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Best सत्कार Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mukesh Poonia

किसी के घर जाओ तो अपनी #आंखो को इतना #काबू में रखो कि, उसके #सत्कार के अलावा उसकी #कमियाँ न दिखे और जब उसके #घर से निकलो तो अपनी #ज़ुबान #काबू में रखो ताकि, उसके घर की #इज़्ज़त और राज़ दोनो #सलामत रहे। #विचार

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

अधा॒ हि वि॒क्ष्वीड्योऽसि॑ प्रि॒यो नो॒ अति॑थिः। 
र॒ण्वः पु॒री॑व॒ जूर्यः॑ सू॒नुर्न त्र॑य॒याय्यः॑ ॥

पद पाठ
अध॑। हि। वि॒क्षु। ईड्यः॑। असि॑। प्रि॒यः। नः॒। अति॑थिः। र॒ण्वः। पु॒रिऽइ॑व। जूर्यः॑। सू॒नुः। न। त्र॒य॒याय्यः॑ ॥

जैसे अतिथिजन प्रजाजनों से सत्कार करने योग्य होते और जैसे यहाँ माता और पिता से सन्तान पालन करने योग्य होते हैं, वैसे ही धार्म्मिक विद्वान् जन सत्कार करने योग्य होते हैं ॥

Just as the guests are able to be hospitable to the subjects and like the children of the mother and father are able to be reared here, similarly the religious scholars are able to be hospitable.

( ऋग्वेद ६.२.७ ) #ऋग्वेद #वेद #सत्कार #ज्ञानी

✍️ # ASHISH GUPTA

#स्वार्थ_नीति ✍️.................

बन #रहनुमा कुछ लोगो  का
एक #विचारधारा में वहा रहे
अपना काम   सरल हो जाये
#सो उनको  #ढाल बना रहे

जब तक नही #राज गद्दी पर
तब तक ही #सत्कार कर रहे
मिले  राज   गद्दी हो  संम्पन्न
भाई से   भाई को लड़वा रहे

""""""""""""""✍️"""""""""""""""

हम सब माँ भारती की संतान
फिर क्यों आपस मे #बेर करे
जो हमको आपस मे   लड़ाये
आओ उनका  बहिष्कार  करें
    
                 ✍️ #Ashish_Gupta

वेदों की दिशा

।। ॐ ।।
त्वमग्ने द्युभिस्त्वमाशुशुक्षणिस्त्वमद्भ्यस्त्वमश्मनस्परि।
त्वं वनेभ्यस्त्वमोषधीभ्यस्त्वं नृणां नृपते जायसे शुचिः॥

पद पाठ

त्वम्। अ॒ग्ने॒। द्युऽभिः॑। त्वम्। आ॒शु॒शु॒क्षणिः॑। त्वम्। अ॒त्ऽभ्यः। त्वम्। अश्म॑नः। परि॑। त्वम्। वने॑भ्यः। त्वम्। ओष॑धीभ्यः। त्वम्। नृ॒णाम्। नृ॒ऽप॒ते॒। जा॒य॒से॒। शुचिः॑॥

हे प्रकाश और ज्ञान के स्वामी ! आप विद्या में प्रकाशित हैं। आप जलों से पोषण करने वाले बादल के समान हैं। आप वनों में चमकते चंद्रमा के समान शुद्ध हैं। आप एक वैद्य के समान हैं, जो औषधियों द्वारा लोगों को रोग रहित करता है। आप सम्मान करने के योग्य है।

O lord of light and knowledge!  You are illuminated in learning. You are like a cloud nourishing with water. You are as pure as the shining moon in the forests.  You are like a Vaidya who makes people free from diseases by medicines. You are worthy to be respected.  

( ऋग्वेद २-१-१ ) #ऋग्वेद #वेद #सत्कार

ß@Đ~B0¥

*सत्कार*
तुझे हवश है जिस्म का 
तुझे कोई प्यार नही है
उस आत्मा को पूज के देख
उससे बड़ा उस देवी का सत्कार नही है

©DK चौरसिया~★ #सत्कार

Mularam Bana

विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर देशवासियों को पर्यावरण रक्षा व मानव कल्याण सेवा संघ कि तरफ से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। राजस्थान का अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के कारण देश और दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान है। प्रदेश के ऐतिहासिक किले एवं महल पुरातत्व एवं स्थापत्य कला के महत्वपूर्ण केन्द्र हैं। साथ ही यहां के त्योहार, मेलों और उत्सवों में प्रदेश की बहुआयामी लोक संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक संगीत एवं नृत्यों की विविधताएं सैलानियों के लिए सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रही हैं। राजस्थान 'अतिथि #कहानी

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 विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर देशवासियों को पर्यावरण रक्षा व मानव कल्याण सेवा संघ कि तरफ से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। राजस्थान का अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के कारण देश और दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान है। प्रदेश के ऐतिहासिक किले एवं महल पुरातत्व एवं स्थापत्य कला के महत्वपूर्ण केन्द्र हैं। साथ ही यहां के त्योहार, मेलों और उत्सवों में प्रदेश की बहुआयामी लोक संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक संगीत एवं नृत्यों की विविधताएं सैलानियों के लिए सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रही हैं।
राजस्थान 'अतिथि

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
2 - भगवान की पूजा


एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

Amit Dwivedi

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जहाँ नारी का सम्मान नही,
होते वहाँ ब्यवधान कई,
नारी शक्ति है लाचार नहीं,
अपमानित नारी को करो,
तुम्हारा है ये आचार नही,
आदर सत्कार दो नारी को,
पशु का करो व्यवहार नही,
नारी सीता है तो त्याग की देवी है,
नारी इस जग में प्रीत की सेवी है
सहती कष्ट लाखों पर नहीं मानती हार है,
नारी से ही ममता है नारी से ही सत्कार है
नारी बेटी,नारी माँ,नारी से ही परिवार है,
नारी से ही कुल की लाज नारी ही तारणहार है,
है पुरुषों से दोगुना साहस नारी नही नर से कमजोर है,
आदिकाल से नारी ने शक्ति का अपने लोहा मनवाया है,
जो नारी के सम्मान से उलझा उसनें जान को गवाया है,
ना दे सको सम्मान अपमान भी मत करना नारी का,
लगी हाय जो हृदय से उसकी तो तुम मिट जाओगे,

अमित द्विवेदी (राम)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 9 - देखे सकल देव 'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कुमार ने महर्षि भृगु की सेवा में रहकर। महाआथर्वण का वह शिष्य स्वभाव से वीतराग, अत्यन्त तितिक्षु था। उसे गार्हस्थ्य के प्रति अपने चित्त में कोई आकर्षण प्रतीत नहीं हुआ। 'वत्स! तुम स्वयं देखकर निर्णय करो!' आज का युग नहीं था। शिष्य गुरुदेव के समीप गया और उसके कान में एक मन्त्र पढ दिया गया। वह अपने गुरुदेव के सम्प्रदाय मे दीक्षित हो गया। यह कौन सोचे कि उस जीव का भ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
9 - देखे सकल देव

'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कुमार ने महर्षि भृगु की सेवा में रहकर। महाआथर्वण का वह शिष्य स्वभाव से वीतराग, अत्यन्त तितिक्षु था। उसे गार्हस्थ्य के प्रति अपने चित्त में कोई आकर्षण प्रतीत नहीं हुआ।

'वत्स! तुम स्वयं देखकर निर्णय करो!' आज का युग नहीं था। शिष्य गुरुदेव के समीप गया और उसके कान में एक मन्त्र पढ दिया गया। वह अपने गुरुदेव के सम्प्रदाय मे दीक्षित हो गया। यह कौन सोचे कि उस जीव का भ

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 52 - सखा सत्कार कन्हाई की वर्षगांठ है। इस जन्मदिन का अधिकांश संस्कार पूर्ण हो चुका है। महर्षि शाण्डिल्य विप्रवर्ग के साथ पूजन-यज्ञादि सम्पन्न कराके, सत्कृत होकर जा चुके है। गोपों ने, गोपियों ने अपने उपहार व्रजनव-युवराज को दे दिये हैं। अब सखाओं की बारी है। कन्हाई के सखा भी उपहार देगें; किन्तु ये गोपकुमार तो अपने अनुरूप ही उपहार देने वालें हैं। रत्नाभरण, मणियाँ, बहुमूल्य वस्त्र, नाना प्रकार के खिलौने तो बड़े गोप, गोपियाँ - दुरस्थ गोष्ठों के गोप भी लाते हैं; किन्तु गोपकुमारों का उपह

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।।श्री हरिः।।
52 - सखा सत्कार

कन्हाई की वर्षगांठ है। इस जन्मदिन का अधिकांश संस्कार पूर्ण हो चुका है। महर्षि शाण्डिल्य विप्रवर्ग के साथ पूजन-यज्ञादि सम्पन्न कराके, सत्कृत होकर जा चुके है। गोपों ने, गोपियों ने अपने उपहार व्रजनव-युवराज को दे दिये हैं। अब सखाओं की बारी है।

कन्हाई के सखा भी उपहार देगें; किन्तु ये गोपकुमार तो अपने अनुरूप ही उपहार देने वालें हैं। रत्नाभरण, मणियाँ, बहुमूल्य वस्त्र, नाना प्रकार के खिलौने तो बड़े गोप, गोपियाँ - दुरस्थ गोष्ठों के गोप भी लाते हैं; किन्तु गोपकुमारों का उपह
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