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Anjali Singhal

"मन ही मन उमड़े एहसास, समझकर दिल के ये जज़्बात; घिर-घिर बादल आए हैं, #बरसात_के_दिन_आए हैं। धधक रहे दिल होले-होले, भड़के एकदम बदन में शोले; झड़ी प्यार की लाए हैं, #Poetry #hindipoetry #hindvi #hindikavya #हिंदवी #AnjaliSinghal

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Raj Shekhar Kumar

हिन्दुस्तान को 'हिंदवी' पर,अब कहाँ नाज़ है
अब तो हिंदी और उर्दू में,बँट गया समाज है #हिंदी#उर्दू#हिंदवी#raaz

KaviSushilkumarjatav

नारी की व्यथा एक नारी हमेशा, अपमानित की जायेगी। राम युग में सीता हो या, कृष्ण युग में द्रौपदी एक नारी ना कभी सम्मान मिल पाया है , और ना कभी मिल पायेगा। #hindiwriting #hindikavita #कविता #हिन्दीकविता #हिंदीसाहित्य #हिंदवी #kavisushilkumarjatav #Hindipanktiaan #kalamshala #R_J_Reena

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एक तस्वीर है मेरे पास जो  write by Reena jatav

©KaviSushilkumarjatav नारी की व्यथा

एक नारी हमेशा, 
अपमानित की जायेगी।
राम युग में सीता हो या,
कृष्ण युग में द्रौपदी 
एक नारी ना कभी सम्मान मिल पाया है ,
और ना कभी मिल पायेगा।

Purohit Nishant

कलम को समर्पित फनकारों की याद में... भारत के सबसे प्रमुख प्रगतिशील गजल-शायर, प्रमुख फि़ल्म गीतकार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित "मजरुह सुल्तानपुरी"... हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक मजरूह सुल्तानपुरी जी ने पचास से ज्यादा सालों तक हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे। महारूह के सबसे यादगार काम... तुमसा नहीं देखा (1957) #Knowledge #उर्दू_शायरी #रेख़्ता #हिंदवी #हिन्दी_युग #पुयतिथि_विशेष #मजरूह_सुल्तानपुरी_जी #हिन्दी_सिनेमा

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पुण्यतिथि विशेष

©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में...

भारत के सबसे प्रमुख प्रगतिशील गजल-शायर, प्रमुख फि़ल्म गीतकार, 
दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित "मजरुह सुल्तानपुरी"...
हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गीतकार और प्रगतिशील आंदोलन के उर्दू के सबसे बड़े शायरों में से एक
मजरूह सुल्तानपुरी जी ने पचास से ज्यादा सालों तक हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे।
महारूह के सबसे यादगार काम...
तुमसा नहीं देखा (1957)

Purohit Nishant

कलम को समर्पित फनकारों की याद में... 'साहित्य-वाचस्पति' गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' इन्होंने 'सनेही' उपनाम से कोमल भावनाओं की कविताएँ, 'त्रिशूल' उपनाम से राष्ट्रीय कविताएँ तथा 'तरंगी' एवं 'अलमस्त' उपनाम से हास्य-व्यंग्य की कविताएँ लिखीं। इनकी देशभक्ति व जन-जागरण से सम्बद्ध कविताएँ अत्यधिक प्रसिद्ध रही हैं। इन्हें हिन्दी काव्य सम्मेलनों का प्रतिष्ठापक कहा जाता है। अवघ प्रान्त के अनेक विद्धानों ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान अपने तरीके से अंग्रेजी शासन के विरूद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा दी । #Knowledge #लेखक #हिन्दी_लेखक #हिंदवी #हिन्दी_युग #पुण्यतिथि_विशेष #गयाप्रसाद_शुक्ल_

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!! पुण्यतिथि स्मरण !!

©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में...

'साहित्य-वाचस्पति' गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
इन्होंने 'सनेही' उपनाम से कोमल भावनाओं की कविताएँ, 
'त्रिशूल' उपनाम से राष्ट्रीय कविताएँ तथा 'तरंगी' एवं 
'अलमस्त' उपनाम से हास्य-व्यंग्य की कविताएँ लिखीं।
इनकी देशभक्ति व जन-जागरण से सम्बद्ध कविताएँ अत्यधिक प्रसिद्ध रही हैं। इन्हें हिन्दी काव्य सम्मेलनों का प्रतिष्ठापक कहा जाता है।
अवघ प्रान्त के अनेक विद्धानों ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान अपने तरीके से अंग्रेजी शासन के विरूद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा दी ।

Purohit Nishant

कलम को समर्पित फनकारों की याद में... पद्मभूषण सुमित्रानंदन पंत जी हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। उनका जन्म कौसानी बागेश्वर में हुआ था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने। निसर्ग के उपादानों का प्रतीक वबिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता #Knowledge #जन्मदिन_विशेष #सुमित्रानंदन_पंत #हिंदवी #हिन्दी_युग

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!! जन्मदिन मुबारक !!

©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में...

पद्मभूषण सुमित्रानंदन पंत जी 
हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक
इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। उनका जन्म कौसानी बागेश्वर में हुआ था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने। निसर्ग के उपादानों का प्रतीक वबिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता

Purohit Nishant

क़लम को समर्पित साहित्यकारों की याद में... पद्म भूषण विजय तेंडुलकर विजय तेंडुलकर और गिरीश कर्नाड. ये वो दो नाम हैं, जिन्होंने थिएटर के लिए कालजयी नाटक लिखे. इनके लिखे नाटक आज भी थिएटर के कलाकार खेलते हैं और जनता उतने ही चाव से देखती है. गिरीश कर्नाड के लिखे नाटक ‘तुगलक’, ‘हयवदन’ और ‘ययाति’ अमर होने में समय से होड़ ले रखी है. विजय तेंडुलकर के लिखे ‘सखाराम बाइंडर’ और ‘घासीराम कोतवाल’ भी जैसे नाटक भी ताज़ातरीन रहने का वरदान पा गए हों जैसे. आज गिरीश कर्नाड का जन्मदिन और विजय तेंडुलकर की बरसी है. #Knowledge #जन्मदिन_विशेष #पद्मश्री #हिंदवी #पद्मभूषण #हिन्दी_युग #गिरीश_कर्नाड #नाटककार🎭💞

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पद्म भूषण विजय तेंडुलकर

©Purohit Nishant क़लम को समर्पित साहित्यकारों की याद में...

पद्म भूषण विजय तेंडुलकर 
विजय तेंडुलकर और गिरीश कर्नाड. ये वो दो नाम हैं, जिन्होंने थिएटर के लिए कालजयी नाटक लिखे. 
इनके लिखे नाटक आज भी थिएटर के कलाकार खेलते हैं और जनता उतने ही चाव से देखती है. गिरीश कर्नाड के लिखे नाटक ‘तुगलक’, ‘हयवदन’ और ‘ययाति’ अमर होने में समय से होड़ ले रखी है.
 विजय तेंडुलकर के लिखे ‘सखाराम बाइंडर’ और ‘घासीराम कोतवाल’ भी जैसे नाटक भी ताज़ातरीन रहने का वरदान पा गए हों जैसे. 
आज गिरीश कर्नाड का जन्मदिन और विजय तेंडुलकर की बरसी है.

Purohit Nishant

क़लम को समर्पित साहित्यकारों की याद में... पद्म श्री,पद्म भूषण गिरीश कर्नाड विजय तेंडुलकर और गिरीश कर्नाड. ये वो दो नाम हैं, जिन्होंने थिएटर के लिए कालजयी नाटक लिखे. इनके लिखे नाटक आज भी थिएटर के कलाकार खेलते हैं और जनता उतने ही चाव से देखती है. गिरीश कर्नाड के लिखे नाटक ‘तुगलक’, ‘हयवदन’ और ‘ययाति’ अमर होने में समय से होड़ ले रखी है. विजय तेंडुलकर के लिखे ‘सखाराम बाइंडर’ और ‘घासीराम कोतवाल’ भी जैसे नाटक भी ताज़ातरीन रहने का वरदान पा गए हों जैसे. आज गिरीश कर्नाड का जन्मदिन और विजय तेंडुलकर की ब #Knowledge #जन्मदिन_विशेष #पद्मश्री #हिंदवी #पद्मभूषण #हिन्दी_युग #गिरीश_कर्नाड #नाटककार🎭💞

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पद्म श्री, पद्म भूषण गिरीश कर्नाड

©Purohit Nishant क़लम को समर्पित साहित्यकारों की याद में...

पद्म श्री,पद्म भूषण गिरीश कर्नाड
विजय तेंडुलकर और गिरीश कर्नाड. ये वो दो नाम हैं, जिन्होंने थिएटर के लिए कालजयी नाटक लिखे. 
इनके लिखे नाटक आज भी थिएटर के कलाकार खेलते हैं और जनता उतने ही चाव से देखती है. गिरीश कर्नाड के लिखे नाटक ‘तुगलक’, ‘हयवदन’ और ‘ययाति’ अमर होने में समय से होड़ ले रखी है.
 विजय तेंडुलकर के लिखे ‘सखाराम बाइंडर’ और ‘घासीराम कोतवाल’ भी जैसे नाटक भी ताज़ातरीन रहने का वरदान पा गए हों जैसे. 
आज गिरीश कर्नाड का जन्मदिन और विजय तेंडुलकर की ब


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