में तेल और आँखों में काजल लगाती थी!! जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को! जब मेरे सुबह ४ बजे पढाई के लिए न उठने पर मुझे बार बार आवाज लगाती थी! फिर डांट कर मुझे देकर हाथों में मेरे किताब खुद मेरे लिए खाना बनाती थी!! जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को! जब मेरे न खाने पर जबरदस्ती मुझे खिलाती थी! फिर मेरी बचकानी हरकतों पर मुझे बड़ा सुनती थी!! ....... मोहित पाल Vikash Kumar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Sourabh Patil_2210 Kalyani Shukla Pakhi Gupta Vikash Kumar Samhita Nandi OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)
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