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Amit Singhal "Aseemit"

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Sachin Ratnaparkhe

"दोहावली"
पाकिस्तान के निसिचरों पर अज वार करेऊ वायुसेना,
ऐसे लक्ष्य भेदी बम दागन की कोऊ बच सके ना।।

'तेरहवीं' दिन रची ऐसी स्वर्णिम ऐतिहासिक गाथा,
आक्रमण करन से पहले पीटेगा सौ बार अपना माथा।।

राही करत शत प्रणाम उन पवन के वीरों को,
जो देवन श्रद्धांजली लेकर बदला स्वर्गीय रणधीरों को।।

जय हिन्द, जय भारत, 
जय भारतीय सेना, जय वायुसेना #दोहावली
#IndianAirForce
#निसिचर
#गाथा 
#स्वर्णिम 
#माथा 
#स्वर्गीय
#रणधीर

manoj solanki boddhy

#इतिहास सिर्फ वही नहीं जो राजाओं, सम्राटों व #महापुरुषों नेकिया है।इतिहास वह भी है जो आप कर रहे हो,गलत या #सही दोनों ही। जो #विज्ञान के आधार पर #सत्य और #न्याय के लिए करते हैं,उनका इतिहास #स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है और #पूजनीय हो जाते हैं!

और जो #अंधश्रद्धा परआधारित मिथ्या वादी, #काल्पनिक तथ्यों पर कार्य करते हैं उनका इतिहास #देशद्रोही के रूप में निष्ठुरता लिखा जाता है! 

तथागत #बुद्ध, चक्रवर्ती सम्राट #चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट #अशोक महान,राष्ट्रपिता #ज्योतिबाफूले, राष्ट्रमाता #सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब, बाबू #जगदेव प्रसाद, #पेरियार नायकर, #ललई सिंह यादव आदि

सभी #महापुरुषों ने #देश/ #राष्ट्र व मानव #लोक_कल्याण के लिए अपना #जीवन न्यौछावर कर दिया! जो इतिहास में हमेशा सितारों की भांति #चमकते रहेंगे!

समय की मांग है! आप अपने महापुरुषों के #कारवां को गति प्रदान करने में सामर्थ्यानुसार अपना तन,मन,धन #अर्पण करें! #सत्य और #न्याय के लिए #पुत्र तक का #त्याग किया जाता है!

सदियों से ही शोषितों, वंचितों का इतिहास लिखना बंद कर दिया गया है अब समय आ गया है आपको अपना इतिहास लिखने का जिसका भविष्य में मूल्यांकन होगा! शेयर करें!

कवि चित्रप्रभा त्रिसरण, संस्थापक सम्राट अशोक बौद्ध महासंघ (SABM) नमो बुद्धाय!  नमो धम्माय!! नमो संघाय!!! #Desh_ke_liye

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 14 – ममता 'मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
14 – ममता

'मैं अरु मोर तोर तैं माया।
जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'

अर्पित तिवारी अज्ञात

#आगाज करें अर्पित तिवारी

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नव प्रभात से फूटी कलियों में,नव आशा का उन्माद भरे

आओ नव रवि की किरणों से स्वर्णिम युग का आगाज करें

अपने जो कहीं विचिप्त रहे

हैं काम क्रोध में लिप्त रहे

ईर्ष्या और द्वेष ग्रसित मन है

असफल उनका यह जीवन है

भर सर्व हिताय के भावों से

उन हृदयों का संचार करें

आओ नव रवि की किरणों से स्वर्णिम युग का आगाज करें



 #आगाज करें
अर्पित तिवारी

Naman Advik

हमें कुछ यू अपना हिंदुस्तान चाहिए । 
बेटिया बेख़ौफ़ स्वर्णिम भविष्य देखे , 
ना कोई सीमा पर जवान शहीद चाहिए। 
चूम गए मौत को उन सपूतों का सम्मान चाहिए , 
हमें स्वर्णिम और गौरवशाली अपना हिंदुस्तान चाहिए ।। 

#Happy_Independence_Day 🇮🇳🇮🇳
अटल भारत श्रेष्ठ भारत #nojoto #happy #independence #day 
#inspiration #india #indian #hidustan

its_kundu_shayri

सदियों पुराना वो भारत देश, कहां कर चला गया
नारी में देवी दिखती थी, वो परिवेश कहां पर चला गया
चली गई संस्कार की पाठशाला,चली गई शर्म लाज घर की
खो गए सब आत्मिक रिश्ते ,टूट गई मर्यादाएं घर की"
"प्रेंभाव सब गौण हो गया, बिछी है स्वार्थ की पगडंडियां
मन के प्रेम से जिस्म पर आ गए , तोड़ के तुम समाज की बेड़ियां"
चला गया तप ऋषि का, पाखंड आस्था पर भारी है
लुप्त हुवे ज्ञान के आश्रम, क्लब पब की छाई खुमारी है
चला गया मान नारी का, चला गया भाई भरत सा
नहीं रहीं सीता जैसी पत्नी ,नहीं रहा हनुमान भक्त सा
नहीं रहा वो मर्यादा वाला राम, नहीं रहा वो भाई लक्ष्मण
कलयुग नहीं ये स्वर्थयुग है,घर घर मिल जाएंगे विभीषण
चलो सती प्रथा गई भारत से, मगर भ्रूण हत्या का जोर यहां
कम हो गई प्रदा प्रथा मगर, नग्नता का दौर यहां
कहां चली गई वो संस्कार की विरासत, आदर सम्मान बुजुर्ग का
कहां से कहां चला गया भारत मेरे, क्या आलम लिखूं तेरे दर्द का
बड़ा दर्द तो भारत ये है ,क्यूं? तेरे घर में बेटी की अस्मत नोची जाती है
सरेराह ये बेइज्जत होती क्यूं? बाजार में इनकी इज्जत बेची जाती है
एक दहेज दर्द है भारत तेरा मेरा, क्या इसका कोई निचोड़ नहीं
दोषी लड़का भी लड़की भी शादी में दिखावे कु मच जो होड़ रही
एक दर्द है न्याय का भारत, सम्राट विक्रम सा क्यूं न्याय नहीं
स्वर्णिम है इतिहास के पन्ने तेरे , क्यूं अब स्वर्णिम अध्याय नहीं
आखिर चला गया कहां ताज वो तेरा, भारत विश्व गुरु जो तुझको कहते थे
मां बहन बेटी को था देवी का दर्जा, मिलजुल कर सब रहते थे
क्या है क्या चला गया भारत तुझसे इतने पन्ने लिख नहीं पाऊंगा
दर्द क्या तेरी रूह का जन जन को कैसे बताऊंगा
"कलम का सिपाही" हूं मै तो भारत तेरे दर्द का अल्फाज लिखना चाहा है
दर्द तो बहुत बड़ा है भारत बस थोड़ा सा मैंने सुनाया है।
बस थोड़ा सा मैंने सुनाया

its_kundu_shayri

 सदियों पुराना वो भारत देश, कहां कर चला गया
नारी में देवी दिखती थी, वो परिवेश कहां पर चला गया
चली गई संस्कार की पाठशाला,चली गई शर्म लाज घर की
खो गए सब आत्मिक रिश्ते ,टूट गई मर्यादाएं घर की"
"प्रेंभाव सब गौण हो गया, बिछी है स्वार्थ की पगडंडियां
मन के प्रेम से जिस्म पर आ गए , तोड़ के तुम समाज की बेड़ियां"
चला गया तप ऋषि का, पाखंड आस्था पर भारी है
लुप्त हुवे ज्ञान के आश्रम, क्लब पब की छाई खुमारी है
चला गया मान नारी का, चला गया भाई भरत सा
नहीं रहीं सीता जैसी पत्नी ,नहीं रहा हनुमान भक्त सा
नहीं रहा वो मर्यादा वाला राम, नहीं रहा वो भाई लक्ष्मण
कलयुग नहीं ये स्वर्थयुग है,घर घर मिल जाएंगे विभीषण
चलो सती प्रथा गई भारत से, मगर भ्रूण हत्या का जोर यहां
कम हो गई प्रदा प्रथा मगर, नग्नता का दौर यहां
कहां चली गई वो संस्कार की विरासत, आदर सम्मान बुजुर्ग का
कहां से कहां चला गया भारत मेरे, क्या आलम लिखूं तेरे दर्द का
बड़ा दर्द तो भारत ये है ,क्यूं? तेरे घर में बेटी की अस्मत नोची जाती है
सरेराह ये बेइज्जत होती क्यूं? बाजार में इनकी इज्जत बेची जाती है
एक दहेज दर्द है भारत तेरा मेरा, क्या इसका कोई निचोड़ नहीं
दोषी लड़का भी लड़की भी शादी में दिखावे कु मच जो होड़ रही
एक दर्द है न्याय का भारत, सम्राट विक्रम सा क्यूं न्याय नहीं
स्वर्णिम है इतिहास के पन्ने तेरे , क्यूं अब स्वर्णिम अध्याय नहीं
आखिर चला गया कहां ताज वो तेरा, भारत विश्व गुरु जो तुझको कहते थे
मां बहन बेटी को था देवी का दर्जा, मिलजुल कर सब रहते थे
क्या है क्या चला गया भारत तुझसे इतने पन्ने लिख नहीं पाऊंगा
दर्द क्या तेरी रूह का जन जन को कैसे बताऊंगा
"कलम का सिपाही" हूं मै तो भारत तेरे दर्द का अल्फाज लिखना चाहा है
दर्द तो बहुत बड़ा है भारत बस थोड़ा सा मैंने सुनाया है।
बस थोड़ा सा मैंने सुनाया

neil patel

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致力于所有女孩

मै अबला नादान नहीं हूँ
दबी हुई पहचान नहीं हूँ
मै स्वाभिमान से जीती हूँ
रखती अंदर ख़ुद्दारी हूँ
मै आधुनिक नारी हूँ

पुरुष प्रधान जगत में मैंने
अपना लोहा मनवाया
जो काम मर्द करते आये
हर काम वो करके दिखलाया
मै आज स्वर्णिम अतीत सदृश
फिर से पुरुषों पर भारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ

मैं सीमा से हिमालय तक हूँ
औऱ खेल मैदानों तक हूँ
मै माता,बहन और पुत्री हूँ
मैं लेखक और कवयित्री हूँ
अपने भुजबल से जीती हूँ
बिजनेस लेडी, व्यापारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ

जिस युग में दोनो नर-नारी
कदम मिला चलते होंगे
मै उस भविष्य स्वर्णिम युग की
एक आशा की चिंगारी हूँ
मैं आधुनिक नारी हूँ

sushma Nayyar

#तम भीतर मिश्रित चांदनी#

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धवल चांदनी से आच्छादित विशाल अट्टालिकाएं
प्रक्षालि त स्वर्णिम प्रकाश से स्वच्छंद हवाए
प्रेयसी बन नभ की धरा इठलाए
मिलन ये धरती अंबर का मोहित कर जाए

चितवन चितेरे चांद की , गाती है मंगल आरती
उन्मुक्त हवा की रागिनी , तम भीतर सजती चांदनी
स्वर्णिम क्रीड़ायें चांद की ,,, चहुं ओर शीतल चांदनी
पुलकित आह्लादित मन हुआ , , लक्षित हुई तम में मिश्रित चांदनी। ।। #तम भीतर मिश्रित चांदनी#
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