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HintsOfHeart.
"मन बहुत सोचता है कि उदास न हो पर उदासी के बिना कैसे रहा जाये? शहर के दूर के तनाव दबाव कोई सह भी ले, पर यह अपने ही रचे एकांत का दबाव कैसे सहा जाए !" ©HintsOfHeart. #अज्ञेय. #Self-isolating_loneliness
HintsOfHeart.
"तुम्हारे नैन पहले भोर की दो ओस-बूँदें हैं अछूती, ज्योतिमय, भीतर द्रवित मानो विधाता के हृदय में जग गयी हो भाप करुणा की अपरिमित...." ©HintsOfHeart. #Good_Night 💖 #अज्ञेय - ('नख शिख' से)
#good_night 💖 #अज्ञेय - ('नख शिख' से)
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Jorwal
#hindi_poetry #अज्ञेय #tumharesaath Shayar Abhiraaj Kashyap Sujata jha Praveen Storyteller कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211 saloni toke alfazon ki khumari
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#अज्ञेय#मेरे_देश_की_आँखें Er.ABHISHEK SHUKLA Anshu writer Shayar Abhiraaj Kashyap saloni toke alfazon ki khumari gudiya
read moreसतीश तिवारी 'सरस'
#अज्ञेय जी की क़लम से👇 मन बहुत सोचता है कि उदास न हो पर उदासी के बिना रहा कैसे जाये? शहर के दूर के तनाव-दबाव कोई सह भी ले, पर यह अपने ही रचे एकांत का दबाव सहा कैसे जाये! नील आकाश,तैरते से मेघ के टुकड़े; खुली घासों में दौड़तीं मेघ-छायाएँ, पहाड़ी नदी: पारदर्श पानी, धूप-धुले तल के रंगारंग पत्थर, सब देख बहुत गहरे कहीं जो उठे, वह कहूँ भी तो सुनने को कोई पास न हो- इसी पर जो जी में उठे वह कहा कैसे जाये! मन बहुत सोचता है कि उदास न हो, न हो, पर उदासी के बिना रहा कैसे जाये! (साभार) ©सतीश तिवारी 'सरस' #मन_बहुत_सोचता_है
@Sushilkumar_Sushil
||अज्ञेय की कविता ||~|| प्रार्थना का एक प्रकार||~ कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से अलग गूँज जाती हुई एक पुकार : मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में सहसा उभर आता एक अलग चेहरा : रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का उमड़ता एक ज्वार जिसमें निथरती है एक माँग, एक नाम— क्या यह भी है प्रार्थना का एक प्रकार । ©@Kavi_sushilkumar_Sushil #अज्ञेय #प्रार्थना ||अज्ञेय की कविता ||~|| प्रार्थना का एक प्रकार||~ कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से अलग गूँज जाती हुई एक पुकार : मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में सहसा उभर आता एक अलग चेहरा : रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का
#अज्ञेय #प्रार्थना ||अज्ञेय की कविता ||~|| प्रार्थना का एक प्रकार||~ कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से अलग गूँज जाती हुई एक पुकार : मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में सहसा उभर आता एक अलग चेहरा : रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का
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.............. ©CalmKrishna हर सांस का अगियार होता तब कहीं बनते हैं रिश्ते... #Prem #प्रेम #देह #अज्ञेय
Neetesh kumar
#MeriKavita #decemberpoetry #DecemberCreator #MyPoetry #SabseAlag #kavita #अज्ञेय #काव्य #viarl #my मैने आहुति बनकर देखा है...
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