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kumaarkikalamse
[कुमार सीख] गीला हो तौलिया तो बदन पोंछा नही करते, कुछ चीज़ों का सूखने के बाद ही इस्तेमाल करना चाहिए! #kumaarsthought #तौलिया #kumaarsher #सीख #कुमारसीख
Juhi Grover
टेढ़े मेढ़े रास्ते पे भी उम्मीद नहीं छोड़ते, लम्बी दौड़ लगाने से पहले कुछ देर रुकना चाहिए! #kumaarsthought #तौलिया #kumaarsher #सीख #कुमारसीख #YourQuoteAndMine Collaborating with Jai Kumaar
Anupama Jha
मैं तौलिया हूँ जनाब मुझसे क्या पर्दा कीजे, कभी अश्क़ तो कभी पसीना पोंछ लीजे, अरमानों की तरह कभी ओढ़ , तो कभी बिछा लीजे सुखाना आपके गीलेपन को यही मेरी फितरत ,क्या कीजे.. अनुपमा झा #तौलिया#towel #YQbaba#YQdidi
देव बाबू ,की कलम से /-/emat ,s
सब बदल गया_____ तब?? #एक तौलिया से पूरा घर नहाता था । दूध का नम्बर बारी - बारी आता था । #छोटा माँ के पास सो कर इठलाता था । पिताजी से मार का डर सबको सताता था । बुआ के आने से माहौल शान्त हो जाता था । #पूड़ी खीर से पूरा घर रविवार मनाता था । बड़े भाई के कपड़े छोटे होने का इन्तजार रहता था #स्कूल में बड़े की ताकत से छोटा रौब जमाता था । बहन - भाई के प्यार का सबसे बड़ा नाता था । धन का महत्व कभी सोच भी न पाता था । बड़े का बस्ता किताबें साईकिल कपड़े खिलोने पेन्सिल स्लेट स्टाईल चप्पल सब से मेरा नाता था । मामा - मामी नाना - नानी पर हक जताता था । एक छोटी से सन्दुक को अपनी जान से ज्यादा प्यारी तिजोरी बताता था अब - ~ ~ #तौलिया अलग हुआ , दूध अधिक हुआ , माँ तरसने लगी , पिता जी डरने लगे , बुआ से कट गये , खीर की जगह पिज्जा बर्गर मोमो आ गये , कपड़े भी व्यक्तिगत हो गये , भाईयो से दूर हो गये , #बहन के प्रेम की जगह गर्लफ्रेण्ड आ गई , धन प्रमुख हो गया , #अब सब नया चाहिये , नाना आदि औपचारिक हो गये । बटुऐ में नोट हो गये । कई भाषायें तो सीखे मगर संस्कार भूल गये । बहुत पाया पर कुछ खो गये । रिश्तो के अर्थ बदल गये , - #हम जीते तो लगते है पर एहसास व संवेदनाहीन हो गये । कृपया सोचें . कहां थे , कहां पहुंच गये ©Dev Babu #RAMADAAN
Sweety Mamta
घुँघरु कई सालों पहले अलमारी में रखे घुंघरू आज फिर अलमारी से झांकने लगे थे। इसलिए तो मौका पाते ही ,दोनों पैरों में पहनने वाले घुंघरू बाहर निकल आये, शायद मेरा सामान निकालना एक बहाना था। उनको तो बाहर आने का की मौका मिल गया। मैंने भी हड़बड़ी से उन घुंघरुओं को उठा कर युही अपने बिस्तर पर रख दिया , और सरपट रसोई में दौड़ी। और भिंडी की सब्जी काटते हुये सोचने लगी, ज्यो आज वो घुंघरू दिखी गए हैं तो मैं,, आज अपना कत्थक जरूर करूंगी। तब तक रवि ने आवाज लगाई ,, "अरे विद्या जरा तौलिया तो रख दो,, मुझे नहा कर निकलना
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